Interview: कमिश्नर ने बताया सेफ सिटी परियोजना से कितना मजबूत होगा नोएडा का सुरक्षा तंत्र
नोएडा में कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर गौतमबुद्ध नगर के पुलिस कमिश्नर आलोक सिंह से विस्तार से बातचीत की दैनिक जागरण संवाददाता रजनी कान्त मिश्र ने
नोएडा। करीब छह माह पहले 13 जनवरी को उत्तर प्रदेश में पहली बार लखनऊ व गौतमबुद्धनगर (नोएडा) में पुलिस कमिश्नरी व्यवस्था लागू करने का सरकार ने निर्णय किया था। इस दौरान आइपीएस आलोक सिंह को गौतमबुद्ध नगर के पहले पुलिस कमिश्नर के पद पर प्रदेश सरकार ने नियुक्त किया। जिले के पहले पुलिस कमिश्नर आलोक सिंह के सामने न केवल गौतमबुद्ध नगर में कानून व्यवस्था को दुरुस्त करना, खासकर ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में पनपे संगठित अपराध का सफाया करना भी चुनौती था।
कमिश्नरी व्यवस्था के लागू हुए अब करीब छह माह बीत चुके हैं। इस दौरान जिले में न केवल संगठित अपराध के सफाये के लिए पुलिस की तरफ से कई महत्वपूर्ण कदम उठाये गए हैं, बल्कि कानून-व्यवस्था को भी दुरुस्त किया गया। कमिश्नरी व्यवस्था लागू होने के बाद पुलिस की तरफ से उठाए गए कदम, चुनौतियां सहित अन्य बिंदुओं पर गौतमबुद्ध नगर के पुलिस कमिश्नर आलोक सिंह से विस्तार से बातचीत की दैनिक जागरण संवाददाता रजनी कान्त मिश्र ने। प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश-
पिछले छह माह में कानून-व्यवस्था में कितना बदलाव महसूस कर रहे हैं?
आंकड़ों पर मैं नहीं जाना चाहता। जिले में हर प्रकार के अपराध में काफी गिरावट आई है। जिले को तीन जोन में बांटकर हर जोन में एसपी-एसएसपी रैंक के अधिकारी डीसीपी के रूप में काम कर रहे हैं। ट्रैफिक व महिला सुरक्षा के लिए अलग से डीसीपी की तैनाती की गई है। एक-एक मामले की गंभीरता से मॉनिटरिंग हो रही है। पुलिस के रिस्पांस, क्वालिटी व क्वांटिटी में बदलाव आया है। कानून के कठोर प्रहार से संगठित अपराधियों की रीढ़ तोड़ी गई है। पहले इस कार्रवाई में एसएसपी के बाद डीएम कार्रवाई करते थे, लेकिन अब पुलिस कमिश्नर कार्यालय के पास न्यायिक शक्तियां आने के बाद पुलिस के कार्य में बदलाव आया है। छह माह में ही संगठित अपराध से जुड़े बदमाशों की 16 करोड़ की संपत्ति जब्त की गई है। आगे भी इस प्रकार की कार्रवाई जारी रहेगी। पुलिसकर्मियों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। लॉकडाउन की वजह से ट्रेनिंग कुछ प्रभावित हुई, लेकिन वह अब ऑन द जॉब ट्रेनिंग हो गई।
गौतमबुद्ध नगर में कोई विकास दुबे जैसा गैंग नहीं पनपे या हिम्मत नहीं जुटाये, इसके लिए क्या कर रहे हैं?
संगठित अपराधी अपराध आर्थिक और भौतिक लाभ के लिए करते हैं। यहां के गैंगस्टरों ने इसी प्रकार के गैंग बना रखे थे। ट्रांसपोर्ट, स्क्रैप, खनन सहित अन्य के नाम पर ठेके यहां व गाजियाबाद से लेकर मेरठ तक लिए जा रहे थे। उन सबकी जांच कर उन पर कानूनी कार्रवाई की जा रही है, यह कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी। इस प्रकार के छह प्रमुख गैंग चिह्न्ति किये गए हैं। यह लगातार चलने वाली प्रक्रिया है व आगे भी जारी रहेगी।
कमिश्नरी व्यवस्था की घोषणा के साथ चार नये थाने खुलने थे, क्या हुआ?
चार नये थाने नोएडा में बनने हैं। इसके लिए नोएडा प्राधिकरण से जमीन आवंटित होनी है। अभी आवंटन नहीं हो सका है। इसके लिए प्रयास चल रहा है। भूमि उपलब्ध होते ही नये थानों की शुरुआत कर दी जाएगी।
बड़े स्तर पर यहां कामकाजी महिलाएं रहती हैं, इनकी सुरक्षा को लेकर क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
कमिश्नरेट की शुरुआत से ही महिलाओं की सुरक्षा के लिए बड़े स्तर पर काम किया गया है। अलग से डीसीपी महिला सुरक्षा वृंदा शुक्ला को तैनात किया गया है। हर थाने में दो महिला सब इंस्पेक्टर व उनके सहयोग के लिए पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है। यह टीम थाने में आने वाले महिला अपराध से संबंधित मामलों को सुनती है व कार्रवाई करती है। लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा की शिकायतें बढ़ीं। इसके बाद यूपी-112 पर आने वाली शिकायतों की मॉनिटरिंग के लिए एक सेल बनाया गया। वहां से उन सभी मामलों की मॉनिटरिंग होती है। ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क थाने में एक फैमिली क्लीनिक तैयार किया गया है।
महिलाओं को जागरूक करने के लिए महिला चौपाल का आयोजन हो रहा है। लॉकडाउन में एप के जरिये चौपाल संचालित की जा रही है। जनसुनवाई में आसानी के लिए एक मल्टीनेशनल कंपनी की मदद से हर थाने व पुलिस कार्यालयों को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये जोड़ा गया है। इसे हर चौकी से जोड़ने की योजना है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से थाने में आने वाले फरियादी वरिष्ठ पुलिस अधिकारी तक अपनी बात आसानी से पहुंचा पाते हैं। इसके जरिये जनसुनवाई भी हो रही है। पिछले छह माह में जिले में दुष्कर्म की घटना में करीब 45 फीसद कमी आई है। अब महिलाओं की सुरक्षा के लिए अलग से पेट्रोलिंग टीम लांच होने जा रही है।
सेफ सिटी परियोजना क्या है, इस परियोजना के तहत क्या बदलाव होना है?
शहर में सुरक्षा व्यवस्था चुस्त करने के लिए सेफ सिटी परियोजना प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। करीब 180 करोड़ का यह प्रोजेक्ट है। इसके तहत नोएडा-ग्रेटर नोएडा (गौतमबुद्ध नगर) में जगह-जगह अत्याधुनिक कैमरे व सेंसर सहित अन्य अत्याधुनिक उपकरण लगने हैं। इसके लिए एक कंट्रोल रूम बनेगा। प्रदेश सरकार की तरफ से इस योजना की स्वीकृति मिलने के बाद इसे केंद्र सरकार के पास भेजा गया है। वहां से स्वीकृति मिलने के बाद काम शुरू होगा। इस योजना की शुरुआत होने के बाद जिले में कहीं भी फायरिंग, सड़कों पर चिल्लाने, कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने, यातायात व्यवस्था खराब होने पर कंट्रोल रूम को तत्काल पता लग जाएगा। इसमें कई अत्याधुनिक सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जाएगा है। इस प्रोजेक्ट की शुरुआत के बाद नोएडा-ग्रेटर नोएडा सहित पूरे जिले में सुरक्षा तंत्र और मजबूत हो जाएगा।
नोएडा में ट्रैफिक जाम व सड़कों पर अतिक्रमण की बड़ी समस्या रहती है, इसको लेकर क्या योजना है?
ट्रैफिक पुलिस के कामकाज में बड़े स्तर पर बदलाव हुआ है और फोर्स बढ़ी है। आगे और बढ़ेगी। जिले में फिलहाल 400 यातायातकर्मी तैनात हैं। फिलहाल चार प्रमुख जगहों पर यातायात पुलिस की विशेष टीम तैनात की गई है। कहीं से भी यातायात की समस्या की जानकारी होने पर यह टीम तत्काल वहां पहुंचती है व जाम की समस्या से निजात दिलाती है।
जिले में फायर रिस्पांस टाइम को लेकर सवाल उठते हैं। इसको लेकर क्या कहेंगे?
फायर रिस्पांस टाइम को लेकर पिछले कुछ समय में दो शिकायतें मिली हैं। उन मामलों में जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी। कोविड-19 के दौरान दमकल कर्मचारी बड़े स्तर पर सैनिटाइजेशन में लगे हैं। फिर भी फायर रिस्पांस टाइम ठीक रहे, इसको लेकर काम किया जाएगा। 72 मीटर हाइड्रोलिक प्लेटफार्म मशीन भी आने वाली है, जिससे 24 मंजिल तक आसानी से पहुंच कर आग बुझाई जा सकेगी।
सेक्टरों में कम पुलिस गश्त की शिकायतें हैं, इनमें कैसे सुधार होगा?
कमिश्नरेट बनने के बाद से जिले में फोर्स की संख्या बढ़ी है और गश्त में सुधार भी हुआ है। कोरोना संक्रमण के दौरान बड़े स्तर पर पुलिसकर्मियों की कंटेनमेंट जोन में ड्यूटी लगी है। कंटेनमेंट जोन कम होने पर उन पुलिसकर्मियों की भी ड्यूटी गश्त में लगेगी और व्यवस्था में और सुधार होगा।
गौरव चंदेल हत्याकांड मामले के मुख्य आरोपित आशु जाट को पुलिस अब तक क्यों नहीं पकड़ सकी?
गौरव चंदेल हत्याकांड मामले में आशु जाट की तलाश है। वह काफी शातिर बदमाश है। आइजी मेरठ रहते हुए मैंने ही उस पर इनाम घोषित किया था। इस प्रकरण में उसकी गिरफ्तारी के लिए गौतमबुद्ध नगर पुलिस टीम लगी हुई है। सूचना मिलने पर दबिश भी दी जाती है। उम्मीद है कि जल्द ही वह पुलिस गिरफ्त में होगा। नोएडा पुलिस के अलावा एसटीएफ भी इस पर काम कर रही है।
आलोक सिंह, पुलिस कमिश्नर, गौतमबुद्ध नगर
आइपीएस बैच: 1995
निवासी: अलीगढ़, उत्तर प्रदेश
शिक्षा: एमए अर्थशास्त्र, एमबीए (मार्केटिंग एवं फाइनेंस)
पुलिस विभाग में तैनाती: 11 जिलों में एसपी-एसएसपी, आइजी मेरठ
नक्सलियों से मुठभेड़ में साहस पर 2002 में मिला गैलेंट्री अवार्ड
15 जनवरी से पुलिस कमिश्नर गौतमबुद्ध नगर