लाखों अगरबत्तियों की राख से भी बनेंगी मूर्तियां, इंजीनियर आकाश ने निकाला फॉर्मूला
दिल्ली-एनसीआर के सैकड़ों मंदिरों-मजारों में प्रतिदिन लाखों अगरबत्तियां राख में तब्दील होती हैं लेकिन भारी मात्रा में निकलने वाली इस राख को निस्तारित करने के लिए इंतजाम नही है।
ग्रेटर नोएडा [ मनीष तिवारी]। दिल्ली-एनसीआर के सैकड़ों मंदिरों-मजारों में प्रतिदिन लाखों अगरबत्तियां राख में तब्दील होती हैं, लेकिन भारी मात्रा में निकलने वाली इस राख को निस्तारित करने के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। इसे प्राय: तालाब, पोखर या नदियों में बहा दिया जाता है, जो किस भी लिहाज से पर्यावरण के अनुकूल नहीं है। इस समस्या का बेहतर समाधान खोजा है एक स्टार्टअप ने।
युवा उद्यमी आकाश ने बनयाा स्टार्टअप
राख में पाए जाने वाले जहरीले तत्व जल को प्रदूषित कर देते हैं। जो सिर्फ मनुष्य के लिए बल्कि उन जीव जंतुओं के लिए भी खतरनाक हैं जो इसका सेवन करते हैं। युवा उद्यमी आकाश के स्टार्टअप से अब यही राख सुंदर मूर्तियों और सजावटी वस्तुओं के रूप में ड्राइंग रूम और कार्यालय की शोभा बन रही है। इसे आकार दे रहे हैं जिला जेल गौतमबुद्ध नगर के बंदी।
राख से मुर्तियां बनाए जाने का सुझाव
रिश्तेदारों के साथ मंदिर गए डिप्लोमा इंजीनियर आकाश ने पाया कि मंदिर की राख को पास के तालाब में फेंक दिया जाता था। सर्वे किया तो उन्हें पता चला कि तालाब के जलीय जीव खत्म हो रहे हैं। साथ ही पालतू जानवर भी तालाब का पानी नहीं पीते थे। स्वयं के खर्च से उन्होंने राख की फिजिकल व केमिकल टेस्टिंग कराई। रिपोर्ट में आया कि इस राख में नुकसानदेह केमिकल मौजूद हैं। समाधान की तलाश में काफी प्रयास के बाद उन्होंने पाया कि इस राख से मूर्तियां बनाई जा सकती हैं।लोगों को साथ जोड़कर उन्होंने मंदिरों से राख एकत्र करने का निर्णय लिया। मंदिर में राख एक जगह एकत्र हो, इसके लिए लोहे के बॉक्स बनाए।
सभी मंदिरों से इकट्ठा की जा रही है राख
यह बॉक्स दिल्ली-एनसीआर के अनेक मंदिरों में लगाए गए। फिलहाल लगभग सौ मंदिरों से राख एकत्र की जा रही है। इस राख से विभिन्न प्रकार की मूर्तियां, पॉट, सजावटी सामान व अन्य चीजें बड़े पैमाने पर तैयार करने के लिए जेल प्रशासन से मदद ली गई। 22 बंदियों को प्रशिक्षण दिया गया। पिछले कुछ माह के दौरान बड़ी संख्या में मूर्तियां व सजावटी सामान बनाए जा चुके हैं, जिनकी बिक्री हाथोंहाथ हो रही है। आकाश कहते हैं राख से तैयार यह एक प्रोडक्ट नहीं स्टोरी है। जिसकी कहानी लोग बहुत ध्यान से सुनते हैं। जल्द ही प्रदेश के अन्य मंदिरों से भी राख एकत्र की जाए।
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