मानकविहीन लैब के खिलाफ कार्रवाई करने में जिला प्रशासन बेबस, लैब ने तीन दिन बाद भी नहीं दिया जवाब
लैब ने दोनों कर्मचारियों को पॉजिटिव बताया था। प्रथम जांच में पता चला था कि गुरुग्राम की उक्त दोनों लैब को आइसीएमआर की मान्यता नहीं है।
नोएडा, जागरण संवाददाता। एक साथ 3321 कर्मचारियों की कोविड-19 जांच करने वाली मानकविहीन लैब के खिलाफ कार्रवाई करने में जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग बेबस नजर आ रहा है। तीन दिन बीतने के बाद भी न तो वीवो कंपनी के दो कर्मचारियों की गलत कोरोना जांच करने वाली गुरुग्राम की लैब ने स्वास्थ्य विभाग के नोटिस पर अपना पक्ष रखा है और न ही गौतमबुद्ध नगर के स्वास्थ्य विभाग ने मामले की सूचना गुरुग्राम के स्वास्थ्य विभाग को दी है। इससे मामला और अधिक पैचिदा होता जा रहा है। यदि जिले के जिम्मेदारों का यही रवैया रहा तो गैर मान्यता व मानकविहीन लैब इसी तरह मासूम जिंदगियों के साथ खिलवाड़ करती रहेगी।
बता दें कि नियमों को ताक पर रखकर ग्रेटर नोएडा की ओप्पो कंपनी ने अपने 3321 कर्मचारियों की कोरोना जांच गुरुग्राम की प्राइवेट लैब से कराई। अभी तक लैब से 1774 कर्मियों की कोरोना रिपोर्ट प्राप्त हो चुकी है। इनमें 14 पॉजिटिव मिले, शेष 1740 रिपोर्ट निगेटिव आई है। जबकि 1567 रिपोर्ट अभी आनी बाकी है। वहीं वीवो कंपनी के दो कर्मचारियों की जांच गुरुग्राम की दूसरी प्राइवेट लैब से हुई थी।
लैब को आइसीएमआर ने नहीं दी मान्यता
लैब ने दोनों कर्मचारियों को पॉजिटिव बताया था। प्रथम जांच में पता चला था कि गुरुग्राम की उक्त दोनों लैब को आइसीएमआर की मान्यता नहीं है। इस पर स्वास्थ्य विभाग ने दोनों लैब को नोटिस जारी किया और पॉजिटिव मरीजों के सैंपल को क्रॉस चेक किया। क्रॉस चेक में वीवो कंपनी के कर्मचारी नेगेटिव मिले। इसके बाद ओप्पो के कर्मचारियों की भी रिपोर्ट भेजी गई। हालांकि यह सभी पॉजिटिव मिले हैं।
लैब ने अभी तक नोटिस का नहीं दिया जवाब
डीएम सुहास एलवाइ के अनुसार ओप्पो के कर्मचारियों की जांच करने वाली लैब ने अपना पक्ष रख दिया है, बताया गया कि लैब ने सिर्फ कर्मचारियों के सैंपल लिए थे, लेकिन जांच आइसीएमआर से मान्य दूसरी लैब से कराई गई है। जिला प्रशासन सैंपल की रिपोर्ट जांच करने वाली लैब के नाम से ही जारी हो इस पर जोर दे रहा है। उधर, वीवो कंपनी के कर्मचारियों की जांच करने वाले लैब ने अभी तक सीएमओ डॉ. दीपक ओहरी के नोटिस का जवाब नहीं दिया है। उधर, गुरुग्राम के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. जेएस पुनिया से बातचीत में पता चला है कि गौतमबुद्ध नगर के सीएमओ ने उन्हें इस संबंध में जानकारी देने के लिए कोई पत्र ही नहीं भेजा।
जांच की आड़ में चल रहा अवैध कारोबार
यदि नियमों की बात की जाए तो ये नियम बिल्कुल नहीं है कि कोई लैब सैंपल कलेक्ट करें और उसे जांच के लिए दूसरी लैब को दें। क्योंकि जिले में प्राइवेट लैब के जांच करने का तरीका यह नहीं है। इससे साबित होता है कि कोरोना जांच के नाम पर कुछ लैब पैसे बनाने का काम कर रही है। नियमानुसार प्रत्येक लैब को आइसीएमआर की मान्यता होनी अनिवार्य है। वहीं दूसरी बात जो लैब सैंपल लेती है, वह कोविड-19 जांच करती है। ऐसा हो सकता है लैब सैंपल की जांच के लिए मुख्यालय भेज दें। लेकिन किसी अन्य लैब को जांच के लिए सैंपल देने का कोई प्रावधान नहीं है।
गुरुग्राम के सीएमओ डॉ. जेएस पुनिया ने बताया गौतमबुद्ध नगर स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन की ओर से दोनों लैब के संबंध में न कोई पत्र आया है और न ही किसी तरह की कोई जानकारी मांगी गई है।