कोरोना भी नहीं तोड़ सका हिम्मत, कारोबार जरूर बदला
बिहार निवासी फेकन पत्नी व तीन बच्चों के साथ अट्टा गांव में रहते हैं। बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं। फेकन बताते हैं कि लॉकडाउन में जमा की गई पूंजी खत्म हो रही थी।
नोएडा [अर्पित त्रिपाठी]। हिम्मत-ए-मर्दा तो मदद-ए-खुदा, अगर इंसान की इच्छा शक्ति मजबूत हो तो वह हर मुसीबत से लड़ सकता है। लॉकडाउन ने काफी बड़ा बदलाव लोगों की जिंदगी में ला दिया, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने मुश्किल हालात के सामने घुटने टेके और जिंदगी जीने के मायने को ही बदलकर अपना सफर जारी रखा है। 13 साल पुराना धंधा बंद, लोन से पकड़ी दूसरी राह सेक्टर-27 के इंदिरा मार्केट में फेकन पंडित 13 साल से टेबल कवर बेचने का काम करते थे।
बिहार निवासी फेकन पत्नी व तीन बच्चों के साथ अट्टा गांव में रहते हैं। बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं। फेकन बताते हैं कि लॉकडाउन में जमा की गई पूंजी खत्म हो रही थी। वापस किसी कीमत पर नहीं जाना था। इसी बीच बैंक खुले तो 40 हजार लोन लेकर सब्जी व फल की रेहड़ी लगानी शुरू कर दी है।
मोमोज का था ठेला
अब सब्जी की रेहड़ी मूलरूप से बिहार निवासी अमित (29) निठारी गांव में किराये पर रहते हैं। पहले सेक्टर-16 मेट्रो स्टेशन के पास मोमोज बेचते थे। उनके साथ के लोग लॉकडाउन के बीच लौट गए, लेकिन अमित ने हिम्मत नहीं हारी।
उन्होंने बचत के पैसों से सेक्टर-19 व 27 में सब्जी बेचना शुरू कर दिया है। अमित बताते हैं कि पहले दिन में एक से डेढ़ हजार रुपये की कमाई होती थी अब 500-600 रुपये ही मिल पाते हैं, लेकिन कुछ नहीं से कुछ तो बेहतर हैं।
अब ई-रिक्शा से घूम रहा जिंदगी का पहिया
बिहार निवासी भोलन झा भाई के साथ हरौला में रहते हैं। वह लॉकडाउन से पहले तक बाइक टैक्सी चलाते थे। अब भाई का ई-रिक्शा उधार पर लेकर अपना गुजारा कर रहे हैं। वह कहते हैं कि जल्द ही ई-रिक्शा से हो रही कमाई और पहले की बचत से ई-रिक्शा खरीदेंगे। शारीरिक दूरी का पालन करना जरूरी है, ऐसे में बाइक टैक्सी में सवारी मिलना मुश्किल है।