Coroanvirus: नोएडा में वायरल ट्रांसपोर्ट मीडिया के बिना कैसे हो जांच, जानें इसके बारे में
Coroanvirus मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर एके चतुर्वेदी ने बताया कि वायरल ट्रांसपोर्ट मीडिया के कुछ डिफेक्टिव पीस आए थे। इनको वापस भिजवा दिया गया है।
ग्रेटर नोएडा [चंद्रशेखर वर्मा]। कोरोना की जांच के लिए कासना स्थित राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) को जिले का नोडल केंद्र बनाया गया है। यहां रोजाना कई संदिग्ध मरीज जांच के लिए पहुंचते हैं। इनके सैंपल लेकर विभिन्न प्रयोगशालाओं में भिजवाया जाता है। वहीं, पर्याप्त मात्र में वायरल ट्रांसपोर्ट मीडिया (सैंपल रखने वाली एक विशेष तरह की शीशी) की पर्याप्त आपूर्ति न होने से सभी संदिग्धों की जांच नहीं हो पा रही है।
वहीं, पहुंच चुके कई वायरल ट्रांसपोर्ट मीडिया में से कई पीस डिफेक्टिव (खराब) भी होते हैं। इनमें से किसी में सैंपल ले जाया जाए तो संक्रमण फैलने की आशंका बनी रहती है।
वायरल ट्रांसपोर्ट मीडिया नहीं होने से अधिकतर के सैंपल नहीं हो पाते
कोरोना माहमारी में कई लोग लक्षण होने पर तुरंत जांच कराना चाहते हैं। जिम्स में भी रोजाना ऐसे कई संदिग्ध जांच के लिए पहुंच रहे हैं। पर्याप्त मात्र में वायरल ट्रांसपोर्ट मीडिया नहीं होने से अधिकतर के सैंपल नहीं हो पाते। वहीं, जो मीडिया के पीस यहां आ भी रहे हैं, उनमें से कई डिफेक्टिव होते हैं। कई का ढक्कन ढीला होता है तो कई आकार में छोटे होते हैं। ऐसे में सैंपल बाहर आने से संक्रमण फैलने की आशंका बने रहती है। जिम्स में इनकी सप्लाई नोएडा स्थित मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय से होती है।
क्या है वायरल ट्रांसपोर्ट मीडिया?
सैंपल के लिए जब कोई संदिग्ध आता है तो कॉटन स्वैब (एक तरह की स्टिक, जिसके सिरे पर रूई लगी होती है) को गले में डालकर लार आदि का नमूने लिया जाता है। इसके बाद एक तरह की शीशी, जिसे वायरल ट्रांसपोर्ट मीडिया कहा जाता है। उसमें यह कॉटन स्वैब रखा जाता है। शीशी में मीडिया (एक तरह का विशेष तरल पदार्थ) होता है। यह वायरस को जिंदा रखता है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर एके चतुर्वेदी ने बताया कि वायरल ट्रांसपोर्ट मीडिया के कुछ डिफेक्टिव पीस आए थे। इनको वापस भिजवा दिया गया है। इनकी जगह दूसरे मीडिया जिम्स में भेजे गए हैं। वहीं, सप्लाई में हो रही कमी को देखते हुए स्थानीय स्तर पर खरीदने पर विचार किया जा रहा है।