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नोएडा-ग्रेटर नोएडा के हजारों घर खरीददारों को योगी सरकार ने दी राहत, अधूरे प्रोजेक्‍ट पर नहीं देना होगा EMI

औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने बताया कि नोएडा ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस वे विकास प्राधिकरण क्षेत्र में कई प्रोजेक्ट अटके हुए हैं। इसकी वजह से खरीददार परेशान हैं।

By Prateek KumarEdited By: Published: Tue, 03 Dec 2019 08:08 PM (IST)Updated: Tue, 03 Dec 2019 09:36 PM (IST)
नोएडा-ग्रेटर नोएडा के हजारों घर खरीददारों को योगी सरकार ने दी राहत, अधूरे प्रोजेक्‍ट पर नहीं देना होगा EMI
नोएडा-ग्रेटर नोएडा के हजारों घर खरीददारों को योगी सरकार ने दी राहत, अधूरे प्रोजेक्‍ट पर नहीं देना होगा EMI

नोएडा/नई दिल्‍ली/लखनऊ, जागरण संवाददाता। नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस वे प्राधिकरण क्षेत्र के अटके रीयल एस्टेट प्रोजेक्ट के लिए सरकार ने अहम फैसला लिया है। नियमों के फेर या सरकारी विभागों की कमी से जितने समय प्रोजेक्ट फंसे रहे, उस अवधि को 'जीरो पीरियड' माना जाएगा। उतने वक्त का समय विस्तार शुल्क बिल्डर से नहीं लिया जाएगा और बिल्डर घर खरीददार से इस अवधि का ब्याज नहीं लेंगे।

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बता दें कि इससे पहले सोमवार को ही सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा के कई अधूरे प्रोजेक्‍ट्स को पूरा करने के लिए एनबीसीसी को आदेश दिया है। इसमें कई अधूरे प्रोजेक्‍ट को एनबीसीसी पूरा करेगा। इससे हजारों लोग जो दिल्‍ली-एनसीआर में आशियाने की तलाश में करोड़ों रुपया लगाए थे उन्‍हें फिर से घर मिलने की उम्‍मीद जागी है। 

वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में विभिन्न विभागों के 34 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। इनमें औद्योगिक विकास विभाग का यह महत्वपूर्ण प्रस्ताव था। बैठक के बाद औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने बताया कि नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस वे विकास प्राधिकरण क्षेत्र में तमाम आवासीय प्रोजेक्ट 2012 से अटके हुए हैं।

घर खरीददार परेशान

इसकी वजह से घर खरीददार भी परेशान हैं। समस्या का हल निकालने के लिए सरकार ने मंत्री समूह को जिम्मेदारी दी। केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के सचिव दुर्गाशंकर मिश्र और यूपी रीयल एस्टेट रेग्युलेटिंग अथॉरिटी (रेरा) ने भी कुछ सुझाव दिए। उसी के आधार पर यह निर्णय लिया गया है। उन्होंने बताया कि तमाम प्रोजेक्ट पर्यावरण संबंधी कारणों से रोके गए। कुछ ऐसे रहे कि प्राधिकरणों ने ऐसी भूमि बिल्डरों को आवंटित कर दी, जिनकी अधिग्रहण प्रक्रिया ही पूरी न हो सकी थी।

कई प्रोजेक्ट में विभाग अवस्थापना सुविधाएं विकसित नहीं कर सके। ऐसे में मामलों में बिल्डर का कोई दोष न होते हुए उन पर समय विस्तार शुल्क लगाया गया। इधर, बिल्डर ग्राहकों से इस अवधि का ब्याज ले रहे थे। अब इन परिस्थितियों में प्रोजेक्ट के लंबित होने की अवधि को जीरो पीरियड मानते हुए बिल्डर से समय विस्तार शुल्क नहीं लिया जाएगा। इसका सीधा लाभ ग्राहक को मिलेगा, क्योंकि बिल्डर उनसे ब्याज नहीं लेंगे। वहीं, जिन अधिकारियों की गलती की वजह से प्रोजेक्ट रुके, उन्हें चिन्हित कर उन पर कार्रवाई की जाएगी।

2021 तक प्रोजेक्ट पूरा करने की शर्त

औद्योगिक विकास मंत्री ने बताया कि इस निर्णय का लाभ उन्हीं बिल्डर को दिया जाएगा, जो 30 जून 2021 तक अपने प्रोजेक्ट पूरे कर ग्राहकों को घर का कब्जा दे देंगे।

एक लाख आवास पूरे होने की उम्मीद

सरकार को उम्मीद है कि छूट का लाभ लेने के लिए बिल्डर तेजी से अटकी योजनाओं को पूरा करने के लिए काम शुरू करेंगे। इससे 2021 तक करीब एक लाख अधूरे पड़े आवास बनकर तैयार हो जाएंगे और ग्राहकों को मिल जाएंगे।

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