UP Coronavirus Vaccine Update: ट्रायल के दौरान एक ही दिन में लोगों को लगा दी टीके की दोनों डोज
क्लीनिकल ट्रायल में टीका लगवाने वाले अधिवक्ता अभिषेक मैत्रेय ने बताया कि पैथोलाजी लैब संचालक ने वैक्सीन के बारे में जानकारी नहीं दी। वह लैब पहुंचे तो सिर्फ यह बताया गया कि यहां पर कोरोना का टीका लग रहा है। उसी वक्त उनके दोनों बाजू में दो डोज लगा दिए।
नई दिल्ली/नोएडा, जागरण संवाददाता। दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के दादरी में बिना अनुमति के कोरोना वैक्सीन के ट्रायल में एक ही दिन में लोगों को टीके की दोनों डोज लगा दी गई। क्लीनिकल ट्रायल में टीका लगवाने वाले अधिवक्ता अभिषेक मैत्रेय ने बताया कि पैथोलाजी लैब संचालक ने वैक्सीन के बारे में कोई जानकारी नहीं दी। जब वह लैब पहुंचे तो उन्हें सिर्फ यह बताया गया कि यहां पर कोरोना का टीका लग रहा है। उसी वक्त उनके दोनों बाजू में टीके की दो डोज लगा दी गई।
वैक्सीन लगवाने वाले 19 लोगों की स्वास्थ्य विभाग ने की पहचान
क्लीनिकल ट्रायल में वैक्सीन लगवाने वाले 19 लोगों की स्वास्थ्य विभाग ने पहचान कर ली है। इनमें चार महिलाएं और 15 पुरुष हैं। विभागीय अफसरों ने फोन पर दो लोगों से बातकर उनकी तबीयत का हाल जाना। फिलहाल दोनों स्वस्थ हैं, जबकि 17 लोग पुलिस के डर से भूमिगत हैं। भूमिगत लोगों को तलाशने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने उन्हें ट्रेस करना भी शुरू कर दिया है। जिला स्तर पर प्रकरण की जांच औषधि निरीक्षक वैभव बब्बर ने शुरू कर दी है। वह जल्द ही गाजियाबाद स्थित फ्लोरेस अस्पताल पहुंचकर भूमिगत लोगों की पूरी जानकारी लेंगे। बताया जा रहा है कि जिन 19 लोगों को क्लीनिकल ट्रायल के दौरान जायडस कैडिला कंपनी की जायकोव-डी वैक्सीन लगाई गई है। टीकाकरण के साथ-साथ उनका डाटा आनलाइन फ्लोरेस अस्पताल प्रबंधन को भेजा गया था।
अधिकांश दो परिवार के लोग
क्लीनिकल ट्रायल में शामिल होने वाले लोगों में अधिकांश दो परिवार के लोग हैं। इनमें एक परिवार होम्योपैथी चिकित्सक का है, जबकि दूसरा पैथोलाजी लैब संचालक विकास वशिष्ठ का है। उधर, जांच में गोपाल पैथोलाजी लैब अपंजीकृत मिलने के बाद से लैब संचालक भी फरार है। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने मामले में फ्लोरेस अस्पताल के प्रशासनिक अधिकारी महेश चौधरी समेत सात के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है। इनमें पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार भी कर लिया है। शेष की गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं।
यह है मामला
मंगलवार को दादरी स्थित गोपाल पैथोलाजी लैब के बाहर नारी रक्षा दल के बैनर तले अवैध रूप से जायडस कैडिला कंपनी की क्लीनिकल ट्रायल से गुजर रही जायकोव-डी का टीका आम जनमानस को निश्शुल्क लगाया जा रहा था। स्वास्थ्य विभाग की टीम जब मौके पर पहुंची तो यहां पांच लोग टीका लगाते मिले। इनमें से चार ने खुद को क्लीनिकल रिसर्च को-आर्डिनेटर व एक ने स्टाफ नर्स बताते हुए गाजियाबाद स्थित फ्लोरेस अस्पताल से साथ कंपनी का करार बताया। हालांकि वे करार संबंधी दस्तावेज नहीं दिखा सके।
दो डोज एक साथ लगाना गलत
सीएमओ डॉ. दीपक ओहरी ने बताया कि जिस कंपनी के वैक्सीन का ट्रायल किया जा रहा था उसकी प्रक्रिया क्या है उसकी जानकारी नहीं है। कंपनी की ओर से जारी की गई गाइडलाइन को देखा जाएगा। हालांकि दो डोज लगाना गलत है। गाइडलाइन को देखने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
ग्रेटर नो
डॉ. दीपक ओहरी (मुख्य चिकित्साधिकारी) का कहना है कि प्रकरण की जांच कंपनी स्तर तक की जाएगी। अस्पताल में पहुंचकर कर्मचारियों का डाटा जुटाया जाएगा। वहीं जिले के जिन 19 लोगों को वैक्सीन लगी है, उनके नाम पता चल गए हैं।
मंजूरी प्राप्त वैक्सीन में होता है 28 दिन का अंतर
केंद्र सरकार की ओर से देश में कोरोना के दो टीकों को ही मंजूरी मिली है। इसमें कोवैक्सीन व कोवीशील्ड शामिल हैं। इन दोनों की दो-दो डोज लगनी है। एक डोज लगने के 28 दिन बाद दूसरी डोज लगाई जानी है। .5 एमएल ही टीका लगाना है। दादरी में क्लीनिकल ट्रायल में कितनी मात्र में वैक्सीन लगाई गई है। इसकी जानकारी जुटाई जा रही है।