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लॉकडाउन में कबाड़ को तराश कर बना दिया हीरा, बिजेंद्र के हुनर का हर कोई है कायल

गर्मी के मौसम में होने वाली बिजली कटौती को देखते हुए कार्ड से हाथ से चलने वाले पंखे तैयार किए गए।

By Mangal YadavEdited By: Published: Wed, 27 May 2020 11:51 AM (IST)Updated: Wed, 27 May 2020 11:51 AM (IST)
लॉकडाउन में कबाड़ को तराश कर बना दिया हीरा, बिजेंद्र  के हुनर का हर कोई है कायल
लॉकडाउन में कबाड़ को तराश कर बना दिया हीरा, बिजेंद्र के हुनर का हर कोई है कायल

ग्रेटर नोएडा [मनीष तिवारी]। हीरे की परख जौहरी को होती है, जो उसके महत्व को समझने के बाद अपने हुनर से उसमें जान डाल देता है। जौहरी की भूमिका में हैं वरिष्ठ नागरिक बिजेंद्र आर्य, उनकी आंखें कबाड़ में पड़ी चीजों की अहमियत को समझ उसमें चार चांद लगा देती हैं।

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उनका हाथ लगने के बाद वस्तु की सुंदरता देखते ही बनती है। लॉकडाउन में मिले समय में पत्नी के साथ मिलकर उन्होंने हुनर को तराशा है। लॉकडाउन की समाप्ति तक 500 चीजें तैयार करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। शहर से गांव तक के लोग उनके हुनर के कायल हैं। उन्हें क्राफ्ट गुरु के रूप में पहचान मिल चुकी है।

मकौड़ा गांव निवासी बिजेंद्र आर्य को क्राफ्टिंग का शौक है। घर के कबाड़ या अन्य किसी स्थान पर पड़ी चीजों को देखते ही दिमाग में कला का कीड़ा हिलोरे मारने लगता है। उनका हाथ लगने के बाद वस्तु पहचान में भी नहीं आती। उनके द्वारा आर्य दीप पब्लिक स्कूल का संचालन किया जाता है।

काम की व्यस्तता के कारण वह अपने हुनर को कम समय दे पाते थे। समय मिलते ही बेजान वस्तु में जान डालने में जुट जाते हैं। हुनर को प्रदर्शित करने के लिए उन्हें काफी समय की दरकार थी। लॉकडाउन से उनकी मुराद पुरी हो गई। लॉकडाउन में मिले पल-पल को उन्होंने हुनर में ही लगा दिया। पत्नी के साथ ने इसमें चार चांद लगा दिया।

बिजेंद्र बताते हैं उन्हें सुबह जल्दी उठने की आदत है। सुबह सात बजे से ही कला में जुट जाते हैं। घर में पड़ी खाली बोतल, डिब्बे, खराब पड़ी लकड़ी, प्लास्टिक की वस्तु या अन्य किसी खराब पड़े सामान को देखकर हुनर हिलोरे मारने लगता है। वह बताते हैं कबाड़ में घिसे हुए टायर पड़े थे।

हुनर के बाद टायर को बैठने के लिए सीट बना दिया गया। बोतल से फ्लावर पॉट तैयार कर दिए जाते हैं। बच्चों के लिए आया मूंढा खराब हो गया था। सही करने के बाद रंग भर उसे नया जीवन दे दिया। चलने में मदद के लिए प्रयोग होने वाली छड़ी में जान फूंक दी। वह बताते हैं शादियों के बहुत से कार्ड कबाड़ में पड़े थे।

मंथन के बाद उन्हें नया जीवन दिया गया। गर्मी के मौसम में होने वाली बिजली कटौती को देखते हुए कार्ड से हाथ से चलने वाले पंखे तैयार किए गए। उनका कहना है लॉकडाउन के समय का पूरा फायदा उठाया गया। क्राफ्टिंग की व्यस्तता में पहला, दूसरा व तीसरा लॉकडाउन कब कट गया पता ही नहीं चला। पत्नी किरन आर्य का साथ मिलने से करीब 450 बेजान चीजों में जान फूंक चुके हैं। लक्ष्य प्राप्त करने के बाद प्रदर्शनी लगाई जाएगी।


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