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नोएडा के कारोबारियों ने सरकार को दी सलाह, कहा- गुणवत्ता-उपलब्धता पर दीजिए ध्‍यान, चीन खुद होगा धड़ाम

देश में तैयार होने वाला कंपोनेंट जीरो इफेक्ट जीरो डिफेक्ट वाला हो। इसके बाद चीन से भारत ही नहीं बल्कि विश्व की निर्भरता समाप्त हो जाएगी। यह सेक्टर तेजी से निर्यात भी करने लगेगा।

By Prateek KumarEdited By: Published: Mon, 06 Jul 2020 10:31 PM (IST)Updated: Mon, 06 Jul 2020 10:31 PM (IST)
नोएडा के कारोबारियों ने सरकार को दी सलाह, कहा- गुणवत्ता-उपलब्धता पर दीजिए ध्‍यान, चीन खुद होगा धड़ाम
नोएडा के कारोबारियों ने सरकार को दी सलाह, कहा- गुणवत्ता-उपलब्धता पर दीजिए ध्‍यान, चीन खुद होगा धड़ाम

नोएडा [कुंदन तिवारी]। आॅटो कंपोनेंट इंडस्ट्री (स्पेयर पार्ट) में भारत को सबसे तेज आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है। इसके लिए सरकार को एक वर्ष कंपोनेंट मैन्यूफैक्चरिंग में लगने वाले रॉ मैटेरियल (कॉपर, एल्मुनियम, रबर) की गुणवत्ता-उपलब्धता पर विशेष ध्यान देना होगा। इससे देश में तैयार होने वाला कंपोनेंट जीरो इफेक्ट जीरो डिफेक्ट वाला हो। इसके बाद चीन से भारत ही नहीं, बल्कि विश्व की निर्भरता समाप्त हो जाएगी। यह सेक्टर तेजी से निर्यात भी करने लगेगा। अभी इस सेक्टर के लिए रॉ मैटेरियल भारत केवल 60 फीसद ही चीन से आयात करता है। जबकि 40 फीसद रॉ मैटेरियिल देश में मौजूद है। आयात और मौजूद रॉ मैटेरियल की दर में 20 फीसद का अंतर है। मामूली अंतर आरएडंडी सेंटरों को विकसित कर खत्म किया जा सकता है। यह बात हम नहीं बल्कि सेक्टर से जुड़े कारोबारी कह रहे हैं।

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2500 करोड़ रुपये का हो रहा नोएडा में आयात

बता दें कि नोएडा में प्रति माह आॅटो कंपोनेंट के लिए चीन से 2500 करोड़ रुपये का कॉपर, एल्मुनियम, रबर आयात हो रहा है। इसे भारत-चीन के बिगड़ते रिश्तों के बाद पूर्ण रूप से बंद कर दिया है। विकल्प में ताइवान, मलेशिया, इंडोनेशिया, वियतनाम पर निर्भरता बढ़ाई है, लेकिन यह निर्भरता अधिक समय नहीं रह सकती, क्योंकि चीन और अन्य देशों के रॉ मैटेरियल की दर सिर्फ 19-20 ही है।

बड़े देश खत्‍म कर रहे संबंध

अमेरिका, जपान, यूरोप समेत अन्य देश जिस प्रकार से चीन से कारोबारी संबंध खत्म कर इन देशों पर अपनी निर्भरता बढ़ा रहे है, रॉ मैटेरियल के दामों में बढ़ोत्तरी होना भी तय है। इसलिए वैश्चिक स्तर पर देश का उत्पाद प्रतिस्पर्धा करें, रॉ मैटेरियल की सौ फीसद उपलब्धता बढ़ानी होगी। जिस प्रकार से प्लास्टिक दाना देश में ही विकसित हो रहा है, चीन से निर्भरता खत्म हो चुकी है। इसी प्रकार आटो-कंपोनेंट तैयार करने के लिए कॉपर, एल्मुनियम, रबर की उपलब्धता को तेजी से बढ़ाए जाने की जरुरत है।

यूनिट में यह आइटम होते हैं तैयार

एयर कंडीशन किट, वॉयर एंड हार्निस, मोल्डिंग, मैग्नेटिक क्वायल, कार शीट, शॉक एब्जार्वर, एसेसरीज, बैक मिरर, फासनर, शीट मेटल पाट़र्स, म्यूजिक सिस्टम

आटो कंपोनेंट की स्थिति

  • कुल कारोबार 12000 करोड़
  • टियर वन यूनिट 50 (ओरिजनल इक्यूमेंट मैन्युफैक्चरर के मुख्य वेंडर)
  • टियर टू यूनिट 160 (मुख्य वेंडरों की मांग पर कंपोनेंट तैयार करना)
  • टियर थ्री यूनिट 400 (कंपोनेंट इंडस्ट्री के रॉ मैटेरियल सप्लायर)

कई स्‍तर पर ठोस कदम उठाने की जरूरत

चीन को चुनौती देने के लिए सरकार को कई स्तर पर ठोस कदम उठाने की जरूरत है। रॉ मैटेरियल देश में उपलब्ध हो, आरएडंडी सेंटरों के जरिए जीरो इफेक्ट जीरो डिफेक्ट वाला कंपोनेंट इकाइयों मेेे तैयार हो।

राजेश जैन, एमडी, टेक्नोमैट कंपोशीट प्राइवेट लिमिटेड (महासचिव, नोएडा इंडस्ट्रीज वेलफेयर एसोसिएशन)


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