नौसेना दिवस- हर कदम पर था मौत का खतरा, बुलंद हौसलों ने नहीं मानी हार
नौसेना दिवस- 4 दिसंबर फोटो- 03- एनओबी-13 14 पारुल रांझा नोएडा वर्ष 1971 का युद्ध भारतीय से
नौसेना दिवस- 4 दिसंबर
फोटो- 03- एनओबी-13, 14
पारुल रांझा, नोएडा
वर्ष 1971 का युद्ध भारतीय सेना के पराक्रम और शौर्य की ऐसी गाथा है, जो अमर और अमिट है। इसका स्मरण आवश्यक है। इस युद्ध में थलसेना और वायुसेना के अलावा नौसेना ने भी अहम योगदान दिया था। नौसेना ने आज के दिन ही कराची बंदरगाह पर जबरदस्त हमला किया था। जवानों की वीरता और साहस ने इस दिन को भारतीय इतिहास में सदा के लिए अमर कर दिया। इस विजयगाथा में नोएडा सेक्टर-21 के रहने वाले वाइस एडमिरल यशवंत प्रसाद (पीवीएसएम, एवीएसएम, वीएसएम) ने भी मुख्य भूमिका निभाई थी। उन्हें वैश्विक सैन्य इतिहास के सबसे जोखिम भरे अभियान को अंजाम देने की रणनीति बनाने और उसे अंजाम देने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। दुश्मनों ने समुद्र के अंदर हर कदम पर बम बिछा रखे थे। हर कदम पर मौत का खतरा था लेकिन बुलंद हौसलों को हथियार बनाकर आगे बढ़ते चले गए। एडमिरल यशवंत प्रसाद को 1993 में विशिष्ट सेवा पदक, 1997 में अति विशिष्ट सेवा पदक और 2003 में परम विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया गया।
---------------------- पाक को धूल चटाने के लिए बनाया था मास्टर प्लान
एडमिरल यशवंत प्रसाद बताते है कि 3 दिसंबर, 1971 को पाकिस्तान के वायु हमले से युद्ध का आगाज हुआ था। इसके बाद 16 दिसंबर, 1971 को पाकिस्तानी सेना के आत्मसमर्पण और बांग्लादेश के जन्म के साथ भारतीय सैनिकों ने अंजाम तक पहुंचाया। जब भारतीय सेना और वायुसेना अपने-मोर्चों पर डटी थीं, तो पूर्वी और पश्चिमी तट को ब्लॉक करने का मास्टर प्लान नौसेना ने बनाया था। वे ट्रेनिग कर रहे थे, उसी दौरान उन्हें विशाखापट्टनम से पूर्वी तट पर जाने के लिए आदेश दिए गए। उन्हें देशदीप जहाज पर नेविगेटिग ऑफिसर की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। पूर्वी तट पर समुद्र में पाक सेना द्वारा बम फिक्स किए गए थे, हर कदम पर जोखिम के बावजूद भी हार नहीं मानी। उधर पश्चिमी तट पर भारतीय नौसेना के जाबांजों ने कराची बंदरगाह के बिल्कुल पास जाकर प्रक्षेपास्त्रों से कराची बंदरगाह पर हमला किया था। इस आक्रमण के बाद भारतीय नौसेना का पश्चिमी मोर्चे पर वर्चस्व हो गया।
---------- गाजी के नाकाम होने से चूर हुआ पाक का घमंड
एडमिरल यशवंत प्रसाद बताते है कि भारतीय नौसेना ने दुश्मन की नौसेना को एक सप्ताह के अंदर पूरी तरह से तहश-नहश कर दिया था। पाक को भारत के सबसे बड़े युद्धपोत, आइएनएस विक्रांत की ताकत का भी अहसास था। आइएनएस विक्रांत को समुद्र में डुबाने के लिए अपनी पनडुब्बी पीएनएस गाजी को भारत की समुद्री सीमा में भेजा था। यदि गाजी अपने मिशन में कामयाब होती तो भारत को बहुत नुकसान झेलना पड़ सकता था। लेकिन भारतीय नौसेना के शौर्य और चतुराई के चलते विशाखापट्टनम में बीच समुद्र में ही गाजी का काम तमाम कर दिया था। 9 दिसंबर को भारत ने पीएनएस गाजी की तबाही की घोषणा कर दी। इसके बाद पाकिस्तान का घमंड चूर होने से भारतीय सेना के हौंसले बुलंद हो गए थे।