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आरोपितों के नाम का नहीं पर्दाफाश, वसूली के लिए जारी होगी आरसी

जागरण संवाददाता ग्रेटर नोएडा जिला प्रशासन ने चिटहेरा प्रकरण की जांच पूरी कर ली है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 17 May 2022 09:38 PM (IST)Updated: Tue, 17 May 2022 09:38 PM (IST)
आरोपितों के नाम का नहीं पर्दाफाश, वसूली के लिए जारी होगी आरसी
आरोपितों के नाम का नहीं पर्दाफाश, वसूली के लिए जारी होगी आरसी

जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा : जिला प्रशासन ने चिटहेरा प्रकरण की जांच पूरी कर ली है। फर्जी पट्टा आवंटित करा मुआवजा उठाने वालों से पैसों की वसूली के लिए आरसी (रिकवरी सर्टीफिकेट) जारी होगी। दादरी तहसील में 1997 में तैनात दो अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए शासन को रिपोर्ट भेजी जाएगी। यशपाल तोमर, उसके साथियों के साथ ही तहसील के उन कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज होगा जिन्होंने फर्जीवाड़े में यशपाल का साथ दिया था। तैयार रिपोर्ट जिला प्रशासन के द्वारा शासन व राजस्व विभाग को भेजेगा।

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चिटहेरा गांव में 1997 में फर्जी तरीके से पट्टे की जमीन का आवंटन हुआ था। नियमों को ताक पर रखकर 283 पट्टे आवंटित हुए थे। कई बार मामले की जांच हुई, लेकिन मामला ठंडे बस्ते में ही पड़ा रहा।

यशपाल ने अपनी पहुंच के बल पर कोई कार्रवाई नहीं होने दी थी। मामले में जिला प्रशासन के अधिकारियों, कर्मचारियों, पुलिसकर्मियों के साथ ही कई नेताओं ने भी उसका साथ दिया था। कुछ माह पूर्व शासन स्तर पर दोबारा मामले की शिकायत हुई थी। इसके बाद जिला प्रशासन जांच कर रहा है। जांच की जिम्मेदारी एडीएम वित्त वंदिता श्रीवास्तव को सौंपी गई। जांच पूरी कर उन्होंने अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारी सुहास एलवाई को सौंप दी थी। मंगलवार शाम जिलाधिकारी ने रिपोर्ट के संबंध में बैठक की। जांच के एक-एक बिदु पर चर्चा हुई। जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने बताया कि निर्णय लिया गया है कि जिन लोगों ने फर्जी तरीके से पट्टे की जमीन का आवंटन करा मुआवजा उठाया था, उन सभी से पैसों की वसूली के लिए आरसी जारी की जाएगी। यशपाल तोमर ने अपने लोगों के साथ मिलकर फर्जीवाड़ा किया था। तहसील में तैनात जिन-जिन लोगों ने उनका साथ दिया था सभी के खिलाफ एफआइआर दर्ज होगी।

तहसील के कर्मचारियों ने पट्टा रजिस्टर गायब किया, खसरा व खतौनी में जमीन का रकबा बढ़ाया उनके खिलाफ भी मामला दर्ज होगा। तहसील के जिन दस्तावेजों में गड़बड़ी की गई थी, सभी में सुधार किया जाएगा। पूर्व के आदेशों के बाद जो पट्टा बहाल किया गया था, उन सभी को निरस्त करने के लिए मेरठ कमिश्नर के यहां री अपील की जाएगी। जांच में प्रकाश में आया है कि मामले में कई अधिकारियों की संलिप्तता थी। मांग की गई कि शासन उच्च स्तरीय कमेटी गठित कर उनका दोष निर्धारण किया जाए। जिलाधिकारी ने बताया कि यशपाल व उसके साथियों के नाम दर्ज जमीन प्राधिकरण को अभिरक्षा में दी जाएगी।

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पैसों की वसूली नहीं है आसान

यशपाल तोमर ने अपने सहयोगी, चालक और अन्य के खिलाफ पट्टे की जमीन आवंटित करा मुआवजा उठाया था। मुआवजे का पैसा उसके सहायक, चालक के खाते में जाता था। पैसा पहुंचने के अगले दिन ही निकाल लिया जाता था। बाद में यह पैसा यशपाल के पास पहुंच जाता था। सहायक व चालक को सिर्फ कुछ खर्चा मिलता था। यशपाल भी जेल में बंद है। ऐसे में प्रशासन किससे पैसों की वसूली करेगा, यह बड़ा सवाल है।

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प्रशासन की रिपोर्ट में हीलाहवाली

सूत्रों की मानें तो अपनी जांच में प्रशासन ने अभी तक किसी पर भी दोष निर्धारण नहीं किया है। कहीं न कहीं जिसका प्रमुख कारण मामले में यहां पर पूर्व में तैनात रहे पीसीएस व आइएएस अधिकारियों की संलिप्तता भी है। ऊपरी दबाव के कारण उन्हें बचाने का प्रयास किया जा रहा है। चिटहेरा गांव के लोगों ने सबूत के साथ मामले में कई नेताओं की मिलीभगत का आरोप लगाया था। उनके नाम भी रिपोर्ट में शामिल नहीं है। माना जा रहा है कि शासन स्तर पर गठित होने वाली उच्चस्तरीय कमेटी अब दोष निर्धारण करेगी। जिसके बाद मामले के आरोपितों के नाम सामने आएंगे।


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