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देश के सबसे बड़े भूमि घोटाले का मास्टर माइंड था मोती गोयल

धर्मेंद्र चंदेल, ग्रेटर नोएडा : चर्चित भू-माफिया मोती गोयल 2004 में चर्चाओं में आया था। राजस्व विभाग

By JagranEdited By: Published: Mon, 16 Apr 2018 08:33 PM (IST)Updated: Mon, 16 Apr 2018 08:33 PM (IST)
देश के सबसे बड़े भूमि घोटाले का मास्टर माइंड था मोती गोयल
देश के सबसे बड़े भूमि घोटाले का मास्टर माइंड था मोती गोयल

धर्मेंद्र चंदेल, ग्रेटर नोएडा : चर्चित भू-माफिया मोती गोयल 2004 में चर्चाओं में आया था। राजस्व विभाग के अधिकारियों से मिलकर वह ग्राम समाज की जमीन के अभिलेखों में फर्जी प्रविष्टियां कराकर भूमि को अपने नाम कराता था। कई गांवों में उसने जमीन का मुआवजा भी उठा लिया था। 1994 से लेकर 2004 तक उसने करीब ढाई हजार करोड़ रुपये के भूमि घोटाले को अंजाम दिया था। उसके इस गोरखधंधे में दो दर्जन आइएएस, पीसीएस, तहसीलदारों से लेकर सेवानिवृत्त लेखपाल व कानूनगो भी शामिल थे। सेवानिवृत्त अधिकारी, लेखपाल और कानूनगो को वह अपने यहां नौकरी पर रखता था। उनके अनुभव का लाभ उठाकर ग्राम समाज की जमीनों में हेराफेरी कराता था। सरकार में ऊंची पहुंच के चलते कोई भी अधिकारी उसके खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं दिखाता था। बसपा के वह नजदीक माना जाता था। 2004-05 में गौतमबुद्धनगर के तत्कालीन जिलाधिकारी संतोष यादव व एसएसपी जय नरायण ¨सह ने मोती गोयल के कारनामों की जांच शुरू कराई थी। जांच में एक के बाद एक करीब 125 फर्जीवाड़े के मामले सामने आए थे। इसके बाद मोती गोयल के खिलाफ गौतमबुद्धनगर के कासना, सूरजपुर, दादरी व सेक्टर 39 थाना नोएडा में एक दर्जन से भी अधिक मामले दर्ज कराए गए थे। 2005 में वह सूरजपुर थाने से जेल गया था। सूरजपुर पुलिस ने उसे यामाहा फैक्ट्री के समीप गिरफ्तार किया था। इन गांवों में किया था मोती गोयल ने फर्जीवाड़ा

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शाहपुर गोवर्धनपुर

कासना

तुगलपुर हल्दौना

अमरपुर

गुणपुरा

सुल्तानपुर

दनकौर

गेझा तिलपताबाद

बसपा नेताओं का आशीर्वाद प्राप्त था मोती गोयल को

मोती गोयल 1997 में गौतमबुद्धनगर के गठन से पहले ही यहां 1994 से सक्रिय था। तब गाजियाबाद जिला लगता था। गाजियाबाद में बैठकर वह भूमि घोटाले को अंजाम देता था। प्रदेश में बसपा सरकार बनने के बाद उसकी सक्रियता और बढ़ गई थी। उस समय बसपा के बड़े नेताओं का उसे आशीर्वाद प्राप्त था। इसके चलते वह अधिकारियों के सामने वाली कुर्सी पर बड़े आराम से बैठता था।

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बसपा सरकार में रहे एक बड़े अधिकारी का भी आया था नाम

बसपा सरकार में बड़े पद पर रहे एक अधिकारी का नाम मोती गोयल के साथ जुड़ा था। शाहपुर गांव में उस अधिकारी के नाम से मोती गोयल ने जमीन खरीदी थी। दो अन्य गांवों में भी अधिकारी का नाम आया था। बाक्स

एक पूर्व मंत्री को भी फंसा लिया था जाल में

मोती गोयल ने प्रदेश के पूर्व मंत्री को भी अपने जाल में फंसा लिया था। उसने पूर्व मंत्री को अमरपुर गांव में ग्राम समाज की जमीन बेच दी। मामले की जांच हुई तो सच्चाई सामने आई। इसके बाद पूर्व मंत्री ने कासना थाने में मोती गोयल के खिलाफ सरकारी जमीन गलत तरीके से बेचने का मामला 2005 में दर्ज कराया था।

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अमरपुर की जमीन पॉश सेक्टर में एक्सचेंज

मोती गोयल गौतमबुद्धनगर के सदर तहसील के अमरपुर गांव में पहले करीब 300 बीघा ग्राम समाज की जमीन पर फर्जी प्रविष्टियां दर्ज कराकर उसे अपने नाम कराया। जमीन के अभिलेखों में कई आइएएस अफसरों, उनके बच्चों के नाम भी दर्ज थे। बसपा शासन काल के दौरान 2002-03 में जमीन को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण अधिकारियों से मिलकर शहर के सबसे पॉश सेक्टर चाई-फाई में एक्सचेंज करा लिया। मीडिया में मामला आने के बाद प्राधिकरण के तत्कालीन सीईओ ललित श्रीवास्तव व एसीईओ सुधीर गर्ग ने एक्सचेंज के आदेश को रद कर दिया था। बाक्स

दो अधिकारी इस मामले में हुए थे बर्खास्त

कुछ दिनों बाद प्रदेश में बसपा की जगह सपा की सरकार बन गई थी। सपा सरकार ने मामले की जांच कराई तो प्राधिकरण के तत्कालीन डीसीईओ कोमल राम, महाप्रबंधक परियोजना एसकेएस राघव व दो अन्य प्रबंधकों ने फाइल पर अपने हस्ताक्षर होने से इंकार कर दिया था। उन्होंने फर्जी हस्ताक्षर का आरोप लगाया था। इसके बाद सदर तहसील के तत्कालीन एसडीएम रहे अशोक कुमार ¨सह व मांगेराम धीमान को बर्खास्त कर दिया गया था। बाक्स

अधिकारियों के परिजन की कराता था शादी

मोती गोयल की अधिकारियों में अंदर तक पकड़ थी। उसने 1994 से लेकर 2004 तक अधिकारियों के परिजन की कई शादियों का खर्चा उठाया। इसमें बुलंदशहर के एक तत्कालीन जिलाधिकारी का नाम भी प्रमुखता से उछला था। बाक्स

नाटकीय ढंग से हुआ था गिरफ्तार

मोती गोयल पर जनपद के तत्कालीन जिलाधिकारी संतोष यादव व एसएसपी जय नरायण ¨सह के निर्देश पर अलग-अलग थानों में मामले दर्ज कराए गए। सभी थानों की पुलिस उसे गिरफ्तार करने में जुटी थी, लेकिन किसी भी थाने की पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं कर सकी। जय नरायण ¨सह की जगह पीयूष मोर्डिया जिले के एसएसपी बने थे। एक दिन सूरजपुर पुलिस को मोती गोयल यामाहा फैक्ट्री के सामने सड़क पर आधी रात के बाद दो बजे पैदल घूमता हुआ मिल गया। मोती गोयल पर उस समय कोई वाहन भी नहीं था और वह चप्पल पहनकर घूम रहा था। बाक्स

पिता और अन्य परिजन को भी भुगतनी पड़ी मोती गोयल के कारनामों की सजा

मोती गोयल ने फर्जीवाड़ा कर ग्राम समाज की जमीन को अपने पिता व अन्य परिजन के नाम दर्ज करा दिया था। घोटाले के पर्दाफाश के बाद उसके पिता लज्जराम व अन्य परिजन को भी जेल जाना पड़ा था। बाक्स

विधान सभा में भी उठा था मामला

मोती गोयल भूमि घोटाला 2004-5 में प्रदेश विधान सभा में भी उठा था। तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम ¨सह यादव को विधान सभा में बयान देना पड़ा था। उन्होंने मोती गोयल पर कार्रवाई का बयान दिया था। बाक्स

अपनी ताकत के बल पर जमीन को फिर करा लिया अपने नाम

2004-05 में तत्कालीन जिलाधिकारी संतोष यादव व एसडीएम सदर और एसडीएम दादरी ने अभिलेखों में किए गए फर्जीवाड़े के तमाम आदेशों को रद कर दिया था। करोड़ों रुपये मूल्य की जमीन को ग्राम समाज में दर्ज करा दिया गया था। हैरत की बात यह है कि 2007 में प्रदेश में बसपा सरकार बनने के बाद तत्कालीन अधिकारियों के आदेशों को निरस्त कर दिया गया। सदर तहसील के कासना, तुगलपुर हल्दौना में जमीन को फिर से मोती गोयल और उसके करीबियों के नाम दर्ज करा दिया गया। कई जगहों पर जमीन का मुआवजा भी उठा लिया गया। हालांकि, कुछ गांवों में अभी मुआवजा नहीं उठाया गया है। मोती गोयल और उसके करीबी लोग मुआवजा उठाने की फिराक में हैं।


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