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20 हजार से अधिक फ्लैटों को सीसी जारी, राजिस्ट्री 50 प्रतिशत ही करा सके

सत्ता परिर्वतन के डेढ़ साल में नोएडा प्राधिकरण ने 20,621 फ्लैटों के लिए अधिभोग प्रमाण पत्र या अक्यूपेशन सार्टिफिकेट (ओसी) जारी किया है, लेकिन इनमें से कितने निवेशकों को फ्लैट या मकानों पर कब्जा मिला, कितनी रजिस्ट्री हुई यह तथ्य चौकाने वाले है। विगत एक साल में महज 10 हजार मकानों की रजिस्ट्री हुई। जबकि बाकी के लिए प्राधिकरण ने बिल्डर को रजिस्ट्री संबंधित पत्र निर्गत कर दिए है। हालांकि फ्लैटों पर कब्जा का आंकड़ा ज्यादा है। जाहिर है बिल्डर व निवेशकों के बीच यह खाई अब भी बढ़ती जा रही है। जिससे निस्तारित करने के लिए रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (रेरा) अधिकारियों ने भी प्राधिकरण से गंभीरता से काम करने के निर्देश दिए है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 03 Nov 2018 07:41 PM (IST)Updated: Sat, 03 Nov 2018 07:41 PM (IST)
20 हजार से अधिक फ्लैटों को सीसी जारी, राजिस्ट्री 50 प्रतिशत ही करा सके
20 हजार से अधिक फ्लैटों को सीसी जारी, राजिस्ट्री 50 प्रतिशत ही करा सके

जागरण संवाददाता, नोएडा : सत्ता परिर्वतन के डेढ़ साल में नोएडा प्राधिकरण ने 20,621 फ्लैटों के लिए अधिभोग प्रमाण पत्र या कंप्लीशन सार्टिफिकेट (सीसी) जारी किया है, लेकिन इनमें से कितने निवेशकों को फ्लैट या मकानों पर कब्जा मिला, कितनी रजिस्ट्री हुई यह तथ्य चौकाने वाले हैं। विगत एक साल में महज 10 हजार मकानों की रजिस्ट्री हुई। जबकि बाकी के लिए प्राधिकरण ने बिल्डर को रजिस्ट्री संबंधित पत्र निर्गत कर दिए हैं। हालांकि फ्लैटों पर कब्जे का आंकड़ा ज्यादा है। जाहिर है बिल्डर व निवेशकों के बीच यह खाई अब भी बढ़ती जा रही है। जिससे निस्तारित करने के लिए रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (रेरा) अधिकारियों ने भी प्राधिकरण से गंभीरता से काम करने के निर्देश दिए हैं।

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दरअसल निबंधन विभाग की शिकायत है कि कब्जा मिलने के बाद भी बिल्डर रजिस्ट्री नहीं करा रहा है। ऐसे में सरकार को राजस्व की हानि हो रही है। आरोप यह भी लगते रहे कि प्राधिकरण अधिभोग प्रमाण पत्र सर्टिफिकेट जारी नहीं कर रहा, लेकिन ऐसा नहीं है। प्राधिकरण की ओर से 15 मार्च 2017 से 31 अक्टूबर 2018 तक की एक सूची जारी की गई है। इसके तहत कुल 20 हजार 621 मकानों के लिए संबंधित बिल्डरों को अधिभोग प्रमाण पत्र जारी किया गया। साथ ही इन फ्लैटों की रजिस्ट्री के लिए पत्र भी निर्गत कर दिए गए लेकिन बिल्डरों के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही। इसको लेकर हाल ही में निबंधन विभाग की ओर से ऐसे 24 बिल्डरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई करने की बात कही गई थी। यही नहीं जिलाधिकारी व एसएसपी को भी इस संबंध में पत्र लिखा जा चुका है। हालांकि अब तक किसी बिल्डर पर कार्रवाई नहीं हुई है। रजिस्ट्री का आंकड़ा भी 10 हजार 700 ही है। जिसमें सितंबर-2018 में 625 व 31 अक्टूबर 2018 में 540 फ्लैटों की रजिस्ट्री की गई।

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बोर्ड में पास प्रस्ताव से आएगी तेजी

प्राधिकरण की 195वीं बोर्ड बैठक में बिल्डर आवंटियों को त्रिपक्षीय सबलीज कराने की अनुमति पत्र निर्गत होने से एक वर्ष के अंदर त्रिपक्षीय सब लीज डीड करानी होगी। अन्यथा की स्थिति में 100 वर्गमीटर तक भवनों के लिए 50 रुपए प्रतिदिन, 100 वर्गमीटर से अधिक भवनों के लिए 100 रुपए प्रतिदिन का विलंब शुल्क लिया जाएगा। हालांकि यह नियम एक नवंबर से लागू किया गया है। ऐसे में एक नवंबर से पहले अधिभोग जारी किए गए करीब 10 हजार मकानों की रजिस्ट्री के लिए यह विलंब शुल्क लागू नहीं होगा। जाहिर है रेरा की बैठक के बाद रजिस्ट्री कराने के लिए प्राधिकरण बिल्डरों पर दबाव बनाने के लिए नया रास्ता तलाश कर रहा है। ताकि दिसंबर तक इन सभी मकानों की रजिस्ट्री हो सके।


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