आजीवन व संस्थापक सदस्य देंगे फोनरवा के चुनावों में वोट, गुप्त मतदान में हुआ तय
सेक्टर-52 स्थित फोनरवा कार्यालय में रविवार को आजीवन व संस्थापक सदस्यों के फोनरवा चुनावों में वोट देने व चुनाव लड़ने पर रोक लगाने को लेकर गुप्त मतदान किया गया। जिसमें प्रस्ताव के विपक्ष में कुल 97 वोट पड़े और पक्ष में 79। बावजूद इसके
जागरण संवाददाता, नोएडा : सेक्टर-52 स्थित फोनरवा कार्यालय में रविवार को आजीवन व संस्थापक सदस्यों के फोनरवा चुनावों में वोट देने व चुनाव लड़ने पर रोक लगाने को लेकर गुप्त मतदान किया गया। इसके पक्ष में कुल 97 और विपक्ष में 79 वोट पड़े। बावजूद इसके प्रस्ताव को पास नहीं किया जा सका। क्योंकि सोसायटी एक्ट में संविधान संशोधन के लिये 60 प्रतिशत मत का होना अनिवार्य है। इसके अनुसार मतदान प्रस्ताव पास होने के लिये 107 मत होना अनिवार्य था। ऐसे में यह तय हो गया कि आजीवन व संस्थापक सदस्य फोनरवा के चुनावों में वोट देंगे और चुनाव भी लड़ सकेंगे।
बता दें कि गुप्त मतदान सुबह 10 बजे शुरू हुआ और 1 बजे तक चला। इसके बाद मतों की गणना पांच सदस्यीय पैनल द्वारा की गई। डाले गए मतदान में पर्ची का प्रयोग किया गया। दरअसल, 15 जुलाई को आम सभा में कुछ सदस्यों ने आजीवन व संस्थापक सदस्यों के वोट देने व चुनाव लड़ने पर रोक लगाने का प्रस्ताव दिया था। बैठक में हंगामे के कारण प्रस्ताव पर वो¨टग नही हो सकी थी। 29 जुलाई को कार्यकारिणी की बैठक में 19 अगस्त को प्रस्ताव संशोधन पर मतदान कराने का निर्णय लिया गया। लेकिन किसी कारण से उस दिन मतदान नही हो पाया। ऐसे में रविवार को गुप्त मतदान किया गया। फोनरवा के कुल 206 मत में से 177 मत पड़े। जिसमें प्रस्ताव के पक्ष मे 97 जबकि विपक्ष मे 79 वोट पड़े। ऐसे में नियनानुसार प्रस्ताव पास नहीं हो सका। बता दें कि फोनरवा में 8 संस्थापक व 12 आजीवन सदस्य है। जिसमें तीन आजीवन को छोड़कर 9 आजीवन सदस्य आरडब्ल्यूए के चुने हुए पदाधिकारी है। वाट्सएप पर जमकर बरसे: प्रस्ताव के पास न होने पर वाट्सएप में लोगों ने जमकर इसकी आलोचना की अशोक त्यागी का कहना था कि फोनरवा में आज अधिकारों की हत्या हुई है। इस दिन को काला दिवस के रुप में मनाया जाना चाहिए। गो¨वद शर्मा का कहना था कि चुनाव में आजीवन व संस्थापक सदस्यों को वोट नहीं देना चाहिए था। यह कानूनी तरीके से बिल्कुल गलत है। इसके साथ ही सेक्टर-45 आरडबल्यूए के अध्यक्ष योगेंद्र शर्मा का कहना था कि फोनरवा में ऐसे भी लोग है जो किसी आरडब्ल्यूए से नहीं जुड़े है, लेकिन बावजूद इसके वे आजीवन सदस्य है। जोकि गलत है।