मंदिर में विराजमान नहीं हो पाए लंकापति रावण, काल भैरव मूर्ति की हुई स्थापना
जागरण संवाददाता ग्रेटर नोएडा बिसरख स्थित रावण मंदिर में इस साल भी रावण की मूर्ति स्थापि
जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा : बिसरख स्थित रावण मंदिर में इस साल भी रावण की मूर्ति स्थापित नहीं हो सकी। मंदिर प्रबंधन समिति ने विजयादशमी के दिन मूर्ति स्थापित करने का दावा किया था। समिति का तर्क है कि मूर्ति तैयार न होने की वजह से कार्यक्रम स्थगित करना पड़ा। अगले साल विजयदशमी के दिन अथवा इससे पहले मंदिर प्रांगण में मूर्ति स्थापित कर दी जाएगी। मंगलवार को मंदिर प्रांगण में काल भैरव की मूर्ति स्थापित की गई है। बता दें कि राजस्थान जयपुर के शिल्पीकार रावण की मूर्ति को अंतिम रूप दे रहे हैं। समिति का दावा था कि दशहरे के दिन लंकापति रावण की मूर्ति स्थापित की जाएगी। जिसके बाद कई हिदू सामाजिक संगठनों के विरोध के सुर उभरने लगे थे। बिसरख को रावण के पिता विश्रवा ऋषि का गांव माना जाता है। मान्यता है कि लंकापति रावण का जन्म बिसरख गांव में ही हुआ था। विश्रवा ऋषि ने बिसरख गांव में एक शिवलिग की स्थापना की थी। यहां अष्टभुजा शिवलिग आज भी मौजूद है। बिसरख गांव में आज भी रामलीला का मंचन नहीं होता है। हालांकि इस बार कुछ लोगों ने रावण का पुतला दहन कर वर्षों से चली आ रही लोगों की भ्रांति को दूर करने की कोशिश जरूर की। पूर्व में मूर्ति को कर दिया गया था खंडित बिसरख गांव में रावण का मंदिर बनाया गया है। जिसमें मंदिर समिति ने रावण की मूर्ति स्थापित करने की कोशिश की थी। 11 अगस्त 2016 को मूर्ति का जीर्णोद्धार होना था, लेकिन कई सामाजिक संगठनों व महंतो ने प्रतिमा लगाने का विरोध करने के साथ रावण की मूर्ति को तोड़कर खंडित कर दिया था। जिसके बाद खंडित रावण की मूर्ति को मंदिर से हटा दिया गया था। एक पक्ष अभी भी मंदिर परिसर में प्रतिमा लगाने का विरोध कर रहा है। संगठनों ने चेतावनी दे रखी है कि बुराई के प्रतीक रावण की मूर्ति को किसी भी हालत में स्थापित नहीं होने दिया जाएगा।
-मंदिर प्रांगण में काल भैरव की मूर्ति स्थापित की गई है। रावण की प्रतिमा तैयार न होने की वजह से परिसर में रावण प्रतिमा स्थापित करने में देरी हो रही है। मूर्ति तैयार होते ही स्थापित करा दी जाएगी।
-आचार्य अशोकानंद महाराज, संस्थापक रावण मंदिर