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दूध और लिट्टी-चोखा बेचकर भोजपुरी के सुपरस्टार बनें खेसारी लाल

इरादे मजबूत और मेहनत इमानदार हो तो रंग जरूर लाती है। इसकी बड़ी मिसाल हमारे सामने भोजपुरी के सुपरस्टार व पा‌र्श्य गायक खेसारी लाल यादव हैं। करीब दस साल पहले बिहार के छपरा में दूध बेचने वाले खेसारी लाल का चयन बीएसएफ में हो गया था। लेकिन, उनके अंदर भोजपुरी गायक बनने का जुनून सवार था। उन्होंने नौकरी छोड़ दी और दिल्ली आ गए। फिर म्यूजिक एल्बम निकालने के लिए विभिन्न कंपनियों के चक्कर लगाए। इसके लिए पैसे की आवश्यकता थी। खेसारी के पास पैसे नहीं थे। इस कारण उन्हें दिल्ली के ओखला में लिट्टी-चोखा की दुकान लगा ली।

By JagranEdited By: Published: Sun, 11 Nov 2018 07:37 PM (IST)Updated: Sun, 11 Nov 2018 07:37 PM (IST)
दूध और लिट्टी-चोखा बेचकर भोजपुरी के सुपरस्टार बनें खेसारी लाल
दूध और लिट्टी-चोखा बेचकर भोजपुरी के सुपरस्टार बनें खेसारी लाल

ललित विजय, नोएडा : इरादे मजबूत और लगन सच्ची हो तो मेहनत रंग जरूर लाती है। इसकी बड़ी मिसाल हमारे सामने भोजपुरी के सुपरस्टार व पा‌र्श्व गायक खेसारी लाल यादव हैं। करीब दस साल पहले बिहार के छपरा में दूध बेचने वाले खेसारी लाल का चयन बीएसएफ में हुआ था। लेकिन, उनके अंदर भोजपुरी गायक बनने का जुनून सवार था। उन्होंने नौकरी छोड़ दी और दिल्ली आ गए। फिर म्यूजिक एलबम निकालने के लिए विभिन्न कंपनियों के चक्कर लगाए। इसके लिए पैसे की आवश्यकता थी। उनके पास पैसे नहीं थे। इस कारण उन्हें दिल्ली के ओखला में लिट्टी-चोखा की दुकान लगा ली। यहीं वह ग्राहकों को गाना भी सुनाते थे। ढाई साल तक लिट्टी-चोखा बेचकर उन्होंने रुपये जमा किये। फिर 12 हजार रुपये खर्च कर अपना पहला एलबम निकाला। खेसारी को पहली सफलता भोजपुरी एलबम माल भेटाई मेला से मिली। फिर सईयां अरब गईले गाने ने उन्हें भोजपुरी गायिकी में पहचान दिलाई। इसके बाद वर्ष 2011 में आई भोजपुरी फिल्म साजन चले ससुराल ने उन्हें रातो-रात स्टार बना दिया। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज पचास से ज्यादा हिट फिल्मों में अभिनय कर चुके खेसारी लाल यादव अपनी पृष्ठभूमि को सार्वजनिक मंच पर रखने में भी संकोच नहीं करते। शनिवार को छठ महोत्सव में शामिल होने नोएडा आए खेसारी लाल यादव ने अपने जीवन संघर्ष को मंच से जनता के सामने रखा। भाजपा दिल्ली के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने भी उनकी मेहनत की मंच से जमकर तारिफ की। पिता बेचते थे चना

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32 वर्ष के खेसारी लाल बेहद गरीब पृष्ठभूमि के हैं। उनके पिता मंगरू लाल यादव चने बेचते थे। घर की आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि खेसारी लाल और उनके सात भाइयों के पास प्रारंभिक दौर में तन ढकने के लिए कपड़े तक नहीं थे। उन्होंने अपने प्रारंभिक दौर के एलबम में महिला कलाकार का रोल अदा किया है। बेटी कृति को मानते हैं लकी

खेसारी लाल यादव बेटी कृति को लकी मानते हैं। उनका कहना है कि बेटी के जन्म के बाद ही उनका एलबम हिट हुआ था। इस कारण वह बेटी का जन्मदिन बेहद धूमधाम से मनाते हैं। परिवार में पत्नी चंदा देवी के अलावा बेटे ऋषभ लाल यादव भी हैं। खेसारी लाल बेटी कृति के साथ भी फिल्म बना रहे हैं। अश्लीलता का विरोध हो लेकिन कलाकारों पर हमला गलत

खेसारी लाल यादव पर अक्टूबर में बिहार के वैशाली में अश्लील गाना गाने का आरोप लगाकर हमला किया गया था। दरअसल, इन दिनों बिहार में अश्लीलता का आरोप लगाकर भोजपुरी गायकों का विरोध हो रहा है। उनपर हमले भी हो रहे हैं। खेसारी लाल यादव का कहना है कि वह भी अश्लीलता का विरोध करते हैं। लेकिन, कलाकारों पर बिहार में हो रहे हमले ठीक नहीं है। उनका कहना है कि कोई भी गाना बाजार में सेंसर बोर्ड से पास होकर आता है। अगर गाना अश्लील है तो सेंसर बोर्ड को उसे रिलीज करने की अनुमति ही नहीं देनी चाहिए। गहनों के शौकीन हैं खेसारी लाल

गरीबी को बेहद नजदीक से देख चुके खेसारी लाल आज भोजपुरी के सबसे महंगे गायकों में से एक हैं। वह अपनी कमाई का कुछ हिस्सा अपने लिए गहने बनवाने पर भी खर्च करते हैं। उनका कहना है कड़ी मेहनत के बाद मुकाम मिला है। मेहनत की कमाई सब घर वालों व अन्य लोगों पर खर्च हो जाती है। उसका सुख मुझे कुछ नहीं मिलता है। गहने पहनता हूं तो अहसास होता है कि मेहनत से कुछ कमाई कर रहा हूं। खेसारी लाल के सुपरहिट गानें

- सईयां अरब गईले

- मिलते मरद हमके भूल गईलू

- मरद अभी बच्चा बा

- फराक छोट हो गईल


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