अपराध के दलदल से मासूमों को निकाल रही खाकी
लोकेश चौहान नोएडा खाकी का उद्देश्य अपराधियों को कानून के जरिये सजा दिलाना और समाज क
लोकेश चौहान, नोएडा :
खाकी का उद्देश्य अपराधियों को कानून के जरिये सजा दिलाना और समाज को अपराध मुक्त करना है। अपराधियों पर लगाम लगाने के साथ खाकी का मानवीय चेहरा और उनका सामाजिक सरोकार से जुड़ा होना भी सामने आ रहा है। गांजा तस्करों के शिकंजे में आकर गांजा तस्करी का माध्यम बन रहे मासूमों को न सिर्फ अपराध के दलदल से निकाला, बल्कि उनके स्वजन को जागरूक कर उन्हें शिक्षा की ओर उन्मुख किया है। मामूरा गांव में चलाए गए विशेष अभियान के तहत चार बड़े गांजा तस्करों को जेल पहुंचाने के साथ 11 मासूम बच्चों को भी अपराध की स्याह दुनिया से बाहर निकालकर उनके लिए स्कूल जाने की राह प्रशस्त की है।
गौतमबुद्ध नगर पुलिस ने अपने सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करने के साथ अपराध पर अंकुश लगाने के लिए मामूरा गांव में गांजा तस्करों के खिलाफ विशेष अभियान चलाया था। इसमें कोतवाली फेस-3 प्रभारी जितेंद्र दिखित और चौकी प्रभारी जितेंद्र त्रिपाठी ने अहम भूमिका निभाई। तत्कालीन एसीपी के निर्देशन में चलाए गए अभियान में चार बड़े गांजा तस्कर धीरज, पवन कुमार, हाशिम और पीपी को चिह्नित किया। इनसे भारी मात्रा में गांजा बरामद कर जेल भेजा गया। इसके बाद गांजा तस्करों ने तस्करी का प्रारूप बदला और छोटे बच्चों को इस काले धंधे में शामिल कर लिया। तस्करों ने विशेष रूप से उन बच्चों को अपना निशाना बनाया, जो बाहर के रहने वाले थे और माता-पिता में से किसी एक की मौत हो गई थी, या वे अनाथ बच्चे अपने रिश्तेदारों के पास किराये के मकानों में रह रहे थे। तस्करों ने बच्चों को गांजे की पुड़िया बनाकर उनसे तस्करी करानी शुरू की। पुलिस को जब इस बारे में पता लगा तो उन्होंने ऐसे बच्चों को पकड़कर उनके स्वजन को थाने बुलाया। पहले उन्हें जागरूक किया और फिर कानून का डर दिखाकर बच्चों को तस्करी से हटाकर शिक्षित कराने का प्रयास किया। इसमें पुलिस को काफी हद तक सफलता भी मिली। गांजा तस्करी से जुड़े 11 मासूम बच्चों को अपराध की दलदल से बाहर निकाला और अब उन्हें स्कूलों में भेजने का प्रयास किया जा रहा है। मामूरा गांव में मिली सफलता के बाद अब आसपास के गांवों में भी इसी तर्ज पर पुलिस कार्रवाई कर नशे के रूप में फैल रही सामाजिक बुराई का अंत करने के लिए कमर कस चुकी है।
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खोड़ा कॉलोनी से होती है गांजे की आपूर्ति पुलिस जांच में यह बात सामने आई है कि गांजे की छोटी खेप हो या फिर बड़ी, सभी खोड़ा कालोनी के रास्ते नोएडा में पहुंचती हैं। इनमें खोड़ा के कुछ स्थानीय लोगों के साथ नोएडा में गांजे की तस्करी के लिए स्थानीय लोग ठेकेदार का काम कर रहे हैं। अब ऐसे लोगों को चिह्नित कर इस पूरे नेटवर्क की कमर तोड़ने की तैयारी है।
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100-300 रुपये रोज देते थे गांजा तस्कर
मासूमों से नशे का कारोबार कराने वाले लोग बच्चों को 100-300 रुपये प्रतिदिन देते थे। बच्चों को मिलने वाले पैसे उनको दी जाने वाली गांजे की पुड़िया पर निर्भर थी। 50 गांजे की पुड़िया बेचने पर 300 रुपये देते थे। जबकि 50 पुड़िया ग्राहकों को करीब ढाई हजार रुपये में बेची जाती थी।