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कानूनी पेच से बाहर निकला जेवर एयरपोर्ट

जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट का रास्ता पूरी तरह साफ हो गया है। एयरपोर्ट की कानूनी अड़चन सोमवार को दूर हो गई। जमीन अधिग्रहण को चुनौती देने के लिए दायर आठ याचिकाओं पर इलाहाबाद हाइकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए उन्हें खारिज कर दिया। किसानों ने हाइकोर्ट में याचिका दायर कर एयरपोर्ट के लिए हुए एसआइए (सोशल इंपेक्ट एसेसमेंट) व जमीन के चिन्हिकरण को चुनौती दी थी। एयरपोर्ट के प्रभावित कुछ किसान मुआवजा वितरण जल्द शुरु कराने के लिए हाइकोर्ट में याचिका दायर करने की तैयारी में हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 08 Apr 2019 06:59 PM (IST)Updated: Mon, 08 Apr 2019 06:59 PM (IST)
कानूनी पेच से बाहर निकला जेवर एयरपोर्ट
कानूनी पेच से बाहर निकला जेवर एयरपोर्ट

जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा: जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट का रास्ता पूरी तरह साफ हो गया है। एयरपोर्ट की कानूनी अड़चन सोमवार को दूर हो गई। जमीन अधिग्रहण को चुनौती देने के लिए दायर आठ याचिकाओं पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए उन्हें खारिज कर दिया। किसानों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर एयरपोर्ट के लिए हुए एसआइए (सोशल इंपेक्ट एसेसमेंट) व जमीन के चिह्निकरण को चुनौती दी थी। एयरपोर्ट के प्रभावित कुछ किसान मुआवजा वितरण जल्द शुरू कराने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर करने की तैयारी में हैं।

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जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पहले चरण के लिए जिला प्रशासन ने छह गांव किशोरपुर, रन्हेरा, परोही, रोही, दयानतपुर, बनबारीवास में जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया की थी। परियोजना से प्रभावित गांवों में कैंप लगाकर सत्तर फीसद ग्रामीणों की लिखित सहमति ली गई। ग्रामीणों की आपत्ति निस्तारण के बाद 26 फरवरी को जिला प्रशासन ने दो गांव रन्हेरा व परोही का अवार्ड घोषित किया। लेकिन जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया से असंतुष्ट किशोरपुर व अन्य गांव के कुछ ग्रामीणों ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में आठ याचिकाएं दायर की थीं। किच्चूराम, योगेश, ब्रजेश कुमार, जगदीश, बिशनस्वरूप, इस्लामुद्दीन, महेंद्र सिंह, डालचंद आदि ने अपनी याचिका में जेवर एयरपोर्ट के लिए (जमीन अधिग्रहण की धारा 15 एक) जमीन के चिह्निकरण, जमीन के उपयोग एवं एसआइए को चुनौती देते हुए अधिग्रहण की अधिसूचना को रद करने की मांग की थी। हाई कोर्ट में याचिका दायर होने के बाद जिला प्रशासन ने मुआवजा वितरण के कार्य को आगे बढ़ा दिया था। प्रदेश सरकार व यमुना प्राधिकरण ने हाई कोर्ट में मजबूत पैरवी की। प्राधिकरण के ओएसडी शैलेंद्र भाटिया कई दिनों तक इलाहाबाद में डेरा डाले रहे।

हाई कोर्ट ने ग्रामीणों की याचिकाओं पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। सोमवार को हाई कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया। एयरपोर्ट के लिए जीबीयू द्वारा किए गए एसआइए को हाई कोर्ट ने सही माना। हाई कोर्ट में ग्रामीणों की याचिका खारिज होने की यमुना प्राधिकरण के सीईओ डा. अरुणवीर सिंह ने पुष्टि की है। वहीं एयरपोर्ट से प्रभावित कुछ किसान मुआवजा वितरण जल्द शुरू करने की मांग को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर करने की तैयारी में हैं।


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