पांच वर्षीय बच्ची की मौत के मामले में जांच समिति गठित
शासन ने झोलाछाप अवैध अस्पताल पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। वहीं नोएडा में शहर से लेकर गांव तक इलाज का अवैध कारोबार जारी है। एलोपैथिक आयुर्वेदिक होम्योपैथिक चिकित्सा के नाम पर अनगिनत अस्पताल क्लीनिक पैथोलॉजी व फार्मेसी की भरमार हैं। जहां सस्ते की इलाज की चाहत में लोग अपनी जान से खिलवाड़ कर रहे हैं।
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जागरण संवाददाता, नोएडा :
जिला अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टरों पर लगे लापरवाही के आरोपों की जांच के लिए मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने आंतरिक जांच समिति गठित की है। जांच समिति एक हफ्ते के भीतर अपनी रिपोर्ट सीएमएस को सौंपेगी। जांच के बाद लापरवाही के दोषी डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई होगी।
जिला अस्पताल में तेज बुखार से पीड़ित पांच वर्षीय बच्ची की मंगलवार को मौत हो गई थी। बच्ची को उसकी मां अस्पताल में इलाज के लिए लेकर गई थी। आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन ने बच्ची की मां को ओपीडी में लाइन में लगा दिया, जिससे बच्ची को समय पर इलाज नहीं मिला और उसकी मौत हो गई। बच्ची के पिता ने चिकित्सकों पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए सेक्टर 20 कोतवाली में तहरीर दी है। बुधवार को इस संबंध में सीएमएस डॉ. वंदना ने चिकित्सा अधीक्षक डॉ. रेनू अग्रवाल के साथ बैठक करके आगे की कार्रवाई के लिए जांच समिति गठित की। जांच समिति में चिकित्सक अधीधक समेत अस्पताल के दो वरिष्ठ डॉक्टरों को शामिल किया गया है।
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गर्दन बचाने के लिए बंगाली डॉक्टर को बनाया निशाना : अस्पताल की आंतरिक जांच रिपोर्ट पर अभी से सवाल खड़े होने शुरू हो गए हैं। क्योंकि, प्रबंधन ने लापरवाही बरतने वाले डॉक्टरों को जांच से बचाने के लिए उस बंगाली डॉक्टर को दोषी माना है। जिसे बच्ची के स्वजन जिला अस्पताल से पहले उसके पास इलाज के लिए लेकर पहुंचे थे। प्रबंधन का मानना है कि बंगाली डॉक्टर के झांसे में आकर स्वजन ने बच्ची के इलाज में देरी की। जिससे वह गंभीर रूप से निमोनिया के चपेट में आ गई। इसलिए मुख्य चिकित्सा कार्यालय से बंगाली डॉक्टर का ब्योरा खंगाल करके कार्रवाई की मांग की है। स्वास्थ्य विभाग ने भी प्रथम ²ष्टया जांच के बाद बंगाली डॉक्टर का विभाग में नहीं होने की बात कही है।
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बच्ची की मौत के मामले में आंतरिक जांच समिति गठित की गई है। जो एक सप्ताह में अपनी जांच रिपोर्ट देगी। जांच में दो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
- डॉ. वंदना शर्मा, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, जिला अस्पताल