मतदाताओं से जुड़ने को चल रहे दिलचस्प हैशटैग
अजय चौहान नोएडा मतदाताओं को साधने के लिए इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म बड़े हथियार के तौर पर उभरा हैं। रैलियों पर पाबंदी के बाद प्रचार का भी सबसे बड़ा माध्यम बना है। पोस्टर बैनर से लेकर भाषण तक सब कुछ इंटरनेट मीडिया तक सीमित हो गया हैं। इस आभासी दंगल के भी अपने नियम हैं। इन्हीं में एक है हैशटैग।
अजय चौहान, नोएडा : मतदाताओं को साधने के लिए इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म बड़े हथियार के तौर पर उभरा हैं। रैलियों पर पाबंदी के बाद प्रचार का भी सबसे बड़ा माध्यम बना है। पोस्टर, बैनर से लेकर भाषण तक सब कुछ इंटरनेट मीडिया तक सीमित हो गया हैं। इस आभासी दंगल के भी अपने नियम हैं। इन्हीं में एक है हैशटैग। इससे इस अंतहीन सागर में भी बिना विचलित हुए अपना रास्ता बनाया जा सकता है। ऐसे में चुनावी नारे-वादे को सरपट मतदाताओं तक पहुंचाने के लिए पार्टी और प्रत्याशी हैशटैग का खूब इस्तेमाल कर रहे हैं।
गौतमबुद्धनगर की आभासी दुनिया में भी अलग-अलग प्रमुख राजनीतिक हैशटैग दौड़ रहे हैं। भाजपा समर्थक नोएडा कहे दिल से पंकज फिर से, दादरी कहे गुरु जी फिर से, जेवर बोले धीरेंद्र फिर से और मेरा विधायक मेरा अभियान के साथ अपने पोस्ट साझा कर रहे हैं। कांग्रेस नोएडा मांगे बदलाव, समाजवादी-रालोद गठबंधन नोएडा की उम्मीद सिर्फ सुनील, अबकी बार राजकुमार, शेर-ए-दादरी राजकुमार भाटी, मैं भी अवतार के साथ दम भर रही हैं। कांग्रेस पार्टी नोएडा मांगे बदलाव, जेवर मांगे मनोज चौधरी, दादरी का दीपक हैशटैग के साथ अपना कंटेंट साझा कर रही है। बहुजन समाज पार्टी आपका मनवीर भाटी, लड़ा हूं लड़ता रहूंगा के साथ ट्रेंड करने का प्रयास कर रही है।
कहानी हैशटैग की
हैशटैग (प्त) सबसे पहली बार 23 अगस्त 2007 को अस्तित्व में आया। गूगल के पूर्व कर्मचारी क्रिस मेसिना ने सर्वप्रथम इसका इस्तेमाल किया था। हैशटैग का प्रयोग एक ही विषय पर चर्चा कर रहे अलग-अलग लोगों को एक-दूसरे से जोड़ना होता है। सामाजिक, राजनीतिक मुद्दों को ट्रैंड कराने के लिए इसका इस्तेमाल होता है।