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संशोधित : तंबाकू उत्पादों के इस्तेमाल से युवाओं में बढ़ रही नपुंसकता

फोटो-27 एनडीपी-05 -तंबाकू का प्रयोग कम करने के लिए वैकल्पिक इस्तेमाल ढूंढ़ने में जुटे वैज्ञा

By JagranEdited By: Published: Mon, 27 Nov 2017 08:26 PM (IST)Updated: Mon, 27 Nov 2017 08:26 PM (IST)
संशोधित : तंबाकू उत्पादों के इस्तेमाल से युवाओं में बढ़ रही नपुंसकता
संशोधित : तंबाकू उत्पादों के इस्तेमाल से युवाओं में बढ़ रही नपुंसकता

फोटो-27 एनडीपी-05

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-तंबाकू का प्रयोग कम करने के लिए वैकल्पिक इस्तेमाल ढूंढ़ने में जुटे वैज्ञानिक

-सेलिब्रिटीज द्वारा तंबाकू-सुपारी उत्पादों का प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष विज्ञापन चिंताजनक

जागरण संवाददाता, नोएडा:

धुआं रहित(चबाने वाला) व धुआं सहित (सिगेरट, बीड़ी) तंबाकू उत्पादों के इस्तेमाल से युवाओं में नपुंसकता के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। भारत में युवा वर्ग में तंबाकू की लत अधिक होने के कारण वह तेजी से इसके शिकार हो रहे हैं। आगे चलकर इसका कुप्रभाव प्रजनन क्षमता पर भी पड़ता है। लड़कियों के चेहरे पर झुर्रियां आने के साथ गर्भवतियों का गर्भ गिरने का खतरा रहता है। इसके अलावा आंखों की रोशनी जाने का भी खतरा रहता है। इसलिए लोगों को तंबाकू व सुपारी उत्पादों के इस्तेमाल से तौबा करना होगा। यह बात धुआं रहित तंबाकू पर आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेस को दौरान कही गई।

विशेषज्ञों ने कहा कि आजकल सुपारी में ही तंबाकू के फ्लेवर मिलाकर नए-नए उत्पाद तैयार करके बेचे जा रहे हैं। कंपनियां लोगों को आकर्षित करने के लिए उन्हें धोखे में रखकर अपने उत्पाद बेच रही हैं।

सेलिब्रिटीज द्वारा प्रत्यक्ष या परोक्ष विज्ञापन पर चिंता:

इसके अलावा विभिन्न सेलिब्रिटीज द्वारा तंबाकू-सुपारी उत्पादों का प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से विज्ञापन किए जाने के प्रति भी विशेषज्ञों ने चिंता जाहिर की। इसके अलावा गत 25 नवंबर को एक भारत के उच्च संवैधानिक पद पर बैठे एक व्यक्ति द्वारा एक ऐसे कार्यक्रम में जाने को चिंताजनक व हैरानी भरा करार दिया गया, जिसकी प्रयोजक एक गुटखा कंपनी थी। विशेषज्ञों ने कहा कि एक तरफ सरकार तंबाकू उत्पादों के प्रति जागरूकता पर लाखों करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, दूसरी तरफ ऐसे सेलिब्रिटीज अभियान पर जाने-अनजाने में पानी फेर रहे हैं। सेलिब्रिटीज द्वारा इन उत्पादों के प्रत्यक्ष व परोक्ष विज्ञापन का असर सीधे तौर पर उपभोक्ताओं के दिमाग को प्रभावित करता है। व‌र्ल्ड नॉलेज हब के पूर्व कंसल्टेंट डॉ. धीरेंद्र सिन्हा ने कहा कि मुझे लगता है कि अब ऐसे उत्पादों के उत्पादन को ही बैन करने का वक्त आ गया है। इस कांफ्रेंस में प्रमुख तौर से डॉ. टिबोर जिलायी सेक्रेटैरिएट डब्ल्यूएचओ-एफसीटीसी, डॉ. जगदीश कौर, रिजनल एटवाइजर डब्ल्यूएचओ-एसईएआरओ, डॉ. प्रकाश सी गुप्ता निदेशक, हीलिस, नवी मुंबई, डॉ. मोनिका अरोड़ा अतिरिक्त निदेशक पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन व कुछ अन्य देश के विशेषज्ञों ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये भाग लिया।


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