मुद्दा : नियोजित शहर में तेजी से बढ़ी अवैध कॉलोनी, सत्ता में दखल
नोएडा भले ही नियोजित शहर हो लेकिन यहां पर गरीब मजदूरो के लिए रहने की कोई भी व्यवस्था नोएडा प्राधिकरण की ओर से नहीं की गई। इसका नतीजा यह हुआ कि नियोजित शहर में तेजी से झुग्गी झोपड़ी या कॉलोनी का विस्तार हुआ। यहीं नहीं यहां रहकर जीवन यापन करने वाले लोगों ने अपने रहने व परिवार के सिर पर छत के लिए झुग्गी व अवैध कॉलोनियों की ओर अग्रसर हो गए। यहीं कारण है कि आज शहर में एक दर्जन से अधिक अवैध कालोनियां विकसित हो चुकी है। जिसमें करीब दो लाख लोग रह रहे है जो आज देश की राजनीति में सक्रीय भूमिका भी निभा रहे है। यहीं कारण है कि वोट राजनीति के चलते इसको इधर-उधर करने दिक्कत आ रही है। नोएडा प्राधिकरण के पास ऐसी कोई पुर्नवास योजना ही नहीं है जो अवैध कॉलोनियों को नियमित कर सके या उन्हें किसी नीति के तहत उन्हें कही और विस्थापित कर सके।
जागरण संवाददाता, नोएडा : नोएडा भले ही नियोजित शहर हो, लेकिन यहां पर गरीब, मजदूरों के लिए रहने की कोई भी व्यवस्था प्राधिकरण की ओर से नहीं की गई। नतीजा यह हुआ कि नियोजित शहर में तेजी से झुग्गी झोपड़ी या कॉलोनी का विस्तार हुआ। यहीं नहीं यहां रहकर जीवन यापन करने वाले लोगों ने अपने रहने व परिवार के सिर पर छत के लिए झुग्गी व अवैध कॉलोनियों की ओर अग्रसर हो गए। यहीं कारण है कि आज शहर में एक दर्जन से अधिक अवैध कालोनियां विकसित हो चुकीं हैं। जिसमें करीब दो लाख लोग रह रहे हैं, जो आज देश की राजनीति में सक्रिय भूमिका भी निभा रहे हैं। यहीं कारण है कि वोट राजनीति के चलते इसको इधर-उधर करने दिक्कत आ रही है। नोएडा प्राधिकरण के पास ऐसी कोई पुर्नवास योजना ही नहीं है, जो अवैध कॉलोनियों को नियमित कर सके या उन्हें किसी नीति के तहत उन्हें कही और विस्थापित कर सके।
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कहां-कहां हैं झुग्गियां :
जगह मकान निवासी (लगभग)
सेक्टर-4,5,7,8 2700 20 हजार
सेक्टर-16, 17 300 10 हजार
सेक्टर-122 200 15 हजार
हरनंदी का डूब क्षेत्र 2000 50 हजार
सलारपुर 3000 40 हजार
सेक्टर-45 2000 25 हजार
सोरखा 2000 25 हजार
सर्फाबाद 1000 15 हजार