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वीरान जमीन को पसीने से सींचकर बना दिया गुलशन

पारुल रांझा नोएडा मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंजिल मगर लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया। मशहूर शायर मजरूह सुल्तानपुरी का यह उम्दा शेर नोएडा सेक्टर-51 के निवासियों की ओर से पेश की गई स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण की मिसाल पर सटीक बैठता है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 11 Apr 2021 10:30 PM (IST)Updated: Sun, 11 Apr 2021 10:30 PM (IST)
वीरान जमीन को पसीने से सींचकर बना दिया गुलशन
वीरान जमीन को पसीने से सींचकर बना दिया गुलशन

पारुल रांझा, नोएडा : मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंजिल मगर, लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया। मशहूर शायर मजरूह सुल्तानपुरी का यह उम्दा शेर नोएडा सेक्टर-51 के निवासियों की ओर से पेश की गई स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण की मिसाल पर सटीक बैठता है। आज इन लोगों की मेहनत और कुछ कर गुजरने का जज्बा ही है कि जहां एक साल पहले तक खाली प्लाट पर केवल झाड़ियां व कूड़े के ढेर दिखते थे, आज भरपूर हरियाली है। खाली प्लाट के सुंदरीकरण में कोई सरकारी सहायता नहीं ली गई। यहां की आरडब्ल्यूए व निवासियों ने खुद ही करीब 10 खाली प्लाट को गोद लेकर उनकी साफ-सफाई कर हरा-भरा बना दिया। आज प्लाट सब्जियों व विविध फूल, फलदार व एयर प्यूरीफायर पौधों से आच्छादित हैं। सामूहिक प्रयासों से बदली बंजर भूखंडों की स्थिति : सेक्टर-51 ए, बी ब्लाक की आरडब्ल्यूए अध्यक्ष अनीता जोशी ने बताया कि कोरोना के चलते खुशहाल जिदगी घरों में कैद हो गई। ऐसे में उन्होंने इस समय में कुछ नया करने की सोची। करीब एक वर्ष पहले निरंतर सफाई का काम शुरू कर दिया गया। खाली प्लाट में पड़ी गंदगी व झाड़ियां साफ कराई गई। योजना बनाई कि यहां पेड़-पौधे लगाकर सुंदरीकरण कराया जाए। सभी के सामूहिक प्रयासों से पूरी तरह से खाली भूखंडों की स्थिति बदल गई है। अब निवासियों ने उनमें से कुछ पर सब्जियां उगाना शुरू कर दिया है। बता दें कि सेक्टरवासियों के इस प्रयास की सराहना ट्विटर के जरिये केंद्र के शहरी विकास मंत्रालय ने भी की है। यहां करीब 50 प्रकार के पौधे लगे हैं। इनमें नीम व जामुन भी शामिल हैं। पेड़-पौधों की सिचाई के लिए समर्सिबल का भी इंतजाम है। कबाड़ का निकाला जुगाड़ : बता दें कि सेक्टर-51 में आरडब्ल्यूए द्वारा सेक्टर व आसपास की झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले बच्चों के लिए कार्यशाला आयोजित की जाती है। इसमें टूटी-फूटी, बेकार चीजों से दोबारा इस्तेमाल कर रोचक व सजावटी सामान बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता है। आरडब्ल्यूए व झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले नन्हें बच्चे कबाड़ से सेक्टर को संवार रहे हैं। किसी ने पुराने टायर को सजाकर पेड़ पर लटकाया है, तो कुछ बच्चों ने प्लास्टिक की खाली बोतलों को फूलदान में बदल दिया है। यहां निवासियों के घरों से निकलने वाले कबाड़ को रिसाइकिल व रीयूज करने को अपनी जीवनशैली में शामिल कर लिया है। इसके लिए नोएडा प्राधिकरण ने इन बच्चों को ट्रेश टू ट्रेजर, बिन टू ब्यूटी के लिए सम्मानित किया था।

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