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महिलाओं को स्वावलंबी बनाने में स्वयं सहायता समूह कारगर योजना

स्कूली बच्चों की ड्रेस सिलने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन स्वयं सहायता समूहों को सौंपेगा। स्वयं सहायता समूहों में शामिल महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जिला प्रशासन ने यह फैसला लिया है। विकास भवन सभागार में रविवार को जनसंवाद कार्यक्रम आयोजित हुआ। आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता सीडीओ अनिल कुमार ¨सह ने की।

By JagranEdited By: Published: Sun, 06 Jan 2019 07:58 PM (IST)Updated: Sun, 06 Jan 2019 07:58 PM (IST)
महिलाओं को स्वावलंबी बनाने में स्वयं सहायता समूह कारगर योजना
महिलाओं को स्वावलंबी बनाने में स्वयं सहायता समूह कारगर योजना

जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा : आज की महिलाओं का काम केवल घर गृहस्थी संभालने तक सीमित नहीं रह गया है। वे अपनी उपस्थिति हर क्षेत्र में दर्ज करा रही है। हर क्षेत्र में महिलाओं ने साबित करके दिखा दिया है कि वे हर काम करके दिखा सकती है, जो पुरुष समझते हैं कि वहां केवल उनका ही वर्चस्व है। यह बातें विकास भवन सभागार में सीडीओ अनिल कुमार ¨सह ने स्वयं सहायता समूहों के साथ आयोजित जन संवाद कार्यक्रम के दौरान कहीं। उन्होंने कहा कि समय बदल जाने के बाद भी पुरुष आज भी महिलाओं को बराबरी का दर्जा देना पसंद नहीं करते हैं। ग्रामीण अंचलों में महिलाएं सामाजिक बंधनों की इतनी आदि हो गई हैं कि वे उसी को अपनी नियति समझकर बैठ गई है। ऐसी महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए स्वयं सहायता समूह कारगर योजना है। जिला प्रशासन योजना के तहत महिलाओं को और भी सशक्त बनाने की दिशा में काम करेगा। इसके लिए प्रशासन ने कवायद शुरू कर दी है।

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स्वयं सहायता समूहों को दी जाएगी ड्रेस सिलने की जिम्मेदारी

परिषदीय स्कूलों में बच्चों को ड्रेस व किताबें उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन की है। एक बच्चे की ड्रेस सिलाने के एवज में प्रशासन ढाई सौ रुपये वहन करता है। जिला प्रशासन ने स्वयं सहायता समूह में शामिल महिलाओं से बच्चों की ड्रेस सिलाने का फैसला लिया है। जिले में मौजूदा समय में परिषदीय स्कूलों में करीब 82 हजार बच्चे अध्यन्नरत हैं, जिनके जरिए महिलाओं को आत्मनिर्भर व आमदनी बढ़ाने की प्रशासन ने योजना बनाई है। जिला प्रशासन ने परिषदीय स्कूलों में बच्चों की ड्रेस सिलने की जिम्मेदारी स्वयं सहायता समूहों को सौंप दी है। हस्त निर्मित उत्पादों को बड़े प्लेटफार्म पर बेचने का दिया जाएगा मौका

स्वयं सहायता समूह में हस्त निर्मित उत्पादों को बड़े प्लेटफार्म पर प्रदर्शित करने व बेचने का मौका दिया जाएगा। इसके लिए जिला प्रशासन ने कार्ययोजना तैयार की है। विभिन्न राज्यों में लगने वाले हस्त निर्मित मेलों में महिलाओं द्वारा निर्मित सामानों की स्टॉल लगाई जाएगी। बता दें कि जिले में 16 स्वयं सहायता समूह इन दिनों सिलाई व कढ़ाई का काम कर रहे हैं। प्रत्येक समूह में करीब 12 से 15 महिलाएं शामिल हैं।


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