ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करेगा पुनर्विचार याचिका
आम्रपाली बिल्डर मामले में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण सु्प्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करेगा। इसकी तैयारी हो चुकी है। यह याचिका आम्रपाली मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले दाखिल की जाएगी। ताकि अगली सुनवाई में इसे भी शामिल कर लिया जाए। प्राधिकरण आम्रपाली बिल्डर पर अपनी बकाया रकम वसूलना चाहता है।
जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा: आम्रपाली बिल्डर मामले में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करेगा। इसकी तैयारी हो चुकी है। यह याचिका आम्रपाली मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले दाखिल की जाएगी। ताकि अगली सुनवाई में इसे भी शामिल कर लिया जाए। प्राधिकरण आम्रपाली बिल्डर पर अपनी बकाया रकम वसूलना चाहता है।
आम्रपाली बिल्डर पर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का 3680 करोड़ रुपये बकाया है। प्राधिकरण ने पांच परियोजनाओं के लिए बिल्डर को 305 एकड़ जमीन आवंटित की थी। इसके एवज में बिल्डर ने प्राधिकरण को केवल 376 करोड़ रुपये का ही भुगतान किया है। बिल्डर से बकाया रकम वसूलने के लिए प्राधिकरण की पूरी उम्मीद सुप्रीम कोर्ट पर टिकी थी। जहां से प्राधिकरण को करारा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली बिल्डर की परियोजनाओं में फंसे फ्लैट खरीदारों का राहत देते हुए एनबीसीसी (नेशनल बिल्िडग कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन) को अधूरी परियोजना को पूरा करने की जिम्मेदारी सौंप दी। लेकिन प्राधिकरण के खाते में कुछ नहीं आया है। अधूरी परियोजना को पूरा करने के लिए बिल्डर की जिन संपत्ति को बेचा जाएगा। उसके अलावा कोई ऐसी बड़ी संपत्ति नहीं है, जिससे प्राधिकरण अपनी बकाया रकम की वसूली कर सके। बिल्डर की शेष संपत्ति से केवल तीन सौ से चार सौ करोड़ रुपये मिलने की ही उम्मीद है। इसमें बैंक भी हिस्सेदार होगा, जिसने बिल्डर को ऋण दे रखा है।
आम्रपाली मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद प्राधिकरण को शासन से भी फटकार मिली है। इसके बाद प्राधिकरण का बिल्डरों को लेकर रुख सख्त हो गया है।
आम्रपाली बिल्डर से अपनी बकाया रकम वसूलने के लिए प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की तैयारी कर ली है। यह याचिका जल्द ही दाखिल की जाएगी। आम्रपाली बिल्डर मामले में सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई नौ अगस्त को होनी है। प्राधिकरण की कोशिश है कि इससे पहले ही याचिका दाखिल कर दी जाए, जिससे की अगली सुनवाई में कोर्ट उसकी याचिका को भी शामिल कर ले और प्राधिकरण के हक में कोई बात बन जाए।
अब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप