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पुनर्विस्थापित साइट में नहीं मिल सकीं बुनियादी सुविधाएं

विधानसभा चुनाव में सभी प्रमुख पार्टियों द्वारा अपने प्रत्याशियों की सूची जारी क

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 Jan 2022 07:22 PM (IST)Updated: Sat, 15 Jan 2022 11:47 PM (IST)
पुनर्विस्थापित साइट में नहीं मिल सकीं बुनियादी सुविधाएं
पुनर्विस्थापित साइट में नहीं मिल सकीं बुनियादी सुविधाएं

संवाद सहयोगी, जेवर:

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विधानसभा चुनाव में सभी प्रमुख पार्टियों द्वारा अपने प्रत्याशियों की सूची जारी करने के बाद लोगों ने अपने पसंदीदा प्रत्याशियों की गुना-भाग करना शुरू कर दिया है। साथ ही उनके लिए चुनावी माहौल बनाना शुरू कर दिया है। दैनिक जागरण की टीम ने जेवर बांगर स्थित पुनर्विस्थापित साइट की पाकेट पांच, छह, सात स्थित गांव दयानतपुर खेड़ा, नंगला छीतर व नंगला शरीफ खां में सामूहिक चुनावी चौपाल का आयोजन किया, जिसमें भाजपा शासन काल के ड्रीम प्रोजेक्ट जेवर एयरपोर्ट की वजह से विस्थापित ग्रामीणों का दर्द छलकता दिखाई दिया। मुआवजा मिलने में हुई परेशानी को अभी ग्रामीण भुला नहीं पाए हैं। उधर पुनर्विस्थापित साइट में निवासियों को बिजली, पानी व शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं, धार्मिक स्थल तथा कब्रिस्तान व श्मशान की कमी से भी जूझना पड़ रहा है। किसानों की आय का साधन खेतीबाड़ी व पशुपालन भी उजड़ने से उनके सामने रोजगार की समस्या पैदा हो गई है। ग्रामीणों ने मन बनाया हुआ है कि जो प्रत्याशी समस्याओं का समाधान कराए ऐसे जनप्रतिनिधि को चुनने का काम करेंगे। भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र में चार गुना मुआवजा मिलना चाहिए था। जनप्रतिनिधियों ने एयरपोर्ट दूसरे स्थान पर जाने के भय दिखाकर किसानों को उनका हक नहीं मिलने दिया।

-पवन कुमार, निवासी दयानतपुर खेड़ा किसान खेतीबाड़ी व पशुपालन कर परिवार का भरण पोषण करते हैं। अधिग्रहण के बाद किसानों के आय के साधन समाप्त हो गए। अब उनके सामने रोजगार का संकट मंडरा रहा है। -श्रीपाल सिंह, निवासी दयानतपुर खेड़ा देश व क्षेत्र के विकास के लिए अपने हक की परवाह किए बगैर अपनी जमीन व घरों को कुर्बान किया था। उसके बाद ग्रामीणों को पुनर्विस्थापित साइट में बिजली, पानी व शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए परेशान होना पड़ रहा है।

-यामीन, निवासी नंगला छीतर ग्रामीणों के बार-बार जनप्रतिनिधियों को समस्याओं से अवगत कराने के बाद भी साइट में धार्मिक स्थल, कब्रिस्तान व श्मशान घाट की कमी से जूझना पड़ रहा है।

-हमीद, निवासी नंगला शरीफ खां


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