भीषण गर्मी में भी ओखला पक्षी विहार में जमे हुए हैं ग्रेटर फ्लेमिगो
उड़ीसा और गुजरात के दलदल व कम तापमान वाले इलाकों में रहने वाले ग्रेटर फ्लेमिगो पक्षी भीषण गर्मी के बावजूद ओखला पक्षी विहार की शोभा बढ़ा रहे है। तापमान करीब 45 डिग्री पहुंचने से जहां सभी परेशान हैं वहीं ग्रेटर फ्लेमिगो पक्षी विहार में अठखेलियां कर रहे हैं। यह पहला मौका है जब नवंबर में आए फ्लेमिगो अभी तक ओखला से अपने घर वापस नहीं लौटे हैं। करीब 35 डिग्री तक तापमान सहने की क्षमता वाले यह पक्षी पक्षी प्रेमियों के लिए आकर्षक का केंद्र बने हुए हैं।
सुरेंद्र राम, नोएडा
ओडिशा और गुजरात के दलदल व कम तापमान वाले इलाकों में रहने वाले ग्रेटर फ्लेमिगो पक्षी भीषण गर्मी के बावजूद ओखला पक्षी विहार की शोभा बढ़ा रहे हैं। तापमान करीब 45 डिग्री पहुंचने से जहां सभी परेशान हैं, वहीं ग्रेटर फ्लेमिगो पक्षी विहार में अठखेलियां कर रहे हैं। यह पहला मौका है, जब नवंबर में आए फ्लेमिगो अभी तक ओखला से अपने घर वापस नहीं लौटे हैं। करीब 35 डिग्री तक तापमान सहने की क्षमता वाले यह पक्षी आकर्षक का केंद्र बने हुए हैं।
ग्रेटर फ्लेमिगो मूलरूप से ओडिशा व गुजरात के कम तापमान व दलदली इलाकों में पाए जाते हैं। यह पक्षी जाड़े का मौसम शुरू होने पर नवंबर से फरवरी तक दूसरे स्थानों पर प्रवास करने चले जाते हैं। जून से सितंबर तक इनके प्रजनन का समय होता है। इसलिए यह पक्षी मार्च तक हर हाल में वापस चले जाते हैं। ओखला पक्षी विहार में दक्षिण अफ्रीका से भी कुछ ग्रेटर फ्लेमिगो पक्षी आते हैं, लेकिन वे फरवरी के बाद नहीं रुकते हैं। वन विभाग का कहना है कि ओडिशा व गुजरात से 200 से 250 की संख्या में ग्रेटर फ्लेमिगो नवंबर 2018 में प्रवास करने आए थे। इन्हें फरवरी तक लौट जाना चाहिए था, लेकिन अभी तक नहीं गए हैं। वन विभाग के साथ पक्षी प्रेमी भी इन्हें देख कर हैरान हैं। दलदली भूमि व भोजन की उपलब्धता बड़ी वजह
वन विभाग ने ओखला पक्षी विहार के सुंदरीकरण को लेकर काफी काम किया है। पक्षी विहार में जलकुंभी की सफाई कर दी गई है। पक्षियों के बैठने के लिए अलग से फ्लोटिग आइलैंड बनाए गए हैं। पक्षी विहार में छोटे-छोटे छायादार पौधे व दलदली भूमि से तापमान सामान्य बना हुआ है। झील व पानी के बहाव में मौजूद छोटी-छोटी मछलियां व सैवाल इन्हें खाने के लिए आसानी से उपलब्ध हैं। जून के आखिर तक वापस लौट जाने की संभावना
वन विभाग का कहना है कि आसपास के ज्यादातर वैटलैंड सूख चुके हैं। भोजन नहीं मिलने की वजह से ही यह पक्षी अभी तक रुके हैं। मादा पक्षी गर्भ से हैं और जुलाई में प्रजनन करेंगे। चूंकि सभी झुंड में कहीं जाते हैं। इसलिए वे प्रजनन से पहले चले जाएंगे। क्योंकि वयस्क फ्लेमिगो यहां का तापमान बर्दाश्त कर लेंगे, लेकिन बच्चे नहीं कर पाएंगे। बच्चों का शरीर 20 से 25 डिग्री तापमान ही सहन कर सकता है। ग्रेटर फ्लेमिगो को फरवरी-मार्च तक वापस चला जाना चाहिए था। पहली बार वे अभी तक रुके हुए हैं। उन्हें यहां अच्छा वातावरण व भोजन मिल रहा है। उनके अभी तक रुकने से विभाग भी काफी उत्साहित है। इन्हें देखने के लिए काफी संख्या में पक्षी प्रेमी आ रहे हैं।
- प्रमोद कुमार श्रीवास्तव, प्रभागीय वनाधिकारी, गौतमबुद्ध नगर
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