जिम्स के कार्यदायी एजेंसी पर गिरेगी लापरवाही की गाज
राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) के कार्यदायी एजेंसियों पर कार्य में शिथिलता बरतने के कारण लापरवाही की गाज गिर सकती है। आयुर्विज्ञान संस्थान ने एजेंसी के कामकाज का ब्यौरा बना कर शासन को प्रस्ताव भेज दिया है। इस बारे में कई रिमांइडर कार्यदायी एजेंसी को भी पूर्व में भेजी जा चुकी है। संस्थान के निदेशक ब्रिगेडियर डा. आरके गुप्ता ने यह फैसला एजेंसी में काम करने वाले कर्मचारी व यहां उपचार के लिए आने वाले मरीजों के हितों को ध्यान में रखते हुए लिया है। कासना स्थित राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान में करीब छह महीने पहले उत्तर प्रदेश लघु उद्योग निगम के माध्यम से प्रदेश सरकार ने नौ एजेंसियों को यहां कार्यदायी एजेंसी के रूप में आउटसोर्सिंग के तहत मानव संसाधन मुहैया कराने की जिम्मेदारी सौंपी थी।
रणजीत मिश्रा, ग्रेटर नोएडा : राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) की कार्यदायी एजेंसियों पर कार्य में शिथिलता बरतने के कारण लापरवाही की गाज गिर सकती है। आयुर्विज्ञान संस्थान ने एजेंसी के कामकाज का ब्यौरा बना कर शासन को प्रस्ताव भेज दिया है। इस बारे में कई रिमांइडर कार्यदायी एजेंसी को भी पूर्व में भेजी जा चुके हैं। संस्थान के निदेशक ब्रिगेडियर डा. आरके गुप्ता ने यह फैसला एजेंसी में काम करने वाले कर्मचारी व यहां उपचार के लिए आने वाले मरीजों के हितों को ध्यान में रखते हुए लिया है।
कासना स्थित राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान में करीब छह महीने पहले उत्तर प्रदेश लघु उद्योग निगम के माध्यम से प्रदेश सरकार ने नौ एजेंसियों को यहां कार्यदायी एजेंसी के रूप में आउटसोर्सिंग के तहत मानव संसाधन मुहैया कराने की जिम्मेदारी सौंपी थी। करीब चार माह पहले विभिन्न एजेंसियों ने यहां मानव संसाधन मुहैया कराना शुरू कर दिया। नौ में कुछ एजेंसी कामकाज में रूचि नहीं ले रही हैं। इससे संस्थान में कामकाज प्रभावित होने लगा है। संस्थान के प्रशासनिक अधिकारी डा. अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि संस्थान में व्यवस्था बनाए रखने के लिहाज से कई बार एजेंसी के प्रतिनिधि को बातचीत के लिए बुलाया गया, लेकिन प्रतिनिधियों ने इसे टाल दिया। हालात यहां तक आ गए कि यहां आउटसोर्स पर तैनात वार्ड ब्वॉय, नर्स, स्वीपर, स्टोर कीपर, तकनीशियन आदि को तीन-तीन माह की सैलरी नहीं दी गई। संस्थान के निदेशक ने एजेंसी के प्रतिनिधियों को पिछले सैलरी को क्लीयर कर इनके ईपीएफ, इएसआइ की डिटेल मांगी है। आरोप है कि एजेंसी ने इन कर्मचारियों की सैलरी भी नहीं बना कर दी है। इस वजह से आउटसोर्स के कर्मचारियों की सैलरी भी अटकी हुई है। दो एजेंसी सिलिकॉन व बालाजी के खिलाफ लापरवाही बरतने के मामले में शासन को पत्र लिख कर सेवा समाप्त करने की मांग की है। साथ ही इन एजेंसियों में कार्यरत कर्मचारियों को अन्य एजेंसी में मर्ज करने की इजाजत मांगी है। शासन से अनुमति मिलने के बाद कार्य में शिथिलता बरतने वाली एजेंसियों पर गाज गिर सकती है।