जल संरक्षण : पानी और कृषि को गुजरात के किसानों ने बनाया साथी
रणजीत मिश्रा, ग्रेटर नोएडा : डगमगाते मछली के कारोबार को संवारने के लिए गुजरात के किसा
रणजीत मिश्रा, ग्रेटर नोएडा : डगमगाते मछली के कारोबार को संवारने के लिए गुजरात के किसानों ने वाटर एग्रीकल्चर (झींगा मछली) का दामन थाम कर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूती देने का प्रयास कर रहे हैं। किसान जल संरक्षण को भी बढ़ावा दे रहे हैं। किसान पानी को स्टोर कर इसमें एग्रीकल्चर कर रहे हैं। कई एकड़ जमीन में आर्टिफिशियल तालाब बनाकर मछली पालन किया जा रहा है। शुरुआत करने वाले दो सगे भाइयों ने वाटर एग्रीकल्चर के स्वरूप को ग्रेटर नोएडा एक्सपो मार्ट में चल रहे दो दिवसीय इंडस फूड प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया है।
गुजरात के नवसारी के रहने वाले मनीष व चेतन टंडेल दो सगे भाई ने मिल कर इसकी शुरुआत महज चार एकड़ जमीन पर वाटर एग्रीकल्चर का काम शुरू किया था। वर्तमान में करीब 220 एकड़ में वाटर एग्रीकल्चर कर न सिर्फ कई लोगों को भविष्य संवारने के लिए प्रेरित किया, बल्कि रोजगार के अवसर भी पैदा किए। उन्होंने बताया बड़ौदा व सूरत में विलय के कारण यहां खेती का कार्य काफी प्रभावित हुआ। यह कारोबार वर्तमान समय में तेजी से फल-फूल रहा है। इंडस फूड प्रदर्शनी में चेतन टंडेल ने कहा कि धीरे-धीरे गुजरात के लोगों ने इसे अपना पेशा बना रहे हैं। इस कारोबार में कई किसानों ने अपना भविष्य संवारना शुरू कर दिया है। इसके लिए गुजरात सरकार भी सब्सिडी दे रही है। गुजरात में करीब 89341 हेक्टेयर भूमि पर वाटर एग्रीकल्चर का काम शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है। करीब 7020 हेक्टेयर जमीन सरकार ने वाटर एग्रीकल्चर के लिए अलाट भी कर दिया है। कुल मछली उत्पादन का करीब 80 से 90 फीसद मछली यूएस को निर्यात किया जा रहा है।