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बिल्डर के पास फंसी है किसानों की बढ़ी मुआवजा राशि, प्राधिकरण वसूलने में नाकाम

प्राधिकरण की सामंजस्य बनाकर सब को साधने की कोशिशें फिलहाल नाकाम साबित हो रही हैं। यही वजह है कि आए दिन बढ़ी दर 64.7 प्रतिशत की दर से मुआवजा व 10 प्रतिशत विकसित जमीन को लेकर किसानों के प्राधिकरण पर धरने हो रहे है। यदि प्राधिकरण बिल्डरों से किसानों के मुआवजें की भरपाई कराने वाली नीति पर कायम रहता तो ऐसा स्थिति न आती। हालांकि वह किसान जो कोर्ट गए इसके साथ 2002 के बाद के किसानों को बढ़ी दर से मुआवजा दे दिया गया। सवाल यहां 10 प्रतिशत विकसित जमीन का है। प्राधिकरण के पास जमीन है नहीं और न ही वित्तीय स्थिति। यही स्थिति वर्तमान में बिल्डरों की भी है। इस मसौदे को हल करने के लिए विकल्प तलाश कर आगामी बोर्ड बैठक में रखा जा सकता है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 16 Feb 2019 09:49 PM (IST)Updated: Sat, 16 Feb 2019 09:49 PM (IST)
बिल्डर के पास फंसी है किसानों की बढ़ी मुआवजा राशि, प्राधिकरण वसूलने में नाकाम
बिल्डर के पास फंसी है किसानों की बढ़ी मुआवजा राशि, प्राधिकरण वसूलने में नाकाम

कुंदन तिवारी, नोएडा : प्राधिकरण की सामंजस्य बनाकर सबको साधने की कोशिशें फिलहाल नाकाम साबित हो रही हैं। यही वजह है कि आए दिन बढ़ी दर 64.7 प्रतिशत की दर से मुआवजा व 10 प्रतिशत विकसित जमीन को लेकर किसानों के प्राधिकरण पर धरने हो रहे हैं। यदि प्राधिकरण बिल्डरों से किसानों के मुआवजे की भरपाई कराने वाली नीति पर कायम रहता तो ऐसा स्थिति न आती। हालांकि वह किसान जो कोर्ट गए उन्हें 2002 के बाद के किसानों को बढ़ी दर से मुआवजा दे दिया गया। सवाल यहां 10 प्रतिशत विकसित जमीन का है। प्राधिकरण के पास न जमीन है और न ही वित्तीय स्थिति। यही स्थिति वर्तमान में बिल्डरों की भी है। इस मसौदे को हल करने के लिए विकल्प तलाश कर आगामी बोर्ड बैठक में रखा जा सकता है।

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2017 में एक मसौदा तैयार किया गया। जिसके तहत किसानों से जमीन अधिग्रहित करने के बाद बिल्डरों को आवंटित की गई है। इस वजह से अतिरिक्त मुआवजे की भरपाई भी मौजूदा आवंटी यानी बिल्डर को करनी होगी। ऐसी जमीनों का आकलन किया गया। बिल्डरों को नोटिस जारी किए गए और तीस दिन का समय दिया गया। बताया गया कि कुछ बिल्डरों ने अतिरिक्त मुआवजे की रकम प्राधिकरण को दी।

विभागीय सूत्रों के अनुसार 4.4 रुपये से लेकर 1000 रुपये प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से बिल्डरों को रकम देनी थी। परियोजना के क्षेत्रफल के हिसाब से प्रत्येक बिल्डर पर 2 से 5 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार था। किसानों को करीब 900 करोड़ रुपए दिए जाने थे। यह वह रकम थी जो बढ़े मुआवजे के बाद की थी। बिल्डरों से कुछ पैसा व अपने स्तर पर प्राधिकरण ने 2002 के बाद व अदालत गए किसानों को बढ़ी दर से मुआवजा दे दिया, लेकिन 10 प्रतिशत जमीन नहीं दे सके। फिलहाल आगामी बोर्ड बैठक में किसानों के लिए बेहतरी के प्रयास किए जाएंगे ऐसे संकेत प्राधिकरण ने दे दिए हैं। हालांकि किसान नेता सुखवीर खलीफा ने स्पष्ट कर दिया है कि प्राधिकरण ने किसानों से बेमानी की है। किसानों की जमीनों पर अतिक्रमण लगाकर उनके साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया गया। हम सभी किसान बढ़ी दर से मुआवजा व 10 प्रतिशत विकसित जमीन लेकर रहेंगे। विकसित जमीन के बदले धनराशि देने की बनाई योजना

प्राधिकरण ने किसानों के सामने विकल्प रखा कि वह 10 प्रतिशत विकसित जमीन के बदले धनराशि ले सकते है। ऐसे में किसानों को अब तक न तो पैसा दिया गया न ही जमीन। यही नहीं 10 की बजाए 5 प्रतिशत विकसित भूखंड ही दिए गए। प्राधिकरण अब बिल्डरों पर दबाव बनाकर यह अतिरिक्त पैसा निकलवाने की कोशिश में है। ताकि किसानों को उनका हक दिया जा सके।

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बिल्डर पर कई हजार करोड़ बकाया

भूखंड आवंटन के दौरान बिल्डरों ने कुल लागत का महज 10 प्रतिशत पैसा ही प्राधिकरण के खाते में जमा किया था। शेष की किस्तें बना दी गई। किस्ते देना बंद कर दिया गया। ऐसे में करीब 20 हजार करोड़ रुपए बिल्डरों पर बकाया हो गया। यह व अतिरिक्त मुआवजे की रकम यदि बिल्डर प्राधिकरण के खाते में जमा कर दे तो समस्या दूर हो सकती है। इसको लेकर प्राधिकरण की ओर से कई बार नोटिस जारी किए गए लेकिन वह जस के तस है। क्या है वर्तमान स्थिति

अदालत व 2002 के बाद के ही नहीं बल्कि ऐसे सभी किसान जिनकी जमीन अधिग्रहीत की गई। उनको बढ़ी दर से मुआवजा दिया जाए। साथ ही उन सभी को 10 प्रतिशत विकसित जमीन दी जाए। इसको लेकर प्राधिकरण अधिकारी भी असमंजस में हैं। फिलहाल 20 फरवरी को होने वाली बोर्ड बैठक में किसानों को सौगात मिल सकती है। इसकी तैयारी प्राधिकरण की ओर से की जा रही है।


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