आयात शुल्क जीएसटी बचाने को हवाला कारोबारियों का सहारा
कालाधन मामले में जिनके नाम अब तक सामने आए हैं उन सभी की प्रापर्टी व्यवसाय आयकर रिटर्न सहित चल-अचल संपत्ति का ब्योरा आयकर विभाग खंगाल रहा है। माना जा रहा है कि इसके तार कर चोरी के साथ ही हवाला कारोबार से भी जुड़े हो सकते है।
कुंदन तिवारी, नोएडा : स्टेटिक्स सर्विलांस टीम (एसएसटी) ने विधानसभा चुनाव के दौरान जो कालाधन पकड़ा था, उसका एक छोर पकड़कर अब कालेधन के कुबेरों की खोज में आयकर विभाग की कई टीम निकल चुकी हैं। कालाधन मामले में जिनके नाम अब तक सामने आए हैं, उन सभी की प्रापर्टी, व्यवसाय, आयकर रिटर्न सहित चल-अचल संपत्ति का ब्योरा आयकर विभाग खंगाल रहा है। माना जा रहा है कि इसके तार कर चोरी के साथ ही हवाला कारोबार से भी जुड़े हो सकते है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि जिस फार्च्यूनर से करीब एक करोड़ रुपये एसएसटी ने जांच के दौरान पकड़ा था। आशंका थी कि इस कालाधन का इस्तेमाल विधानसभा चुनाव में हो सकता है। जब फार्च्यूनर चालक से पूछताछ की गई, तो उसने बताया कि यह धन दिल्ली के एक कपड़ा व्यापारी के यहां से उठाया था। हालांकि उस व्यापारी ने यह पैसा खुद का होने से इन्कार कर अपने मित्र का बताया। वहीं उस मित्र ने भी धन खुद का न होने की बात कही। वह मित्र नौकरी करते हैं। ऐसे में उनके सेल कंपनियों के साथ संलिप्तता के तार को खंगाला जा रहा है। ऐसे में वाहन मालिक से पड़ताल की गई तो उन्होंने धन तो छोड़िए, वाहन तक की मालकिन होने से इन्कार कर दिया। उन्होंने बताया कि इन लोगों के पास मकान का पता नहीं था। ऐसे में मेरे नाम से वाहन खरीद लिया है। वहीं इस जांच में अधिकारियों को यह पता चल गया कि वे आयात-निर्यात कारोबार से जुड़ी हैं। ऐसे में फार्च्यूनर चालक से मिली जानकारी में यह तथ्य सामने आया है कि दिल्ली-एनसीआर के औद्योगिक इकाइयों में चीन, ताइवान, जर्मनी, यूएसए, स्पेन, कनाडा से कम बिल पर कच्चा माल आयात हो रहा है। यह कच्चा माल ऐसे-वैसे व्यापारियों के नाम पर मंगवाया जाता है। पोर्ट पर उतरने के बाद जब नोएडा स्थित दादरी, दिल्ली स्थित तुगलकाबाद और पटपड़गंज में कच्चा माल पहुंच जाता है, तब कारोबारी अधिकारियों से सांठ-गांठ कर आयातित कुल माल को कम बिल पर आयात शुल्क चुकाकर उठा लेते हैं। बाद में कम बिल पर आए माल के रकम का भुगतान करने के लिए नकद पैसा हवाला कारोबार से जुड़े एजेंट के माध्यम से कच्चा माल भेजने वाली कंपनी के पास भेज दिया जाता है। इससे कारोबारी कम आयात शुल्क पर ही जीएसटी चुकाता है। इससे कारोबार कर जितना मुनाफा नहीं कमाया जा सकता है, उससे कही अधिक टैक्स चोरी से रकम बना ली जाती है। बाद में यह माल नकद बेचकर कालाधन जमा किया जाता है। इसे हवाला एजेंटों के जरिए मामूली कमीशन पर कारोबारी कालाधन को सफेद धन में बदलवा लेते हैं। यह कार्य देश में संचालित सेल कंपनियों के माध्यम से विदेश तक में हो रहा है। इसमें नोएडा समेत एनसीआर में पूरा ¨सडीकेट कार्य कर रहा है। पूरे ¨सडीकेट का पता लगाने का काम आयकर की टीम ने शुरू कर दिया है। हालांकि कोरोना संकटकाल का हवाला देकर अधिकारी अभी और जानकारी देने से इन्कार कर रहे हैं, लेकिन इतना जरूर कह रहे हैं कि जल्द ही प्रकरण का पर्दाफाश होगा। बाक्स.. अब तक पकड़ी गई रकम तारीख रकम 21 जनवरी-पांच लाख 64 हजार 400 रुपये 20 जनवरी- चार लाख 96 हजार रुपये 19 जनवरी-चार लाख 72 हजार 400 रुपये 18 जनवरी-99 लाख 30 हजार 500 रुपये 17 जनवरी-पांच लाख रुपये 15 जनवरी- 25 लाख रुपये ------------ इन गाड़ियों का हुआ इस्तेमाल -फार्च्यूनर, क्रेटा, सेल्टोस --------- पिछले चुनावों में प्रदेश में पकड़ा गया कालाधन वर्ष- चुनाव-नकद राशि 2017-विधानसभा-115 करोड़ रुपये 2019-लोकसभा चुनाव-191 करोड़ रुपये