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धान के पैलेट्स से बनेगी बिजली, स्वच्छ रहेगी आवोहवा

पंजाब हरियाणा में पराली फसल अवशेष जलाने की घटनाएं बढ़ने लगी है। इससे दिल्ली-एनसीआर समेत आस-पास के राज्यों की आवोहवा के एक बार फिर दमघोंटू होने का खतरा मंडराने लगा है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 27 Sep 2020 09:49 PM (IST)Updated: Sun, 27 Sep 2020 09:49 PM (IST)
धान के पैलेट्स से बनेगी बिजली, स्वच्छ रहेगी आवोहवा
धान के पैलेट्स से बनेगी बिजली, स्वच्छ रहेगी आवोहवा

जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा:

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पंजाब, हरियाणा में पराली फसल अवशेष जलाने की घटनाएं बढ़ने लगी है। इससे दिल्ली-एनसीआर समेत आस-पास के राज्यों की आवोहवा के एक बार फिर दमघोंटू होने का खतरा मंडराने लगा है। ऐसे में यहां की आवोहवा को स्वच्छ रखने के लिए युद्धस्तर पर प्रयास शुरू हो गए हैं। ऐसे में एनटीपीसी की पहल बड़ी राहत दे सकती है। एनटीपीसी अपने थर्मल पावर प्लांट में ईंधन के रूप में कोयले के साथ बायोमॉस पैलेट्स (पराली) का उपयोग करेगी। एनटीपीसी ने इसे खरीदने के लिए निविदा भी जारी कर दी हैं। पंजाब व हरियाणा को इसमें तवज्जो दी जाएगी।

पंजाब व हरियाणा से हर साल फसल अवशेष जलने के साथ ही दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है। आवोहवा दमघोंटू होने के साथ धुंध छाई रहती है। इससे सांस के मरीजों को काफी दिक्कत होती है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण फसल जलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई, जुर्माने के आदेश भी दे चुका है, इसके बावजूद हालात बहुत अधिक नहीं बदल सके हैं। किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए एनटीपीसी ने ये पहल की है। धान की पराली से बने पैलेट्स को कोयले के साथ ईंधन में जलाकर बिजली उत्पादन किया जाएगा। एनटीपीसी ने 2017 में इसकी प्रायोगिक शुरुआत की थी। तब कोयले के साथ सौ टन पराली के पैलेट्स जलाए गए थे। अब तक एनटीपीसी सात हजार टन पराली जला चुका है। इस बार सभी 17 प्लांट में 50 लाख टन पैलेट्स की खपत करेगा। अनुमान के मुताबिक, देश में हर साल 14 करोड़ 50 लाख मीट्रिक टन फसल का अवशेष बचता है। इसमें अधिकांश जला दिया जाता है। इसके कोयले के साथ जलाने से 25 से तीस हजार मेगावॉट अक्षय ऊर्जा के बराबर बिजली का उत्पादन हो सकता है।


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