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इंजीनियर निकला नकली स्टेरायड बनाने का मुख्य आरोपित

संवाद सहयोगी दादरी बादलपुर कोतवाली क्षेत्र के गांव बिश्नूली में मुखबिर की सूचना पर पुलिस और

By JagranEdited By: Published: Sun, 21 Nov 2021 07:16 PM (IST)Updated: Sun, 21 Nov 2021 07:16 PM (IST)
इंजीनियर निकला नकली स्टेरायड बनाने का मुख्य आरोपित
इंजीनियर निकला नकली स्टेरायड बनाने का मुख्य आरोपित

संवाद सहयोगी, दादरी : बादलपुर कोतवाली क्षेत्र के गांव बिश्नूली में मुखबिर की सूचना पर पुलिस और पांच जिलों के ड्रग्स निरीक्षक अधिकारियों द्वारा एक मकान में छापेमारी की गई। छापेमारी में अवैध रूप से बाडी बिल्डिग में प्रयोग की जाने वाली विदेशी लेबल की स्टेरायड औषधियों के इंजेक्शन, कच्चा माल, औषधि बनाने वाले उपकरण आदि पुलिस ने बरामद किए हैं। साथ ही तीन आरोपितों को मौके से गिरफ्तार कर एक एक्सयूवी-500 कार व स्कूटी बरामद की है। तीनों आरोपितों को मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया है।

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एडिशनल डीसीपी सेंट्रल नोएडा इलामारन जी. ने बताया कि मुख्य आरोपित अनुज कुमार निवासी गांव बबुरी वाराणसी ने चेन्नई वी रिनोल्ड विश्वविद्यालय से बीटेक के बाद बायोटेक की पढ़ाई की। उसके बाद 2013-14 में नोएडा बायोटेक कंपनी व हैदराबाद, गोवा और मुंबई में एक लाख रुपये के मासिक वेतन पर नौकरी। उस दौरान उसकी मुलाकात रेवाड़ी हरियाणा के कुछ नकली दवा तैयार करने वाले अपराधियों से हुई। जिनके कहने पर उसने बादलपुर कोतवाली क्षेत्र के बिश्नूली के चार भूमि गोल्ड ऐविन्यू में प्लाट खरीदा। जहां मकान बनाकर साले प्रीतम उर्फ गोलू चंदौली, बच्चन कुमार बुलंदशहर के साथ मिलकर अवैध रूप से फैक्ट्री का संचालन करने लगा। पुलिस जांच में पता चला है कि अनुज को कच्चा माल फरार आरोपित प्रवीण उर्फ रीवा धनकड़ व सोमवीर उर्फ राजेश धनकड़ निवासी रेवाड़ी हरियाणा सप्लाई करते थे। उसके बाद आरोपित अनुज अपने दो साथियों के साथ मिलकर औषधियां व इंजेक्शन तैयार कर विदेशी कंपनियों का लेबल लगाकर प्रवीण व सोमवीर को ही सप्लाई करता था। शनिवार को छापेमारी कर पुलिस ने मुख्य आरोपित अनुज, प्रीतम, बच्चन को गिरफ्तार कर लिया है और प्रवीण व सोमवीर दोनों फरार चल रहे हैं। तैयार इंजेक्शन पर मोटी कीमत अंकित करते थे

पुलिस ने बताया कि प्रोटीन इंजेक्शन रशिया, यूएसए, मास्को आदि देशों की नामी गिरामी कंपनियों के नाम के लेबल लगाकर बाजार भेजे जाते थे। साथ ही इंजेक्शन के कवर पर 2500 से 5000 रुपये तक अंकित किए जाते थे। पूछताछ में अनुज ने बताया कि उसने एक लाख रुपये की नौकरी छोड़कर अवैध रूप से नकली स्टेरायड बनाने का कार्य शुरु किया। ड्रग निरीक्षक वैभव बब्बर ने बताया कि मुखबिर की सूचना पर बुलंदशहर, गाजियाबाद, बिजनौर, मेरठ के निरीक्षकों ने जांच कर नमूने भरे।

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युवा लगा रहे जान की बाजी

कम समय में बाडी बनाने का शौक रखने वाले युवा मार्केट में बिक रहे नकली स्टेरायड का प्रयोग कर अपनी जान की बाजी लगा रहे है। पूर्व में भी कई ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिसमें लोगों की जान गई है। ऐसे में पुलिस ने युवाओं से अपील की है कि अपनी सेहत पर ध्यान दें। नकली सामान का प्रयोग करने से बचें।


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