चाय की चुस्की के साथ गर्म हो रही सियासी चर्चा
घने कोहरे की चादर में लिपटा शहर वैसे तो सर्दी की चपेट में दिखा ले
अजय चौहान, नोएडा :
घने कोहरे की चादर में लिपटा शहर वैसे तो सर्दी की चपेट में दिखा, लेकिन लोगों की जुबान पर चुनाव को लेकर खासी तल्खी नजर आ रही है। जैसे-जैसे कोहरा छंटना शुरू हुआ और सूरज धुंध की चादर से बाहर निकला तो शहर की गली मोहल्ले से लेकर चाय की दुकान तक चुनावी पर चर्चा भी गर्मी पकड़ती गई। शहर की सियासी मिजाज जानने के लिए दैनिक जागरण के संवाददाता बाइक से निकले और लोगों की बातचीत और उनकी पसंद नापसंद जानने का प्रयास भी किया। नोएडा के सेक्टर-21-ए जलवायु विहार के पास कुछ लोग बैठे चाय की चुस्कियां ले रहे थे। एक बुजुर्ग बोले देखो भाई, हमको तो बाबा का पलड़ा भारी लग रहा है। बुजुर्ग ने चाय की चुस्की ली ही थी कि इतना सुन बाइक पर बैठा युवक तपाक से बोला, जरूर! किया क्या है बाबा ने। ऐसे ही पलड़ा भारी हो गया। कोरोना में क्या हालात थे, बताओ? युवक की बात पर पलटवार करते हुए बुजुर्ग ने बोला कि कोरोना ने ही तो नाश कर दिया। सरकार के दो साल तो यूं ही निकल गए। नहीं, तो आज और ज्यादा काम होता। कोई और सरकार होती तो लूट मच जाती बेटा। 1977 से वोट दे रहा हूं। कोरोना पर प्रदेश सरकार के प्रदर्शन की नापतौल करती यह बहस जारी रही और बाइक रिपोर्टर आगे के सफर पर निकल पड़ा। वहां से सेक्टर-58 थाने के पास काफी संख्या में युवा दिखे, तो उनकी चर्चा सुनने के लिए बाइक रोकी गई। युवा अपनी बातचीत में प्रत्याशियों के चयन से लेकर उनके हार-जीत का गणित लगा रहे थे। हर कोई अपने-अपने तर्क देकर अपने प्रत्याशी के पक्ष में समीकरण बैठा रहा था। विपक्षी पर प्रहार कर हार के कारण भी गिनाए गए। सेल्स कर्मचारी बोला कि सरकारी नौकरी का ही हाल देख लो। उसकी बात पूरी हुई भी नहीं कि उसकी बात काटते हुए दूसरा युवक बोला कि देखो भाई सरकारी नौकरी जितनी भी मिली हो लेकिन ईमानदारी से मिली है। हमारे पड़ोस के ही एक लड़के का पीजीटी में बिना कुछ दिए नौकरी लगी है। पुलिस में भी कई भर्ती हुए हैं। इस बात को मानना होगा। उसके दोनों साथियों ने अपनी असहमति जताई और चारों निकल गए। राजनीति की ऐसी गर्मागर्म बहस शहर के हर गली-नुक्कड़ पर देखने को मिल रही है।