जाम के कारण सड़क पर नहीं फैलेगी सुस्ती, ग्रीन सिग्नल के जरिए सड़क पर भरिए फर्राटा
शहर में यातायात समस्या को व्यवस्थित करने के लिए यहां गूगल आधारित तकनीक पर काम किया जा रहा है। प्राधिकरण ने इसे एडाप्टिव ट्रैफिक सिग्नल नाम दिया गया है। यह चिप आधारित तकनीक है। इस तकनीक के जरिए जिस भी सड़क पर यातायात ज्यादा होगा। वहां सिग्नल स्वत ही हरे रंग का हो जाएगा। इसका प्रयोग नोएडा में शुरु कर दिया गया है। वर्तमान में उद्योग मार्ग एमपी-1 पर इसे लगाया गया है। छह माह के ट्रायल के बाद सात जगहों पर इस तकनीकी का प्रयोग किया जाएगा। जगह चिन्हित कर ली गई है।
कुंदन तिवारी, नोएडा
शहर में यातायात समस्या को व्यवस्थित करने के लिए यहां गूगल आधारित तकनीक पर काम किया जा रहा है। प्राधिकरण ने इसे एडाप्टिव ट्रैफिक सिग्नल नाम दिया गया है। यह चिप आधारित तकनीक है। इस तकनीक के जरिए जिस भी सड़क पर यातायात ज्यादा होगा। वहां सिग्नल स्वत: ही हरे रंग का हो जाएगा। इसका प्रयोग नोएडा में शुरू कर दिया गया है। वर्तमान में उद्योग मार्ग, एमपी-1 पर इसे लगाया गया है। छह माह के ट्रायल के बाद सात जगहों पर इस तकनीकी का प्रयोग किया जाएगा। जगह चिह्नित कर ली गई है।
बता दें कि अब तक किए गए प्रयासों में सकारात्मक परिणाम मिल रहे है। निरीक्षण में प्रमाण मिल रहे है कि पीक आवर के समय यहां यातायात जाम नहीं होता है। साथ ही इन चौराहों पर प्रदूषण का स्तर भी कम हुआ है। यह अध्ययन लगातार किया जा रहा है। इस नई व्यवस्था के लिए नोएडा प्राधिकरण ने दो कंपनियों के साथ करार किया था। जिस पर काम किया जा रहा है।
पहले चरण में बीएसएनएल, इंडियन ऑयल (गोलचक्कर), टी-सीरीज यानी सेक्टर-19 रेड लाइट पर चिप आधारित इस ट्रैफिक लाइटों को प्रयोगात्मक रूप से इस्तेमाल किया जा रहा है। इस लाइटों में सेंसर आधारित एक चिप का प्रयोग किया गया है। जिसके जरिए यह यातायात के समय को समायोजित करती है। इन लाइटों के जरिए यातायात को नियंत्रित करने में काफी मदद मिली है।
प्राधिकरण के महाप्रबंधक राजीव त्यागी ने बताया कि पीक आवर में तीनों ही जंक्शन में विडियोग्राफी के जरिए एकत्रित किए गए डाटा के अनुसार बीएसएनएल चौराहे पर पीक आवर में जाम की लंबाई में 90 से 95 प्रतिशत की कमी देखी गई। विजयंत थापर मार्ग पर भी 30 प्रतिशत तक कमी देखी गई। यानी देखा जाए तो प्रत्येक जंक्शन जहां पर एडाप्टिव लाइटों का प्रयोग किया जा रहा है वहां पीक आवर में यातायात व्यवस्था सुचारू रूप से काम कर रही है। उन्होंने बताया कि सबसे पहले बीसएनएल चौराहे पर एडाप्टिव सिस्टम को सात मार्च को लगाया गया। अब रजनीगंधा के अलावा अन्य व्यवस्तम मार्गो पर इस सिस्टम को लगाया जाएगा। फिलहाल प्रयोगात्मक रूप से सफल होने के बाद इनको पूरे शहर में लगा दिया जाएगा। गूगल तकनीक पर करती है काम
यह कार्य सीएसआर के तहत किया जा रहा है। इसके लिए प्राधिकरण ने दो कंपनियों के साथ एमओयू साइन किए थे। कंपनी के प्रवक्ता ने बताया कि यह पूरा सिस्टम गूगल तकनीक पर आधारित है। जैसे आप गूगल खोलकर यातायात को देखते हो जिस सड़क पर जाम होता है वह रोड लाल रंग में और जहां जाम नहीं होता वह हरे रंग में दिखती है। ठीक इसी तरह एडाप्टिव सिस्टम में सेंसर चिप के जरिए सड़क पर चलने वाला यातायात स्टोर होता रहता है। जाम की स्थिति में यह बिना किसी मानव संसाधन के स्वत: ही ग्रीन हो जाएगी। साथ ही समय के अनुसार ही इस सड़क पर अगली रेड लाइट भी ग्रीन हो जाएगी। ऐसे में यातायात जाम नहीं होगा। ठीक इसी तरह जहां यातायात सामान्य होगा वह नार्मल तरह से यह काम करेंगी।