खुराक पूरी करने से मिलेगा टीबी से छुटकारा
टीबी के मरीजों को दवा अधूरी नहीं छोड़नी चाहिए। टीबी की खुराक पूरी करने से इससे छुटकारा मिलेगा। अधूरे इलाज से यह मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस ( एमडीआर) टीबी में बदल सकती है। इसलिए डॉट्स पद्धाति से मरीजों को पूरा इलाज कराना चाहिए। यह बातें जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. शिरीष जैन ने विश्व टीबी दिवस पर कहीं।
जागरण संवाददाता, नोएडा : टीबी के मरीजों को दवा अधूरी नहीं छोड़नी चाहिए। टीबी की खुराक पूरी करने से इससे छुटकारा मिलेगा। अधूरे इलाज से यह मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस (एमडीआर) टीबी में बदल सकती है। डॉट्स पद्धति से मरीजों को पूरा इलाज कराना चाहिए। यह बातें जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. शिरीष जैन ने विश्व टीबी दिवस पर कहीं।
उन्होंने बताया टीबी (ट्यूबरकुलोसिस) एक संक्रामक रोग है, इसे शुरू होते ही न रोका गया, तो यह जानलेवा साबित हो सकता है। रोग से प्रभावित अंगों में छोटी-छोटी गांठ बन बनने लगती हैं। प्राथमिक उपचार न होने पर धीरे-धीरे प्रभावित अंग अपना कार्य करना बंद कर देते हैं, जिससे व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। टीबी का इलाज सरकारी अस्पतालों और डॉट्स सेंटरों में निशुल्क उपलब्ध है। इसका इलाज लंबा चलता है, इसमें 6 माह से लेकर 2 साल तक का समय भी लग सकता है। इसलिए मरीजों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि, दवा को बीच में ना छोड़े। बीच में दवा छोड़ने से बैक्टीरिया में दवाओं के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है, जिससे मरीज का इलाज काफी मुश्किल होता है। इसके बाद आम दवाएं असर नहीं करती है। उन्होंने बताया जिले में ऐसे सैकड़ों मरीज है जिन्होंने टीबी का इलाज का कोर्स पूरा करके रोग से मुक्ति पाई है। मरीजों को आर्थिक मदद भी दी गई है। टीबी पर पाई जीत
डॉक्टर द्वारा दिए बताए गए समय तक मैंने टीबी का इलाज कराया। एक बार भी बिना दवा खाए नहीं सोया, इसलिए आज पूरी तरह से स्वास्थ्य हूं।
- मोनू कुमार इलाज के दौरान जब आर्थिक मदद मिली, तो बिना हिचक के डॉक्टरों द्वारा कहें इलाज के कोर्स को पूरा किया, अब कोई परेशानी नहीं है।
- विशाल कुमार टीबी का इलाज संभव है, लेकिन ज्यादातर टीबी के रोगियों की मौत दवाओं का कोर्स पूरा न करने के कारण होती है। इसलिए मरीजों को इसे पूरी तरह से खत्म करने के लिए पूरा इलाज करना चाहिए।
डॉ. मयंक सक्सेना, हेड ऑफ पल्मोनरी एंड स्लीप मेडिसिन, यथार्थ अस्पताल