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किसानों की महापंचायत में आर-पार की लड़ाई का ऐलान

नोएडा प्राधिकरण से मांगें पूरी नही होने से नाराज

By JagranEdited By: Published: Mon, 26 Oct 2020 12:13 AM (IST)Updated: Mon, 26 Oct 2020 12:13 AM (IST)
किसानों की महापंचायत में आर-पार की लड़ाई का ऐलान
किसानों की महापंचायत में आर-पार की लड़ाई का ऐलान

जागरण संवाददाता, नोएडा :

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नोएडा प्राधिकरण से मांगें पूरी नही होने से नाराज 81 गांव के किसानों ने अब आर-पार की लड़ाई का ऐलान किया है। उन्होंने एक बार फिर प्राधिकरण कार्यालय पर हल्ला बोल धरना-प्रदर्शन की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए भारतीय किसान परिषद ने 'किसान अस्तित्व बचाओ आंदोलन' को लेकर गांव-गांव किसानों का समर्थन जुटाने का प्रयास शुरू कर दिया गया है। हालांकि इस आंदोलन से पहले परिषद पदाधिकारियों ने किसानों ने 21 दिसंबर को प्राधिकरण अधिकारियों को एक चेतावनी पत्र देने का निर्णय लिया है। यह फैसला रविवार को सेक्टर-70 स्थित पार्क में आयोजित 81 गांव के किसानों की महापंचायत में हुआ।

बकौल भारतीय किसान परिषद संयोजक सुखवीर खलीफा, नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों के तीन बार आश्वासन देने के बाद भी मांगें पूरी नहीं हुई हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि हर दूसरे सप्ताह किसानों की आबादी को लेकर अधिकारियों की बैठक होगी, लेकिन यह बैठक आश्वासन देने के कुछ दिनों बाद बंद हो गई। शिकायतों के लिए आनलाइन व्यवस्था की गई है। यहां किसानों को शिकायत करने में असुविधा होती है। प्राधिकरण केवल जमीन का अधिग्रहण कर कब्जा लेने में जुटा है, लेकिन किसानों की समस्याओं को हल करने में तनिक भी सहयोग नहीं दे रहा है। किसानों की कई ऐसी समस्याएं है, जो वर्षो से प्राधिकरण कार्यालय में विचाराधीन हैं, लेकिन उन्हें हल करने का समय अधिकारियों के पास नहीं है। ऐसा तब है, जब प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री किसानों के हितों को लेकर लाभ देने की बात कह रहे है।

इस मौके पर महापंचायत की अध्यक्षता कर रहे शरदाराम कसाना व संचालक उदल यादव ने कहा कि प्राधिकरण कार्यालय पर होने वाला जजमेंट आंदोलन होगा। सुखवीर खलीफा के नेतृत्व में ही इस लड़ाई को अंजाम दिया जाएगा। इस मौके पर महेंद्र अवाना, धर्मवीर अवाना, कालू प्रधान, सुशील यादव आदि किसान मौजूद थे। बॉक्स

प्राधिकरण में विचाराधीन मांगें:

-आबादी जैसी है, जहां है के आधार पर छोड़ी जाए।

-किसानों के पांच फीसद व अतिरिक्त 10 फीसद प्लाट दिया जाए।

-भवन नियमावली निरस्त की जाए।

-किसानों को मिले किसान कोटे के प्लाट को समयसीमा की अवधि के कारण निरस्त न की जाए।

-पुश्तैनी और बगैर पुश्तैनी का विवाद खत्म किया जाए।

-गांवों में सेक्टर की तर्ज पर विकास किया जाए।


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