कॉलेज में सजेगी कोर्ट, वादी-प्रतिवादी व वकील बन विद्यार्थी करेंगे बहस
सेक्टर-62 स्थित सिम्बोसिस लॉ कॉलेज में 14 जुलाई को कोर्ट सजेगी। कोर्ट में कॉलेज के विद्यार्थी दुष्कर्म के एक केस पर वादी-प्रतिवादी गवाह और वकील बन कर मुकदमा लड़ेंगे। वादी अपना पक्ष रखेगा जबकि प्रतिवादी अपने बचाव में साक्ष्य प्रस्तुत करेगा। दोनों पक्षों के वकीलों की कोर्ट परिसर में गर्मा-गरम बहस होगी। यह बहस 21 व 2
सुरेंद्र राम, नोएडा :
सेक्टर-62 स्थित सिम्बोसिस लॉ कॉलेज में 14 जुलाई को कोर्ट सजेगी। कोर्ट में कॉलेज के विद्यार्थी दुष्कर्म के एक केस पर वादी-प्रतिवादी, गवाह और वकील बनकर मुकदमा लड़ेंगे। वादी अपना पक्ष रखेगा, जबकि प्रतिवादी अपने बचाव में साक्ष्य प्रस्तुत करेगा। दोनों पक्षों के वकीलों की कोर्ट परिसर में तीखी बहस होगी। यह बहस 21 व 28 जुलाई को भी होगी। चार अगस्त को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद दो जजों की बेंच मुकदमे में अपना फैसला सुरक्षित करेगी और सितंबर में अंतिम फैसला सुनाया जाएगा।
दरअसल, कॉलेज में लॉ कर रहे विद्यार्थियों को वास्तविक जीवन से रूबरू कराने के लिए इंटर स्कूल मॉक ट्रायल प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है। प्रतियोगिता के तहत एक युवती से हुए दुष्कर्म के मुकदमे में वादी और प्रतिवादी पक्ष को फैसला अपने पक्ष में करने के लिए किन-किन बातों पर ध्यान देना चाहिए, विद्यार्थियों को उसकी जानकारी दी जा रही है। कॉलेज के डिप्टी डॉयरेक्टर डॉ. मधुर शर्मा ने बताया कि अक्टूबर 2018 से इस प्रतियोगिता की तैयारी चल रही है। इस प्रतियोगिता में लॉ पढ़ने वाले विद्यार्थी ही वादी, प्रतिवादी, गवाह और वकील बनाए जाएंगे, जबकि जजों की भूमिका के लिए बाहर से विद्वान वकीलों को बुलाया जाएगा। इस मुकदमे में वादी-प्रतिवादी व वकील बने विद्यार्थी अपने मुकदमे की पैरवी करेंगे और मुकदमा जीतने वाले पक्ष को प्रतियोगिता में विजयी माना जाएगा।
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बचाव पक्ष को साक्ष्य जुटाने के तरीके बताए
वर्कशॉप में आए विधि विशेषज्ञ अभियोजक कुंदन लाल शर्मा ने लॉ के विद्यार्थियों को दुष्कर्म के आरोपित पक्ष के वकील को उदाहरण देकर साक्ष्य जुटाने के तरीके बताए। उन्होंने बताया कि दुष्कर्म के अधिकांश मामलों में पाया जाता है कि वादी व आरोपित पक्ष पहले से परिचित होते हैं। दोनों के बीच आपसी सहमति से संबंध बनते हैं, लेकिन किसी वजह से उनमें विवाद हो गया या फिर शादी नहीं हो पाई तब युवती दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज करा देती है। ऐसे में बचाव पक्ष के वकील को वादी, वादी से मिलने वाले, वादी व प्रतिवादी को जानने वालों से बात करनी चाहिए। साथ ही मेडिकल रिपोर्ट व उनकी कॉल डिटेल आदि का गहनता से अध्ययन करना चाहिए। अगर मामला फर्जी है, तो उसे अध्ययन के दौरान कुछ ऐसे तथ्य अवश्य मिलेंगे, जिसे वह कोर्ट के सामने रख कर आरोपित का पक्ष मजबूत कर सकता है। उन तथ्यों व साक्ष्यों को प्रस्तुत कर वकील साबित कर सकता है कि दोनों पक्षों के बीच आपसी सहमति से संबंध बने थे और यह दुष्कर्म नहीं है, बल्कि किन्हीं वजहों से दोनों पक्षों में तालमेल नहीं बैठा और युवती ने दुष्कर्म का आरोप लगा दिया।