कोरोना काल में सिजेरियन से परहेज, सामान्य प्रसव पर जोर
जागरण संवाददाता नोएडा महामारी के बीच न सिर्फ लोगों की आदतों में बदलाव आया है बल्कि
जागरण संवाददाता, नोएडा :
महामारी के बीच न सिर्फ लोगों की आदतों में बदलाव आया है, बल्कि इससे गर्भवतियों को काफी राहत मिली है। रिकार्ड के अनुसार सरकारी अस्पतालों में गायनोकोलाजिस्ट सिजेरियन के बजाय सामान्य प्रसव पर ज्यादा जोर दे रही हैं। चिकित्सक इसे गर्भवतियों के लिए सुखद मान रहे हैं।
कोरोना काल में मार्च से अबतक सेक्टर-30 स्थित जिला अस्पताल में 9,778 प्रसव हुए हैं, इनमें सिजेरियन 3,906 और सामान्य प्रसव 5,872 है। जबकि पिछले वर्ष सिजेरियन प्रसव का आंकड़ा सामान्य प्रसव से 20 फीसद ज्यादा था। कोरोना काल में लाकडाउन के दौरान गर्भवतियों के इलाज में आनाकानी से उनकी जान पर बन आने के कई मामले सामने आए। संक्रमण की आशंका के चलते जून में जिले के चार निजी अस्पतालों द्वारा इलाज न करने से हाथ खड़े करने पर खोड़ा की गर्भवती की मौत तक हो गई। कई ऐसे मामले भी सामने आए जब निजी चिकित्सकों ने रुपये के लालच में सिजेरियन प्रसव के लिए दबाव बनाया लेकिन जब गर्भवती को सरकारी अस्पताल में ले जाया गया तो उनका सामान्य प्रसव हुआ। अफसरों का कहना है कि जिला अस्पताल के रिकार्ड पर गौर करें तो रिपोर्ट बेहद सुखदायी है।
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जिला अस्पताल में मिली स्वास्थ्य सेवा
कोरोना समेत अन्य जांच- 3,42,599
आर्थो विभाग में ओपीडी- 3,080
जनरल सर्जरी- 728
नेत्र विभाग- 2,439
ईएनटी-227
एक्स-रे- 27,795
अल्ट्रासाउंड- 10,214
ईसीजी- 2,948
फीवर क्लीनिक ओपीडी - 5 लाख
इमरजेंसी ओपीडी - 35,210
एनेस्थीसिया- 1,241
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कोट::
लाकडाउन के दौरान ओपीडी तीन महीने तक बंद रही, उसके बाद धीरे-धीरे ओपीडी व ओटी शुरू हुई। कोरोना के भय से मरीज कम रहे, लेकिन प्रसव हर दिन हुए। सिजेरियन से ज्यादा साधारण प्रसव कराए गए।
- डॉ. रेनू अग्रवाल, सीएमएस जिला अस्पताल