गृह प्रवेश सोसायटी में आरडब्ल्यूए का विवाद सुलझाएगा प्राधिकरण
गृह प्रवेश सोसायटी में आरडब्ल्यूए का विवाद सुलझाएगा प्राधिकरण गृह प्रवेश सोसायटी में आरडब्ल्यूए का विवाद सुलझाएगा प्राधिकरण गृह प्रवेश सोसायटी में आरडब्ल्यूए का विवाद सुलझाएगा प्राधिकरण गृह प्रवेश सोसायटी में आरडब्ल्यूए का विवाद सुलझाएगा प्राधिकरण
जागरण संवाददाता, नोएडा : सेक्टर-77 स्थित गृह प्रवेश सोसायटी के आरडब्ल्यूए का चुनाव नोएडा प्राधिकरण के सीईओ की देखरेख में होगा। यह आदेश 10 सितंबर को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दिया है। इस आदेश ने सोसायटी में दो एसोसिएशन के बीच चल रहे विवाद व कानूनी झमेले को खत्म कर दिया है। इसके साथ ही हाई कोर्ट द्वारा चुनाव की यह प्रक्रिया को जांचने का जिम्मा डिस्ट्रिक्ट जज का होगा। डिस्ट्रिक्ट जज एक अधिकारी को नियुक्त करेगा, जो प्राधिकरण द्वारा सोसायटी के चुनाव व अन्य कार्य का लेखा-जोखा रखेगा। साथ ही यह भी सुनिश्चित कराएगा कि प्राधिकरण द्वारा यह कार्य सही तरीके से किया जा रहा है या नहीं। वोटर लिस्ट तय करने, सोसायटी में चुनाव कराने, बिल्डर से सोसायटी व मेंटेनेंस चार्ज को नई आरडब्ल्यूए को हेंडओवर कराने तक की सारी जिम्मेदारी प्राधिकरण की होगी। सोसायटी के लोगों का कहना है कि हाई कोर्ट द्वारा एक ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है। इस फैसले से जहां सोसायटी के सभी निवासी काफी खुश है, वहीं यह भी उम्मीद लगाए हुए है कि जल्द ही जीएसटी जैसे अन्य चार्ज से भी मुक्ति मिलेगी।
बता दें कि सोसायटी में गृहप्रवेश कॉन्डोमीनियम एसोसिएशन व गृहप्रवेश अपार्टमेंट एसोसिएशन के बीच काफी समय से आरडब्ल्यूए चुनाव को लेकर विवाद चल रहा था। मई 2017 में फ्लैट मालिकों द्वारा गृहप्रवेश कॉन्डोमीनियम एसोसिएशन मेरठ रजिस्ट्रार द्वारा रजिस्टर कराई गई थी। इसके बाद कुछ निवासियों ने अगस्त 2017 में डिप्टी रजिस्ट्रार में शिकायत कर दी कि कार्यकारिणी का गलत तरीके से गठन हुआ है। इस पर रजिस्ट्रार ने कार्यकारिणी को रद कर दिया। इस मामले को लेकर निवासी हाई कोर्ट पहुंचे जहां कोर्ट ने कार्यकारिणी को बहाल करते हुए मेरठ रजिस्ट्रार से केस लेकर लखनऊ रजिस्ट्रार को दे दिया। 3 जुलाई 2018 को लखनऊ रजिस्ट्रार ने भी मामले में कार्रवाई करते हुए जीपीसीए को रद कर दिया। लखनऊ रजिस्ट्रार के इस फैसले को भी इलाहबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी गई जहां कोर्ट ने 16 अगस्त 2018 को लखनऊ रजिस्ट्रार के फैसले को स्थगित कर दिया। कोर्ट ने आदेश में कहा कि लखनऊ रजिस्ट्रार को जीपीसीए में जो खामियां दिखी थीं तो उन्हें दूर करना चाहिए था, न कि रद करना चाहिए था।