पुरानी फाइलों की जांच के बाद अब सीएजी ने मांगा मिट्टी का हिसाब
नोएडा प्राधिकरण पर नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) की टीम का शिकंजा कसता जा रहा है। गठन से अब तक की फाइलों के बीच उलझे प्राधिकरण अधिकारियों से अब नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की टीम ने 2005 से 2017 तक का हिसाब मांग लिया है। कहा जा रहा है कि 12 साल में 200 करोड़ रुपये की मिट्टी शहर में आई और फिर धूल बनकर उड़ गई। सीएजी ने प्राधिकरण से पुराने सभी सप्लाई आर्डर और इनका बजट जारी करने वाले बिलों की मांग रखी है।
जागरण संवाददाता, नोएडा :
नोएडा प्राधिकरण पर नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) की टीम का शिकंजा कसता जा रहा है। गठन से अब तक की फाइलों के बीच उलझे प्राधिकरण अधिकारियों से अब नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की टीम ने 2005 से 2017 तक का हिसाब मांग लिया है। कहा जा रहा है कि 12 साल में 200 करोड़ रुपये की मिट्टी शहर में आई और फिर धूल बनकर उड़ गई। सीएजी ने प्राधिकरण से पुराने सभी सप्लाई आर्डर और इनका बजट जारी करने वाले बिलों की मांग रखी है।
देश के सबसे अमीर प्राधिकरण में नोएडा का नाम शुमार होता था। नोएडा की जमीन की कीमतों में भारी उछाल के बाद यहां हर चीज के दाम बढ़ने लगे। 2017 में केंद्रीय जांच एजेंसी से नोएडा की जांच करवाने की प्रक्रिया शुरू हुई। इसके बाद कुछ न कुछ नया निकलने लगा। कई पहलुओं की जांच होने के बाद सीएजी को मिट्टी आपूर्ति को लेकर कुछ गड़बड़ियां मिली, इसके बाद उन्होंने 2005 से 2017 तक मिट्टी आपूर्ति से जुड़े सभी कागजों की मांग रखी है। सूत्रों की मानें तो शहर में खाली पड़े प्लाट और कई परियोजनाओं के लिए मिट्टी आपूर्ति का आर्डर दिया गया। इसमें करीब 200 करोड़ रुपये की मिट्टी डाली गई लेकिन इसका सही-सही आंकलन नहीं मिल रहा है। कई जगह कई बार मिट्टी भराई का काम हुआ। सूत्रों ने बताया कि यह देखा गया है कि कई बार हवाएं तेज चलने और गर्मी के मौसम में मिट्टी उड़ भी गई ं। ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि क्या 200 करोड़ रुपये की मिट्टी हवा में उड़ गई। वहीं, मिट्टी के इस खेल से जुड़े सभी अफसरों और कागजों की मांग सीएजी ने रखी जिसके बाद पुराने अफसरों में हड़कंप मचा हुआ है।