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रात दस बजे के बाद आतिशबाजी होने पर थाना प्रभारी होंगे जिम्मेदार

दीपावली पर रात दस बजे के बाद पटाखे जलाने की शिकायत मिलने पर संबंधित कोतवाली के प्रभारी जिम्मेदार होंगे। इस संबंध में प्रदेश के प्रमुख सचिव ने आदेश जारी किया है। जिलाधिकारी ने सभी थाना प्रभारियों को आदेश का पालन कराने का निर्देश दिया है। दीपावली पर कम वायु प्रदूषण व ग्रीन पटाखे ही बिक्री की अनुमति दी गई है। रात

By JagranEdited By: Published: Wed, 23 Oct 2019 09:56 PM (IST)Updated: Thu, 24 Oct 2019 06:21 AM (IST)
रात दस बजे के बाद आतिशबाजी होने पर थाना प्रभारी होंगे जिम्मेदार
रात दस बजे के बाद आतिशबाजी होने पर थाना प्रभारी होंगे जिम्मेदार

जागरण संवाददाता, नोएडा :

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दीपावली पर रात दस बजे के बाद पटाखे जलाने की शिकायत मिलने पर संबंधित कोतवाली के प्रभारी जिम्मेदार होंगे। इस संबंध में प्रदेश के प्रमुख सचिव ने आदेश जारी किया है। जिलाधिकारी ने सभी थाना प्रभारियों को आदेश का पालन कराने का निर्देश दिया है। दीपावली पर कम वायु प्रदूषण व ग्रीन पटाखों की ही बिक्री की अनुमति दी गई है। रात 8 से 10 बजे तक आतिशबाजी करने की अनुमति रहेगी। सीरीज युक्त पटाखों या लड़ियों को जलाने की अनुमति नहीं होगी। सेक्टरों या गांवों में स्थित सामुदायिक केंद्रों में सामूहिक रूप से आतिशबाजी कराने के निर्देश दिए गए हैं। अस्पताल, स्कूल, धार्मिक स्थल व न्यायालय परिसर के 100 मीटर की परिधि में पटाखे जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

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दीपावली पर लोगों से एहतियात बरतने की अपील

प्रशासन ने दीपावली पर पटाखों से वायु प्रदूषण बढ़ने की आंशका के मद्देनजर एडवाइजरी कर अपील की है। प्रशासन का कहना है कि कुछ एहतियात बरत कर पटाखों से होने वाली दुर्घटनाओं व प्रदूषण को रोका जा सकता है। प्रशासन ने लोगों से खुली जगह पर सूती कपड़े पहन कर ग्रीन पटाखे जलाने, पटाखे हाथ में लेकर नहीं जलाने, बच्चों को पटाखे जलाने के दौरान पास में मौजूद रहने, एक बार में एक ही पटाखे जलाने की अपील की है।

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स्वांस रोगियों को सावधानी बरतने की जरूरत

वायु प्रदूषण होने से सबसे अधिक स्वांस के रोगी प्रभावित होते हैं। दीपावली पर हुई आतिशबाजी से वायु प्रदूषण अधिक बढ़ जाता है। ऐसे में स्वांस रोगियों को घर से बाहर निकलने के दौरान काफी सावधानी बरतने की जरूरत है। दीपावली के दौरान धुएं का प्रदूषण बढ़ जाने की वजह से संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है। दीपावली पर जलने वाले पटाखे, दीये, मोमबत्तियों के धुएं से हवा में प्रदूषण व धूल की मात्रा बढ़ जाती है। शरीर में जलन व खुजली होने की शिकायतें हो सकती हैं। अस्थमा व दमा के रोगियों के लिए यह प्रदूषण काफी नुकसानदायक होता है।


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