संक्रमित माताओं के 50 बच्चों ने एचआइवी को पछाड़ा
मोहम्मद बिलाल नोएडा सामान्य प्रसव की स्थिति में शत प्रतिशत एचआइवी संक्रमित मां से बच्चे में यह
मोहम्मद बिलाल, नोएडा :
सामान्य प्रसव की स्थिति में शत प्रतिशत एचआइवी संक्रमित मां से बच्चे में यह बीमारी आने की संभावना रहती है, लेकिन शासन के निर्देश पर एड्स पीड़ितों में सकारात्मक ऊर्जा भरने के लिए चलाए जा रही योजना से पिछले सात वर्षों में 63 बच्चों को एचआइवी पाजिटिव होने से बचाने में कामयाबी हासिल की गई।
एचआइवी/एड्स के नोडल अधिकारी डा. शिरीष जैन का कहना है कि एड्स पीड़ित मां से बच्चे तक एचआइवी संक्रमण पहुंचने से रोकने में ममता हेल्थ इंस्टीट्यूट फार मदर एंड चाइल्ड संस्था प्रोजेक्ट अहाना के तहत 2018 से काम कर रही है। एचआइवी पाजिटिव महिला की प्रसव से तीन महीने पहले से ही एंटी रेट्रो वायरल (एआरटी) की दवाई शुरू की जाती है। संस्थागत प्रसव के समय सेफ डिलीवरी किट के माध्यम से डिलीवरी कराई जाती है। 24 घंटे के भीतर बच्चे को चिकित्सक की मौजूदगी में नेब्रासिन नामक दवाई दी जाती है। अधिकतम पांच दिन के भीतर यह डोज देनी होती है। इसके ठीक 45 दिन बाद सीपीटी की दवाई दी जाती है। फिर बच्चे का टेस्ट होता है, जिससे पाजिटिव या फिर नेगेटिव का पता चलता है। ऐसे मामलों में 18 महीने तक दवाई चलती है। 2010 से अब तक एचआइवी पाजिटिव पाई गई 63 गर्भवती के प्रसव कराए गए, इनमें 50 बच्चे ऐसे हैं जिन्हें एचआइवी संक्रमण से बचा लिया गया है। दो बच्चे एचआइवी पाजिटिव रह गए। वहीं, 11 बच्चे अभी उपचाराधीन हैं। विभाग लगातार एड्स जागरूकता कार्यक्रम चला रहा है। इसके तहत जहां लोगों की काउंसलिग की जाती है, जांच की जाती है। वहीं उन गर्भवती का सुरक्षित प्रसव भी कराया जाता है, जो एचआावी पाजिटिव होती हैं।
---- पिछले सात वर्षों में हुई एचआइवी जांच के नतीजे
वर्ष, काउंसलिग, जांच, कुल एचआइवी पाजिटिव
2015, 24,304, 23,248, 106
2016, 26,920, 26,407, 110
2017, 30,739, 30,201, 129
2018, 37,491, 37,343, 161
2019, 40,686, 40,657, 203
2020, 22,850, 22,827, 91
2021 (अक्टूबर तक) 20,353 , 20,290 88
कुल 2,06,837, 2,04,445, 896