हिंडन नदी : जीवन रेखा के जीवन पर संकट
जागरण संवाददाता, नोएडा
कभी महानगर की जीवन रेखा कही जाने वाली हिंडन नदी का अस्तित्व खतरे में है। हिंडन में प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ चुका है कि जलीय प्राणियों का ही वजूद खत्म हो गया है। ऐसे में हिंडन नदी अब केवल शोध करने तक ही सीमित रह गई है। शोधकर्ताओं ने भी नदी को सीवेज ट्रंक करार दे दिया है, जिसमें जीवन की कल्पना करना बेमानी होगा। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की कार्रवाई केवल मॉनीटरिंग तक सिमट कर रह गई है तो प्रशासन ने भी कोई गंभीर प्रयास करने के बजाय पूरे मामले से मुंह फेर लिया है। अगर अब भी हम नहीं चेते तो हिंडन प्रदूषण फैलाने वाली नदी बन जाएगी।
फैक्टर एक
हिंडन नदी के फ्लड जोन पर तेजी से हो रही बसावट ने नदी के वजूद को खत्म किया है। नदी के तट पर हो रहे अतिक्रमण का प्रशासन लगातार अनदेखी कर रहा है।
फैक्टर दो
हिंडन एक ऐसी नदी है जिसका प्रवाह ढलान बहुत ही कम है। इसके चलते इसमें प्रवाहित होने वाला अपशिष्ट पदार्थ नदी के किनारे जमा होता रहता है। इसके चलते नदी तेजी से प्रदूषित हुई है।
फैक्टर तीन
पूरे गौतमबुद्ध नगर में हो रहे अवैध खनन के चलते हिंडन नदी का अस्तित्व खत्म हो गया। इसके चलते इसका प्राकृतिक स्वरूप खत्म हो गया है। चौकाने वाली बात यह है कि यह खनन अब भी जारी है।
- हिंडन नदी में लगातार औद्योगिक अपशिष्ट व पूजन सामग्री का फेंका जाना जारी
- पेपर मिल, शुगर मिल, डिस्टलरी, केमिकल और डाइंग फैक्टरी के अपशिष्ट बिना ट्रीटमेंट के सीधे हिंडन में प्रवाहित।
- नदी में मोहन नगर व छगारसी के पास ही जलीय जीवन के नाम पर सूक्ष्म जीव मैक्रो आर्गेज्चि्म, काइरोनॉमस लार्वा, नेपिडी, ब्लास्टोनेटिडी, फाइसीडी, प्लैनेरोबिडी फेमिली के सदस्य ही शेष।
गायब हो रहा जीवन
स्थान घुलित ऑक्सीजन
गागलहेड़ी : 2.1
महेशपुरी- 2.8
बरनावा- 2.9
डालूहेड़ा- 3.1
मोहन नगर- 1.7
छगारसी- 1.9
कुलेसरा- 3.4
- 06 मिग्रा प्रति लीटर : जीवन के लिए घुलित ऑक्सीजन की मात्रा जरूरी
दस साल पूर्व नदी में होता था जीवन
लगभग आठ से दस साल पहले नदी पर सुंदर पक्षियों की चहचहाहट और कशेरुकी प्राणी, मछलिया व मेढक भरपूर थे। नदी के तट अनेक प्रजाति के पक्षी नजर आते थे, लेकिन प्रदूषण के चलते पक्षी का प्रवास यहां रुक गया है। आलम यह है कि बगुला और बत्तख भी बमुश्किल दिखते हैं।
उद्गम स्थल : सहारनपुर
संचित क्षेत्र : 5000 किलोमीटर
सात जिले : सहारनपुर, मुज्जफरनगर, सावली, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर
नदी की कुल लंबाई : 260 किलोमीटर
गौतमबुद्ध नगर के कुल गांव : 18
जिले में कुल लंबाई : 26 किमी
हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना
अदालत के आदेश के बावजूद इसमें निरंतर अपशिष्ट पदार्थो को डाला जाना जारी है। अदालत के रोकने के बावजूद गौतमबुद्ध के इलाके में दर्जनों की संख्या में हाटमिक्स प्लांट, स्टोन क्रेशर और मिक्सर प्लांट क्रियाशील हैं। प्रशासन समेत प्राधिकरण ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया है।