Move to Jagran APP

आरुषि-हेमराज हत्याकांड : बात उस रात की

By Edited By: Published: Sun, 24 Nov 2013 06:35 PM (IST)Updated: Sun, 24 Nov 2013 06:36 PM (IST)
आरुषि-हेमराज हत्याकांड : बात उस रात की

सुशांत समदर्शी, नोएडा

loksabha election banner

15 मई, 2008 की रात सेक्टर-25 स्थित जलवायु विहार के एल-32 के अंदर ऐसी हलचल हुई कि सारी दुनिया की निगाहें उसी पर लग गई। घर में मा, पिता, आरुषि और नौकर हेमराज था। एक फ्लैट मे चार लोग थे और रात के 12 से 1 बजे के बीच आरुषि व हेमराज की हत्या हुई। आरुषि का कमरे में व हेमराज का शव छत पर मिला। आरुषि का शव हत्या के अगले दिन दोपहर को व हेमराज का दूसरे दिन बरामद हुआ। कातिल ने तेज वार किए, गले पर वार के बावजूद आरुषि की आवाज नहीं निकली और भी बहुत कुछ..। हत्या के बाद आरुषि के कमरे में रखा मोबाइल व कंप्यूटर रात एक से चार बजे के बीच कई बार इस्तेमाल किया गया। दो लोग ही घर मे थे। जब सुबह घर नौकरानी आई तो डा. तलवार व नूपुर बेटी की मौत के बारे में उसे बताते हैं। वहीं, पुलिस भी सुबह जल्दबाजी में घटनास्थल को छोड़ हेमराज को खोजने बाहर निकल गई। एक दिन बाद जब रिटायर्ड डीएसपी केके गौतम छत पर गए तो नौकर हेमराज का शव पड़ा था। इसके बाद पूरे मर्डर की दिशा ही बदल गई और आरुषि हेमराज हत्या मर्डर मिस्ट्री बन गई। इससे सोमवार को पर्दा उठेगा। जब गाजियाबाद की सीबीआइ अदालत अपना फैसला सुनाएगी।

उस वक्त पुलिस से हुई थीं पाच चूक

-जाच में खानापूर्ति की : हत्या के बाद पुलिस ने जाच में महज खानापूर्ति की और जाच के दौरान कमरे में आने-जाने पर कोई रोक नही लगाई गई जिससे अहम साक्ष्य मिट गए।

-नमूने लेने में लापरवाही : पुलिस ने नमूने लेने में लापरवाही बरती। खून, बेडशीट व गद्दे के नमूने से छेड़छाड़ की गई।

-छत की जाच नहीं की : हत्या के बाद पुलिस छत पर नहीं गई। आरुषि का हत्यारा समझ कर हेमराज को खोज शुरू कर दी गई, जबकि हेमराज का शव छत पर पड़ा था।

-दो घटे लेट पहुंचे एक्सपर्ट : घटना के बाद फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट दो घटे के बाद मौके पर पहुंचे, उस समय तक कई साक्ष्य मिट चुके थे।

-पहले दिन लैपटॉप नहीं किया जब्त : हत्या के पहले दिन पुलिस ने लैपटॉप व कंप्यूटर जब्त नहीं किया। सामान जब्त किए जाने तक डाटा से छेड़छाड़ की गई।

-------------------

जांच तो नोएडा पुलिस की ही सही निकली

हत्याकांड में अपनी तमाम गलतियों के बाद नोएडा पुलिस एक सप्ताह में जिस नतीजे पर पहुंची थी। इसमें जांच एजेंसी सीबीआइ को लगभग चार साल लग गए। हत्या के बाद नोएडा पुलिस ने कुछ गलतिया की थीं, फिर भी 23 मई को डा. राजेश तलवार को गिरफ्तार कर लिया था। 27 मई को मुख्यमंत्री ने सीबीआइ जाच की सिफारिश की और पहली जून, 2008 से सीबीआइ ने जाच शुरू की। सीबीआइ ने नोएडा पुलिस की जाच की दिशा बदल दी। सीबीआइ ने डा. तलवार को छोड़ उसके नौकरों को शक के दायरे में लिया। वहीं, चार साल बाद सीबीआइ ने डा. तलवार को ही दोषी मान नोएडा पुलिस की कार्रवाई को ही सही माना।

----------

नोएडा पुलिस की शक की वजह

-घर में मर्डर, दंपति को पता नहीं : कत्ल की रात फ्लैट नंबर एल-32 में आरुषि, उसकी मा नूपुर तलवार, पिता राजेश तलवार और उनका नौकर हेमराज था। चार लोगों में से दो का कत्ल हो गया, लेकिन दो लोगों को पता नहीं।

-पहले पुलिस को कॉल क्यों नहीं की : मर्डर के बाद डा. तलवार दंपति ने पहले पुलिस को फोन नहीं किया, बल्कि दोस्तों को फोन कर बताया।

-सुबूत मिटाने की कोशिश : हत्या के बाद प्रथम दृष्टया यह बात सामने आई की सुबूत मिटाने की कोशिश की गई। लैपटॉप व कंप्यूटर से डाटा डिलीट किया गया।

-आरुषि का दरवाजा कैसे खुला : आरुषि के सोने के बाद उसके कमरे की चाभी तलवार दंपति के पास होती थी, तो सवाल उठता है कि कमरे को किसने खोला।

-गोल्फ स्टिक का इस्तेमाल : हेमराज के सिर पर गोल्फ स्टिक (क्लब) से वार किया गया था और तलवार गोल्फ खेलते हैं। तलवार दंपति ने पुलिस से गोल्फ की बात छिपाई।

--------------

कदम-कदम पर चूक

आरुषि हत्याकाड में नोएडा पुलिस ने साक्ष्य जुटाने में कदम-कदम पर चूक की तो सीबीआइ उन साक्ष्यों के आधार पर हत्यारे को खोज नहीं पाई। फॉरेंसिक, इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों को भी नष्ट होने दिया। अब तक न तो मोबाइल से कोई डिटेल मिली और न ही मौके पर पुलिस ने साक्ष्यों को बेहतर तरीके से जुटाया। नोएडा पुलिस ने इस मामले में जहा डा. राजेश तलवार पर ध्यान केंद्रित किया तो सीबीआइ ने नौकरों पर। आरुषि का शव मिलने के बाद भी दो दिनों तक हेमराज का शव छत पर पड़ा रहा, लेकिन पुलिस की नजर नहीं पड़ी। यहां से चूक की शुरुआत हुई। नोएडा पुलिस के साक्ष्यों से इतर सीबीआइ ने जब जाच शुरू की तो असफलता हाथ लगी। इसके बाद सीबीआइ की पूरी टीम ही बदल दी गई।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.