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एथलीट में भविष्य के मिल्खा, बोल्ट तराश रहे विजेंद्र

खेल-खिलाड़ी के बाद कोच ने भी जिले का नाम रोशन किया है। भारतीय खेल प्रशिक्षण संस्थान में मोरना के गांव वजीराबाद के विजेंद्र सिंह भविष्य के मिल्खा सिंह जमैका के हुसैन बोल्ट तराश रहे हैं। दौड़ के लिए ट्रैक पर धावकों की फौज खड़ी करना उनका लक्ष्य है। इसके लिए कड़ी मेहनत में लगे हैं। हालांकि उनके निर्देशन में प्रशिक्षण लेकर कई एथलीट देश-विदेश में मेडल हासिल कर चुके हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 20 May 2019 10:39 PM (IST)Updated: Mon, 20 May 2019 10:39 PM (IST)
एथलीट में भविष्य के मिल्खा, बोल्ट तराश रहे विजेंद्र
एथलीट में भविष्य के मिल्खा, बोल्ट तराश रहे विजेंद्र

मोरना(मुजफ्फरनगर): खेल-खिलाड़ी के बाद कोच ने भी जिले का नाम रोशन किया है। भारतीय खेल प्रशिक्षण संस्थान में मोरना के गांव वजीराबाद के विजेंद्र सिंह भविष्य के मिल्खा सिंह, जमैका के हुसैन बोल्ट तराश रहे हैं। दौड़ के लिए ट्रैक पर धावकों की फौज खड़ी करना उनका लक्ष्य है। इसके लिए कड़ी मेहनत में लगे हैं। हालांकि उनके निर्देशन में प्रशिक्षण लेकर कई एथलीट देश-विदेश में मेडल हासिल कर चुके हैं। हाल ही में उनके सानिध्य में धावक संजीवनी जाधव ने बंगलुरू में हुई प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल पर कब्जा किया है। संजीवनी ने व‌र्ल्ड टीसीएस की दस किलोमीटर की दौड़ को 35.10 मिनट में पूरी की है। मोरना क्षेत्र के गांव वजीराबाद में जन्मे विजेंद्र सिंह के भीतर बचपन से ही खेलों की रूचि थी। पिता सतपाल सिंह पेशे से किसान होने के साथ कबड्डी के बेहतरीन खिलाड़ी भी थे। परिवार में तीन भाइयों में वह मंझले हैं। एसडी डिग्री कालेज से बीए करने के बाद उन्होंने मेरठ कॉलेज से पोस्ट ग्रेजुएट की। इसके बाद उन्होंने एथलीट में प्रशिक्षण में करियर में बनाने में निकल पड़े।

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हंगरी से डिग्री लेकर बने प्रशिक्षक

विजेंद्र सिंह बताते हैं कि वर्ष 2012 में एथलीट कोर्स में हंगरी से स्पेशल डिग्री लेकर वह भारतीय खेल प्रशिक्षण संस्थान में पहुंच गए। वर्तमान में उनकी पोस्टिग महाराष्ट्र के नासिक एकेडमी में है। यहां रहकर वह भविष्य के मिल्खा सिंह, हुसैन बोल्ट पैदा कर रहे हैं। उनके निर्देशन में प्रशिक्षण लेकर 13 खिलाड़ी इंडियन टीम में शामिल हैं, जबकि 8 से अधिक ने देश-विदेश में प्रतिभा का डंका बजवाया है। वह कहते हैं कि उनकी विशेषता एथलीट में धावक पैदा करने की है।

इन खिलाड़ियों पर करते हैं गर्व

वह बताते हैं कि प्रशिक्षण के दम पर कविता राउत ने विश्व स्तर पर प्रतिभा का लोहा मनवाया। इनके साथ ही मोनिका आत्रेय, अंजना थामरे, दुर्गा देवरे, पूनम सोमन, ताई बामने, किशन तड़वी, रंजीत पटेल, कृतिका आदि ने दौड़ में देश, विदेश में गोल्ड मेडल के साथ अन्य पदकों पर कब्जा जमाया है।

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