साथी हाथ बढ़ाना, कर रहे एक-दूजे की मदद
कोविड-19 महामारी के दौर में हर क्षेत्र में आर्थिक संकट गहरा गया है। खेल के मैदान भी सूने हैं और खिलाड़ी कोच के साथ अंपायर भी खाली बैठे हैं। ऐसे में आर्थिक परेशानी सबको चिता में डूबा रही है। जिले में एक-दूसरे की मदद कर अंपायर और कोच हौसला बढ़ा रहे हैं। वहीं कोई खेतों में मेहनत कर रहा है तो कोई पार्ट टाइम काम कर गुजारा चला रहा है। यूपीसीए के स्तर से अभी खेल प्रारंभ होने में लंबा वक्त लगेगा। ऐसे में मैच फीस और कोचिग पर निर्भर लोग आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं।
मुजफ्फरनगर, जेएनएन। कोविड-19 महामारी के दौर में हर क्षेत्र में आर्थिक संकट गहरा गया है। खेल के मैदान भी सूने हैं और खिलाड़ी, कोच के साथ अंपायर भी खाली बैठे हैं। ऐसे में आर्थिक परेशानी सबको चिता में डूबा रही है। जिले में एक-दूसरे की मदद कर अंपायर और कोच हौसला बढ़ा रहे हैं। वहीं, कोई खेतों में मेहनत कर रहा है तो कोई पार्ट टाइम काम कर गुजारा चला रहा है। यूपीसीए के स्तर से अभी खेल प्रारंभ होने में लंबा वक्त लगेगा। ऐसे में मैच फीस और कोचिग पर निर्भर लोग आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं।
मुश्किल वक्त में निभा रहे कर्तव्य
यूपीसीए से जुड़े कई अंपायर ऐसे हैं, जिनका भरण-पोषण मैच फीस पर टिका है। कोरोना संक्रमण के कारण प्रमुख खेलों को रोक दिया गया है। ऐसे में खिलाड़ियों, कोच को छोड़ दें तो सबसे अधिक परेशानी अंपायर्स के सामने खड़ी हो गई। यह न तो कोचिग दे सकते हैं और न ही कोई ऑनलाइन जानकारी किसी अन्य को मुहैया करा पाते हैं। इनका कार्य केवल फिजिकल रूप से तैनात रहना है। ऐसे में मुश्किल वक्त को भांपकर एक-दूसरे को अंपायर के ग्रुप ने मदद पहुंचाई है।
इस तरह मिलती है फीस
अंपायर को जिला स्तर के मैच के लिए 1200 रुपये, जोन स्तर पर 1500 रुपये, ऑल इंडिया टूर्नामेंट के मैच में 2000 रुपये और सेंट्रल जोन के मैच में 2500 रुपये तक एक मैच की फीस मिलती है। इसके साथ ही सभी वर्गों में डीए और यात्रा भत्ता दिया जाता है।
यह बोले
मौजूदा दौर में खेल गतिविधियां बंद होने स्थिति तो प्रभावित हुई है, लेकिन परिवार के भरण-पोषण को पार्ट टाइम कार्य कर गुजारा कर रहे हैं। लॉकडाउन में परेशानी हुई है, लेकिन यह वक्त भी जल्द बीत जाएगा। सुरक्षा और स्वास्थ्य सबसे अधिक महत्वपूर्ण है।
-आदिल रजा जैदी, अंपायर।
कोरोना वायरस के कारण क्रिकेट का खेल अभी बंद ही रहने की संभावना है। अंपायर और कोच खेल व्यवस्था सुचारू होने पर ही पैसा चार्ज करते हैं। लॉकडाउन के दौरान आर्थिक समस्या उभरी है, लेकिन इसका सामना भी किया। अपने खेतों में हाथ आजमा रहे हैं, जिसका लाभ मिल रहा है।
-रवि कौशिक, अंपायर।