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हर रिश्ते का अहसास है सच्ची मित्रता

दैनिक जागरण की संस्कारशाला के अंतर्गत प्रकाशित हुई प्रेरणादायक कहानी में सच्ची मित्रता दिखाई गई है। रहीम जी ने कहा है- कही रहीम संपति सगे बनत बहुत बहु रीत। विपति कसौटी जे कसे तेई सांचे मीत। यदि हमारे पास एक सच्चा मित्र है तो हमें किसी अन्य की आवश्यकता नहीं है। धूप हो या छांव सुख हो या दुख एक सच्चा मित्र प्रत्येक परिस्थिति में सहायक होता है। सच्चे मित्र को परिभाषित करना बहुत कठिन है। जिसके साथ आप अपना सुख-दुख साझा कर सकें वही आपका सच्चा मित्र है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 23 Sep 2020 10:34 PM (IST)Updated: Thu, 24 Sep 2020 05:10 AM (IST)
हर रिश्ते का अहसास है सच्ची मित्रता
हर रिश्ते का अहसास है सच्ची मित्रता

मुजफ्फरनगर, जेएनएन। दैनिक जागरण की संस्कारशाला के अंतर्गत प्रकाशित हुई प्रेरणादायक कहानी में सच्ची मित्रता दिखाई गई है।

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रहीम जी ने कहा है-

कही रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीत।

विपति कसौटी जे कसे, तेई सांचे मीत।

यदि हमारे पास एक सच्चा मित्र है तो हमें किसी अन्य की आवश्यकता नहीं है। धूप हो या छांव, सुख हो या दुख, एक सच्चा मित्र प्रत्येक परिस्थिति में सहायक होता है। सच्चे मित्र को परिभाषित करना बहुत कठिन है। जिसके साथ आप अपना सुख-दुख साझा कर सकें, वही आपका सच्चा मित्र है।

मित्रता का कोई नियम नहीं होता, मित्र बिना जीवन नहीं होता। हम सभी जीवनभर परिश्रम करते हैं किसलिए? जीवन में कुछ उपलब्धियों के लिए। यह उपलब्धियां धन, पद, प्रतिष्ठा, परिवार, रिश्तों के रूप में प्राप्त होती हैं। अपने अथक और कठिन परिश्रम से समस्त उपलब्धि प्राप्त करने के पश्चात भी एक समय आने पर जीवन में कुछ कमी महसूस होने लगती है और वह कमी होती है सच्चे मित्र की। वह समय होता है वृद्धावस्था। उस समय मित्रों के अलावा सभी लोग साथ छोड़ जाते हैं। यदि हमारे पास एक भी सच्चा मित्र है तो वह हमें अन्य रिश्तों की कमी का आभास नहीं होने देता। वह आवश्यकता पड़ने पर माता है, पिता है, भाई है, बहन है, दोस्त तो है ही। सच्चा मित्र गुरु के समान सच्चा मार्गदर्शक भी है, वह अपने दोस्त को कभी भी पथभ्रष्ट नहीं होने देता। सच्चे मित्र की विशेषता में हम कह सकते हैं कि

मां की ममता दे हमें, गलती पर दे डांट।

मित्र कहलाता है वही, दुख जो लेता बांट।।

एक सच्चा मित्र माता के समान दुलार करने वाला, पिता तथा गुरु के समान अनुशासन में रखने वाला, भाई-बहनों के समान प्रेम करने वाला तथा सबसे बढ़कर प्रत्येक राज का राजदार होता है। जीवन में जब हमारे पास धन, पद, प्रतिष्ठा आती है तो सभी आपके सगे संबंधी तथा मित्र बन जाते हैं, लेकिन जब विपत्ति आती है तो आपके सगे संबंधी आपको छोड़ देते हैं। इसी समय आपका साथ देता है सिर्फ और सिर्फ आपका एक सच्चा मित्र। सच्चे मित्र की पहचान दुख आने पर ही होती है। जैसा कि कहानी में दिखाया गया है, जिस प्रकार पवन ने विपत्ति पड़ने पर आकाश का साथ दिया।

हमारे शास्त्रों में सच्ची मित्रता को इस प्रकार बताया गया है कि इस दुनिया में चंदन को शीतल माना गया है तथा चंद्रमा चंदन से भी अधिक शीतल है, परंतु एक सच्चा मित्र चंद्रमा और चंदन दोनों से शीतल है। जिसको हम इस प्रकार समझ सकते हैं कि जब हम दुखों की अग्नि में जल रहे होते हैं, तब एक सच्चा मित्र ही दुखों की अग्नि से बचाकर शीतलता प्रदान करता है। वह हमारे जीवन में निराशा के स्थान पर आशा का संचार करता है। कृष्ण और सुदामा की दोस्ती जग जाहिर है। श्री कृष्ण सुदामा के प्रेम में ऊंच-नीच, धनी- निर्धन के भेदभाव को भूलकर भाव विभोर हो गए तथा अपना सबकुछ उन्हें समर्पित करने के लिए आतुर हो गए थे।

मित्रता का रिश्ता सबसे पवित्र है। यदि हमारे जीवन में एक सच्चा मित्र है तो हमारे जीवन में सब कुछ है। सच्ची मित्रता उत्तम स्वास्थ्य के समान है, जिसकी कीमत उसके खो जाने के बाद ही पता चलती है। उपरोक्त सभी कथनों का सार है कि हमें अपनी सच्ची मित्रता को अपने समस्त प्रयासों से सहेज कर रखना चाहिए, क्योंकि सच्ची मित्रता ही जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है।

- रजनी गोयल, प्रधानाचार्या, एसडी कन्या इंटर कॉलेज, झांसी रानी रोड, मुजफ्फरनगर


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