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गंगा यात्रा बीत गई.. गांवों की तकदीर में वही बदहाली

गंगा यात्रा आई तो गांवों को भी विकास की आस जगी। पलक-पावड़े बिछाकर सरकार का स्वागत किया। लगा था कि अब गांवों की तकदीर से बदहाली का संकट हट जाएंगे। गंगा यात्रा बीतने के साथ फिर वही हालात हो गए। गंगा को निर्मल गांवों की दशा सुधारने की घोषणाएं हुई लेकिन यह धरातल से कोसों दूर है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 31 Jan 2020 11:52 PM (IST)Updated: Fri, 31 Jan 2020 11:52 PM (IST)
गंगा यात्रा बीत गई.. गांवों की तकदीर में वही बदहाली
गंगा यात्रा बीत गई.. गांवों की तकदीर में वही बदहाली

मुजफ्फरनगर, जेएनएन। गंगा यात्रा आई तो गांवों को भी विकास की आस जगी। पलक-पावड़े बिछाकर सरकार का स्वागत किया। लगा था कि अब गांवों की तकदीर से बदहाली का संकट हट जाएंगे। गंगा यात्रा बीतने के साथ फिर वही हालात हो गए। गंगा को निर्मल, गांवों की दशा सुधारने की घोषणाएं हुई, लेकिन यह धरातल से कोसों दूर है। लोगों का कहना है कि यदि वास्तव में गंगा की धारा को अविरल व निर्मल करना है तो वास्तव में गंगा किनारे के गांवों की दशा सुधारनी होगी।

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गंगा यात्रा शुरू होने की घोषणा हुई तो गंगा किनारे के गांवों की दशा में चार चांद लगने शुरू हो गए। यात्रा के बीच में पड़ने वाले गांवों को पूरी तरह से सजाने की कोशिश की गई, लेकिन वास्तव में गंगा किनारे बसे गांवों का विकास से दूर-दूर का नाता नहीं है। अहमदवाला, अल्लूवाला, हंसावाला, स्याली, फरीदपुर गांव वास्तव में गंगा किनारे बसे हुए हैं। गंगा जब भी रौद्र रूप दिखाती है तो ग्रामीण घरों से पलायन को मजबूर होते हैं। यात्रा होने से पहले अधिकारियों ने गांवों की खूब दौड़ लगाई, मगर अब तीन चार दिन से किसी ने सुध नहीं ली है। उधर, गंगा यात्रा राज्यमार्ग से होकर सिखेड़ा, देवल, मीरापुर, रामराज, हंसावाला आदि गांवों से भी गुजरी, लेकिन वास्तव में गंगा किनारे बसे गांवों की सुध तक नहीं ली गई। लोगों ने कहा कि गंगा को निर्मल बनाना है तो इन गांवों पर ध्यान देना जरूरी है।

गांव बिल्कुल गंगा के किनारे बसा हुआ है। गंगा यात्रा के दौरान किसी अधिकारी ने गांव में आने की जहमत तक नहीं उठाई, केवल स्कूल की दीवारों को पोतकर उनपर गंगा यात्रा के स्लोगन बना दिए गए। गांव के रास्तों में कीचड़ भरा हुआ है। नालियां टूटी पड़ी है। ना ही गांव में कोई खेल मैदान बनाया गया ना ही कोई गंगा तालाब है।

- मनीषा, गांव अहमदवाला।

उन्हें टीवी से पता चला कि उनके क्षेत्र से गंगा यात्रा गुजरने वाली है और उसमें सूबे के मुखिया भी आ रहे हैं। उन्हें लगा कि शायद अब उनके गांव की हालत में सुधार हो सके, लेकिन इस पूरी यात्रा के दौरान न तो कोई अधिकारी गांव में पहुंचा और ना ही किसी तरह की कोई साफ सफाई तक ही हो पाई।

- सूरजपाल, गांव अल्लूवाला।

गंगा स्नान पर उनके गांव के पास ही मेला लगाया जाता है, लेकिन गांव में कोई विकास कार्य नहीं हुए है। गंगा यात्रा के समय साफ-सफाई की गई थी, लेकिन उसके बाद के हालात जस के तस है। वास्तव में गंगा को निर्मल व अविरल करना है तो गंगा किनारे बसे गांवों का विकास करना होगा। उससे गंगा का निर्मल होने में संशय बना हुआ है। इन गांवों में साफ-सफाई के साथ साथ कूड़े आदि के निस्तारण होना जरूरी है।

- राजपाल, गांव फरीदपुर उर्फ चूहापुर।


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