शिक्षाऋषि की सेवाओं को भुलाया नहीं जा सकता
मोरना (मुजफ्फरनगर) : पौराणिक तीर्थनगरी शुक्रताल स्थित श्री शुकदेव आश्रम में तीन सदी के युग²ष्टा ब्रह
मोरना (मुजफ्फरनगर) : पौराणिक तीर्थनगरी शुक्रताल स्थित श्री शुकदेव आश्रम में तीन सदी के युग²ष्टा ब्रह्मलीन शिक्षा ऋषि स्वामी कल्याण देव महाराज की 142वीं जयंती श्रद्धा के साथ मनाई गई। विभिन्न प्रांतों से आए सैकड़ों भक्तों ने स्वामीजी की प्रतिमा व समाधि पर फूल चढ़ाकर उन्हें शत-शत नमन किया।
शुकदेव पीठाधीश्वर स्वामी ओमानंदजी महाराज ने कहा कि परम पूज्य गुरुदेव स्वामी कल्याण देवजी के जीवन से कर्म योग, ज्ञान योग व भक्ति योग की शिक्षा मिलती है। हमें ऐसे संत महापुरुष को बार-बार शत-शत नमन करना चाहिए। प्रसिद्ध कथा व्यास डॉ. श्याम सुंदर पाराशर ने कहा कि स्वामी कल्याण देवजी महाराज संत समाज का मुकुट थे। शिक्षाविद् पूर्व प्राचार्य गजेंद्र पाल वर्मा ने कहा कि राष्ट्र और समाज के निमार्ण में स्वामीजी की महती सेवाओं को कभी भुलाया नहीं जा सकता है, समाज सदैव उनका ऋणी रहेगा। कथा व्यास सुमन कृष्ण शास्त्री ने कहा कि स्वामी कल्याण देव जी ने गांव-गांव में शिक्षा के मंदिरों की स्थापना कर ज्ञान की ज्योति प्रज्ज्वलित की। कथा व्यास अचल शास्त्री ने कहा कि स्वामीजी का सर्वोच्च सुखी जीवन मानवता के लिए वरदान है। इससे पूर्व विभिन्न प्रांतों से आए सैकड़ों भक्तों एवं शुकदेव संस्कृत विद्यालय के सैकड़ों ब्रह्मचारियों ने कल्याणदेव समाधि मंदिर में स्वामी जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर आरती की और समाधि पर फूल चढ़ाकर उन्हें शत-शत नमन किया। इस अवसर पर विशाल भंडारे का भी आयोजन हुआ। इसमें साधु-संतों एवं ब्राह्मणों को भोजन कराया गया।